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दाऊद इब्राहिम को किसने दिया जहर? पहले भी हुई है मारने की कोशिश

दाऊद पर हमला हुआ, या उसकी किसी वजह से मौत हुई, तो सरकारों और मीडिया के पास पुष्टि कैसे आएगी?

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Dawood Ibrahim attacked
Dawood Ibrahim attacked
18 दिसंबर 2023 (Published: 09:38 PM IST) कॉमेंट्स
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आज यानी 18 दिसम्बर का न्यूज़डे शुरू हुआ एक सूचना से. सूचना, जो इस बुलेटिन के लिखे जाने तक अपुष्ट है. खबर ये कि गैंगस्टर, डॉन, ड्रग्स का सरगना और पाकिस्तान में छुपकर बैठे हत्यारे दाऊद इब्राहिम को किसी ने जहर दे दिया है. और वो कराची के एक अस्पताल में भर्ती है. अस्पताल को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. जिस फ्लोर पर वो भर्ती है, वहाँ घर वालों, अधिकारियों और डॉक्टरों के अलावा और किसी को जाने की इजाजत नहीं है. लेकिन जानकारी का इतना बड़ा पुलिंदा कितना सच है, कितना फ़साना है और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI द्वारा छोड़ा गया शिगूफ़ा भर ही है, इसकी पड़ताल हम आज करेंगे. साथ ही जानेंगे कि दाऊद और उसके सिंडीकेट को करीब से देखने वाले जानकार क्या कहते हैं? दाऊद भारत के लिए क्यों जरूरी है? उसकी कहानी क्या है? वो आज भी कैसे लगातार पैसे कैसे कमा रहा है? और क्या उसे अब से पहले कभी मारने की कोशिश की गई थी? और वो कोशिशें कैसे फेल हुईं? इन सारे सवालों के जवाब जानेंगे.
 
दाऊद के पहले बात करेंगे देश के संसद की, जहां आज कुल 78 सांसदों को दोनों सदनों से निलंबित कर दिया गया.  लोकसभा से 33, राज्यसभा से 45.  सभी विपक्ष के.  बीते हफ्ते निलंबित हुए सांसदों को मिला दें तो टोटल संख्या हो जाती है 92.  क्यों हुआ ये निष्कासन, संसद के अंदर क्या हाल था? और सांसदों का क्या कहना है? सब पर बात करेंगे.  सबसे पहले जानते हैं दिन के जरूरी अपडेट्स.  
पहला अपडेट है वाराणसी से.  
21 जुलाई 2023 को वाराणसी की जिला अदालत ने  ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. आज 18 दिसंबर को ASI यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अदालत में सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी है. बताया जा रहा है कि सर्वे की रिपोर्ट 1500 से ज्यादा पन्नों की है. जिसके पेश होती है कई आपत्तियां भी सामने आईं. क्योंकि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जमा की गई है. इसे कोर्ट में सबमिट करने से पहले मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया ने कोर्ट में याचिका दी थी. जिसमें मांग की गई थी कि सर्वे की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश हो  और बिना हलफनामे के किसी को भी सार्वजनिक करने की इजाज़त न दी जाए.

रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में ही पेश हुई. इस पर हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट में दाखिल सील्ड रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है. विष्णु शंकर जैन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हुआ है.
आज जब जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में रिपोर्ट दाखिल की गई उस वक्त कोर्ट में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन सहित सभी पक्ष मौजूद थे.

अब  21 दिसंबर को याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी के साथ ASI रिपोर्ट की कॉपी भी दी जाएगी. अब कुछ इस केस से जुड़े इतिहास की बात हो जाए. सबसे पहले बताएंगे कि ये कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश क्यों दिया था. ये आदेश उन हिंदू महिलाओं की याचिका पर सुनवाई के बाद आया था, जिन्होंने श्रृंगार गौरी की पूजा करने की मांग की थी. मस्जिद परिसर में पूजा अब भी होती है, लेकिन साल में बस एक दिन - वासंतिक चतुर्थी के रोज़. याचिका में नियमित पूजा की अनुमति मांगी गई थी.

