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UPSC में लेटरल एंट्री पर भड़का विपक्ष, राहुल गांधी बोले- 'SC, ST और OBC का आरक्षण छीन रही मोदी सरकार'

UPSC ने कई पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला है. ये भर्तियां लेटरल एंट्री के तहत की जाएंगी. इस पर राहुल गांधी, लालू यादव, अखिलेश यादव और मायावती ने आपत्ति जताई है. इस भर्ती प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया है.

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Rahul Gandhi attacks centre on lateral entry
राहुल गांधी ने इस भर्ती प्रक्रिया की निंदा की है. (फाइल फोटो - PTI )
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निहारिका यादव
18 अगस्त 2024 (Updated: 18 अगस्त 2024, 09:59 PM IST) कॉमेंट्स
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UPSC ने कई मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशकों के 45 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला है. ये भर्तियां लेटरल एंट्री के तहत की जाएंगी. इसमें उम्मीदवारों का चयन सिर्फ इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा. हालांकि, विपक्ष ने UPSC की इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए हैं. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसकी कड़ी आलोचना की है. वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर मायावती और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी इस पर विरोध जताया है. इस भर्ती प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया है.

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी ने इस भर्ती प्रक्रिया की निंदा करते हुए केंद्र सरकार पर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीनने का आरोप लगाया है. राहुल गांधी ने X पोस्ट किया, 

“नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के जरिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं. केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है. मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है. ये UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक  न्याय की परिकल्पना पर चोट है.”

राहुल गांधी ने आगे लिखा, 

“चंद कॉरपोरेट्स के प्रतिनिधि निर्णायक सरकारी पदों पर बैठ कर क्या कारनामे करेंगे इसका ज्वलंत उदाहरण SEBI है, जहां निजी क्षेत्र से आने वाले को पहली बार चेयरपर्सन बनाया गया. प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का INDIA मजबूती से विरोध करेगा. ‘IAS का निजीकरण’ आरक्षण खत्म करने की ‘मोदी की गारंटी’ है.”

RJD मुखिया लालू प्रसाद यादव ने भी लेटरल भर्ती का विरोध किया है. उन्होंने लिखा, 

“बाबा साहेब के संविधान एवं आरक्षण की धज्जियां उड़ाते हुए नरेंद्र मोदी और उसके सहयोगी दलों की सलाह से सिविल सेवा कर्मियों की जगह अब संघ लोक सेवा आयोग ने निजी क्षेत्र से संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर पर नियुक्ति के लिए के लिए सीधी भर्ती का विज्ञापन निकाला है. इसमें कोई सरकारी कर्मचारी आवेदन नहीं कर सकता. इसमें संविधान प्रदत कोई आरक्षण नहीं है.”

उन्होंने आगे लिखा,

“कॉरपोरेट में काम कर रहे बीजेपी की निजी सेना यानी खाकी पेंट वालों को सीधे भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों में उच्च पदों पर बैठाने का ये ‘नागपुरिया मॉडल’ है. संघी मॉडल के तहत इस नियुक्ति प्रक्रिया में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा. वंचितों के अधिकारों पर NDA के लोग डाका डाल रहे हैं.”

वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस फैसले के खिलाफ 2 अक्टूबर से प्रदर्शन करने की चेतावनी देते हुए लिखा, 

"भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन करने का समय आ गया है."

उन्होंने दावा किया कि ये तरीका आज के अधिकारियों के साथ युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा. सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा जान रही है कि संविधान को खत्म करने की उसकी चाल के खिलाफ देश भर का ‘पीडीए’ जाग उठा है, तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है.

वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने भी सरकार के इस फैसले को गलत बताया. उन्होंने X पर लिखा, 

“केंद्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा.”

मायावती ने कहा कि इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियां करना भाजपा सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा.

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे आरक्षण प्रणाली और संविधान के साथ खिलवाड़ बताया. उन्होंने कहा कि अगर ये 45 पद सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से भरे जाते, तो उनमें से लगभग आधे एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होते.

UPSC ने शनिवार 17 अगस्त को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया. इनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल हैं. इन पदों को अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भरा जाना है. विज्ञापन में कहा गया, 

“भारत सरकार संयुक्त सचिव और निदेशक/उप सचिव स्तर के अधिकारियों की ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए नियुक्ति करना चाहती है. इस तरह, राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के आकांक्षी प्रतिभाशाली भारतीय नागरिकों से संयुक्त सचिव या निदेशक/उप सचिव के स्तर पर सरकार में शामिल होने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं.” 

ये भर्तियां 3 साल के कॉन्ट्रैक्ट यानी अनुबंध पर की जाएंगी और परफॉर्मेंस और जरूरत के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट को 5 साल तक के लिए बढ़ाया भी जा सकता है.

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