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लेटरल एंट्री पर अपने ही सहयोगी दलों का भरोसा खो रही है BJP? नीतीश और चिराग ने कर डाली ये मांग

Lateral Entry Controversy: मोदी सरकार का हिस्सा होने के बावजूद Chirag Paswan और Nitish Kumar की पार्टी ने लेटरल एंट्री पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. चिराग ने आरक्षण का मुद्दा उठाया है तो वहीं JDU ने कहा है कि विपक्ष के लिए ये एक हथियार है. हालांकि, TDP ने नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है.

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KC Tyagi and Chirag Paswan
NDA के सहयोगी दलों ने लेटरल एंट्री का विरोध किया है. (फाइल फोटो: PTI/इंडिया टुडे)
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रवि सुमन
20 अगस्त 2024 (Updated: 20 अगस्त 2024, 09:53 AM IST) कॉमेंट्स
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लेटरल एंट्री (Lateral Entry) को लेकर भाजपा विपक्षी दलों के निशाने पर तो थी ही अब NDA के सहयोगी दलों ने भी इस पर सवाल उठाया है. नीतीश कुमार की पार्टी JDU और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने इसका विरोध किया है. वहीं भाजपा के एक अन्य सहयोगी दल तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने लेटरल एंट्री को सपोर्ट किया है. TDP का मानना है कि लेटरल एंट्री के जरिए शासन के तरीके बेहतर किए जा सकते हैं. और इससे आम लोगों तक सुविधाओं को पहुंचाने में सहूलियत होती है.

JDU प्रवक्ता KC Tyagi ने इंडियन एक्सप्रेस के कहा है कि सरकार का ये आदेश उनके लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि वो शुरू से सरकार से कोटा भरने की मांग कर रहे हैं. त्यागी ने कहा है कि वो राम मनोहर लोहिया के अनुयायी हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि जब सदियों से लोग सामाजिक रूप से वंचित रहे हैं, तो योग्यता की मांग क्यों की जा रही है?

ये भी पढ़ें: Lateral Entry से भर्ती में आरक्षण नहीं, पूरा विवाद क्या है? समर्थन और विरोध की पूरी कहानी समझिए

"विपक्ष के लिए हथियार"

त्यागी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि केंद्र सरकार ने विपक्ष को एक मुद्दा थमा दिया है. उन्होंने कहा कि NDA का विरोध करने वाले लोग इसका इस्तेमाल करेंगे. और राहुल गांधी सामाजिक रूप से वंचितों के हिमायती बन जाएंगे. उन्होंने कहा कि विपक्ष के हाथों में ऐसा हथियार नहीं देना चाहिए.

Chirag Paswan ने जताई चिंता

लोजपा (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस मामले पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने न्यूज एजेंसी PTI से कहा है,

“किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए. इसमें कोई शक नहीं है कि निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है. और अगर इसे सरकारी पदों पर भी लागू नहीं किया जाता है... 18 अगस्त को मुझे ये जानकारी मिली और मेरे लिए ये चिंता का विषय है.”

पासवान ने कहा कि सरकार के सदस्य के तौर पर उनके पास इस मुद्दे को उठाने का मंच है और वो ऐसा करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने ये भी कहा कि जहां तक ​​उनकी पार्टी का सवाल है, वो इसे बिल्कुल सपोर्ट नहीं करते. उनकी पार्टी ने कहा है कि वो केंद्र सरकार से इसे वापस लेने का आग्रह करेंगे.

ये भी पढ़ें: UPSC में लेटरल एंट्री पर भड़का विपक्ष, राहुल गांधी बोले- 'SC, ST और OBC का आरक्षण छीन रही मोदी सरकार'

Lateral Entry का मामला क्या है?

17 अगस्त को UPSC ने सीनियर अफसरों की नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था. इसमें कुल पदों की संख्या 45 है. ये पद लेटरल एंट्री भरे जाएंगे. यानी ये UPSC की ज़्यादातर भर्ती परीक्षाओं की तरह एंट्री लेवल पर न होकर सीधे उच्च पदों में भर्ती के लिए हैं. 45 पदों में 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक और उप-सचिव के पद हैं. इनकी नियुक्तियां केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में की जाएंगी. लेटरल एंट्री के इन पदों का नोटिफिकेशन आते ही विवाद छिड़ गया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने इसकी आलोचना की.

इसके बाद UPSC के इस कदम का बचाव करते हुए भाजपा ने सफाई दी. कहा कि लेटरल एंट्री की शुरुआत कांग्रेस की अगुआई वाली UPA सरकार ने की थी. और इससे शासन में सुधार आएगा. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि लेटरल एंट्री मामले में कांग्रेस की 'हिपोक्रेसी' साफ दिख रहा है. लेटरल एंट्री का कॉन्सेप्ट UPA सरकार ने ही बनाया था.

वीडियो: UPSC ने लेटरल एंट्री का विज्ञापन जारी किया, राहुल गांधी क्या बोल गए?

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