1. सर्वे के दौरान नमाज़ पर कोई रोक नहीं होगी और ज्ञानवापी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. 
2. कोर्ट ने मस्जिद के तीन गुंबदों के नीचे ASI को 'ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे' करने को कहा था.   
3. कोर्ट ने जरूरत पड़ने पर खुदाई की अनुमति भी दी थी. 
4. ASI डायरेक्टर को निर्देश दिया गया था कि "पता लगाएं...कि मौजूदा ढांचा किसी हिंदू मंदिर के पहले से मौजूद ढांचे को तोड़कर बनाया गया या नहीं." 
5. साथ ही मस्जिद परिसर में जितने भी आर्टिफैक्ट्स यानी पुरानी कलाकृतियां मिलें तो उसकी लिस्ट बनाएं. 
6. इन कलाकृतियों की वैज्ञानिक तरीके से जांच की जाए और कार्बन डेटिंग भी करें ताकि ढांचे की उम्र का पता लग सके 
7- कोर्ट ने सर्वे की वीडियोग्राफी कराने के लिए भी कहा था.

इसके बाद आई 24 जुलाई की तारीख. कोर्ट के आदेश के बाद इस दिन  ASI के 30 लोगों की टीम ने सर्वे की प्रक्रिया शुरू की.  ASI ने चार अलग-अलग टीमें बनाईं थीं. चारों टीमों ने मस्जिद में अलग-अलग जगह पर सर्वे शुरू किया था. एक टीम पश्चिमी दीवार के पास लगाई गई, 1 टीम गुंबदों के लिए लगाई गई, एक टीम मस्जिद के चबूतरे पर और एक टीम पूरे परिसर के सर्वे के लिए लगाई गई.

इस बीच सर्वे का काम रोका भी गया.  दरअसल अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में जिला अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. मस्जिद कमेटी ने कोर्ट से एक हफ्ते तक आदेश पर रोक लगाने की मांग की. आरोप लगाया कि ASI ने खुदाई भी शुरू कर दी है. इस मामले पर सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने की. मामले पर कोई टिप्पणी न करते हुए आला अदालत ने कहा कि पक्षकारों को ऊपरी अदालत से राहत मांगने का समय मिलना चाहिए. ये कहते हुए कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को जिला अदालत के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट जाने के लिए 26 जुलाई तक का समय दिया. इसके बाद 3 अगस्त को आए फैसले में हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले को बरकरार रखा. और 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भी ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे को मंजूरी दे दी है. ये था अपडेट.  अब बात चलते हैं संसद.  

18 दिसंबर को जब लोकसभा की कार्रवाई शुरू हुई तो स्पीकर ओम बिड़ला ने 13 दिसंबर को सुरक्षा में चूक और उसके बाद 13 सांसदों के निष्कासन को लेकर बयान दिया.  उन्होंने कहा कि लोकसभा में 13 दिंसबर 2023 को जो दुर्भाग्यपूर्ण और हम सबके लिए चिंताजनक घटना घटी है. उसी दिन मैंने इस विषय पर सभी नेताओं के साथ विचार विमर्श किया था. सांसदो के निलंबन का मामला अलग है.  इससे कोई लेना देना नहीं है.  लेकिन जैसे ही सदन की कार्रवाई शुरू हुई, शुरू हुए निष्कासन.  लोकसभा से सस्पेन्ड हुए 33 विपक्षी सांसद.  

कांग्रेस से 
अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस सांसद 
एंटो एंटनी, कांग्रेस सांसद 
अब्दुल खालिक, कांग्रेस सांसद 
सुब्बुरामन थिरुनावुक्करासर, कांग्रेस सांसद 
विजय वसंत, कांग्रेस सांसद 
के मुरलीधरन, कांग्रेस सांसद 
के सुरेश, कांग्रेस सांसद 
अमर सिंह, कांग्रेस सांसद 
राजमोहन उन्नीथन, कांग्रेस सांसद 
गौरव गोगोई, कांग्रेस सांसद 
के जयकुमार, कांग्रेस सांसद


डीएमके से 
टी. सुमति, डीएमके सांसद 
ए राजा, डीएमके सांसद 
दयानिधि मारन, डीएमके सांसद 
जी सेल्वल्म, डीएमके सांसद 
सी.एन अन्नादुरै, डीएमके सांसद 
एस.एस. पलानीमणिक्कम, डीएमके सांसद 
एस रामलिंगम, डीएमके सांसद 
टी.आर बालू, डीएमके सांसद 
के वीरस्वामी, डीएमके सांसदसस्पेंड हुए हैं.


टीएमसी से 
कल्याण बनर्जी, टीएमसी सांसद 
अपरूपा पोद्दार, टीएमसी सांसद 
प्रसून बनर्जी, टीएमसी सांसद 
असित कुमार मल, टीएमसी सांसद 
प्रतिमा मंडल, टीएमसी सांसद 
ककोली घोष, टीएमसी सांसद 
सुनील मंडल, टीएमसी सांसद 
शताब्दी रॉय और 
सौगत रॉय सस्पेंड किए गए हैं

लोकसभा से निष्कासन का सिलसिला शुरू हुआ राज्यसभा से.  कुल 45 सांसद निकाले गए.  प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याग्निक, समेत 45 सांसदों के नाम देखिए स्क्रीन पर.  

इसके बाद आई प्रतिक्रियाएं.  दोनों पक्षों की ओर से. जब नेताओं को सदन से बाहर किया गया, तो सवाल उठे कि किस बात पर? किस मौके पर? और किस सूरतेहाल में संसद से विपक्ष के इतने सारे नेता बाहर निकाले गए.  ये हो गई संसद की बात.  अब चलते हैं कराची. 
दाऊद इब्राहिम कास्कर.  उम्र 67 साल.  आतंकवादी, माफिया, डॉन, सरगना, गुंडा, बदमाश, कातिल... या ऐसी जो भी उपमाएं आप लगा सकते हों, लगा लें. वो है ये दाऊद. हजारों लोगों का कातिल. इसके बारे में ही खबरें आई हैं कि अनजान लोगों ने जहर दे दिया है. और वो गंभीर हालत में पाकिस्तान के कराची के एक अस्पताल में भर्ती है.  
इंडिया टुडे में छपी दिव्येश सिंह और दीपेश त्रिपाठी की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस अस्पताल में दाऊद इब्राहिम भर्ती है, उस अस्पताल को दाऊद के गैंग ने छावनी में तब्दील कर दिया है.  जिस फ्लोर पर दाऊद का इलाज चल रहा है, उस फ्लोर पर बस दाऊद के परिवार के चुनिंदा लोगों, अस्पताल में काम करने वाले लोगों और कुछ शीर्ष अधिकारियों को ही जाने की अनुमति है.  
इस पूरी खबर में एक और जानकारी नत्थी की गई है कि दाऊद की जहरखुरानी के बाद पाकिस्तान के कई इलाकों में इंटरनेट और सोशल मीडिया को बैन कर दिया गया है.  इस बात को और ज्यादा बल मिला है पाकिस्तान की एक पत्रकार और यूट्यूबर आरज़ू काज़मी के एक वीडियो से. 17 दिसंबर को अपलोड किये गए इस वीडियो में आरज़ू काज़मी कहती सुनी जा सकती हैं कि पाकिस्तान में इस खबर के बारे में जो भी कुछ लिख सकता है, कह सकता है, बोल सकता है, ऐसे सारे माध्यमों को बैन कर दिया गया है.  

पाकिस्तान के अखबार डॉन में छपी खबरों के मुताबिक, एक यूजर्स ने रात 8 बजे के बाद लाहौर, कराची और इस्लामाबाद में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुंचने में परेशानी आने की सूचना दी थी. यूजर्स ने इंटरनेट सर्विस स्लो होने की भी शिकायत की थी. खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व वित्त मंत्री और पीटीआई नेता तैमूर झागड़ा ने भी ऑनलाइन रैली के बीच इंटरनेट के ना चलने पर सवाल उठाए. हालांकि इस बारे में पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण यानी पीटीए ने कोई जवाब नहीं दिया है.  
इसके अलावा पाकिस्तान के न्यूज़ चैनल जियो न्यूज़ ने भी ये खबर चलाई कि दाऊद इब्राहिम को लेकर अफवाहें तेज चल रही हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जा रहा है कि दाऊद एक लंबी बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती हुआ है. हालांकि सबकुछ अपुष्ट है.  
ध्यान रहे कि ये खबर उस वक्त आ रही है, जब भारत के कई सारे दुश्मनों की देश की जमीन से बाहर हत्या की गई. और इन सभी हत्याओं का तरीका एक ही था - अनजान लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इन मारे गए लोगों में पाकिस्तान में बैठे आतंकी थे, तो कनाडा में बैठा खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर भी.  
अब दाऊद पर आ रही खबरों को लेकर पाकिस्तान की सरकार या किसी भी एजेंसी की तरफ से पुष्टि का कोई संकेत सामने नहीं आया है. हालांकि इस खबर के सामने आने के बाद मुंबई पुलिस के अधिकारी भी एक्टिव हो गए हैं. वो दाऊद के भतीजे साजिद वागले और भांजे अलीशाह पारकर से इस बात की जानकारी निकालने में लग गए हैं. 
अब बात करते हैं दाऊद की. ये इंसान भारतीय एजेंसियों के लिए क्यों इतना जरूरी है? 
दिसंबर 1955. मुंबई पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी करने वाले इब्राहिम कास्कर को एक बेटा हुआ. बेटे का नाम रखा दाऊद इब्राहिम कास्कर. ये कोंकणी मुस्लिम परिवार था, जिसकी जड़ें संस्कृति में टिकी थीं. लेकिन परिवार की ये नई पैदाइश ये पहचान बदलने वाली थी.  दाऊद शुरुआती तालीम के बाद अपने टीन ईयर्स में आया. चोरी, छिनैती जैसे काम करने लगा. फिर लोकल गुंडे बाशु दादा से मुलाकात हुई. गुंडागर्दी बढ़ गई. फिर 70 के दशक में बनाया अपना गैंग. डी कंपनी. इस गैंग में सबसे पहले शामिल किया अपने भाई शबीर इब्राहिम कास्कर. फिर साथ मिला छोटा राजन नाम के गुंडे का. डी कंपनी का विस्तार होता गया. इस कंपनी के मत्थे फिरौती मांगना, फिरौती वसूलना, फिरौती न देने पर पीटना, हत्या कर देना. इसके साथ ही ड्रग्स जैसे धंधे करना, बॉलीवुड में तरह-तरह से निवेश करने जैसे काम भी वो करता था.  

फिर आया देश में साल 1992. 6 दिसंबर को कारसेवकों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी. इसके परिणामस्वरूप देश भर में दंगे हुए. सबसे अधिक कत्ले-आम मचा बॉम्बे में.  जनवरी 1993 खत्म होते-होते बॉम्बे में 900 लोगों की लाशें गिरीं. मरने वालों में सबसे अधिक संख्या मुसलमानों की थी. एक गुंडा अब मसीहा बनने की असफल कोशिश करने वाला था.  
दाऊद ने मुसलमानों की हत्या का बदला लेने के लिए 12 मार्च 1993 को बॉम्बे में 12 जगह बम धमाके किये. ढाई सौ से ज्यादा लोग मारे गए. कहा जाता है कि उस समय इन धमाकों के लिए विस्फोटक से लेकर लोगों तक, सबकुछ के इंतजाम के लिए दाऊद ने 2 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च किये थे.  
धमाके की जांच हुई. पता चला कि असली मास्टरमाइंड दाऊद है. खोज की गई तो पता चला कि वो ब्लास्ट के तुरंत बाद अपने पूरे परिवार को लेकर दुबई चला गया है. और अब बॉम्बे में बचे उसके कुछ इक्का-दुक्का रिश्तेदार. जैसे बहन हसीना पार्कर, भांजे, भतीजे. कुछ दिनों बाद एक और खबर आई. दाऊद दुबई से निकलकर अब कराची चला गया है. और तब से लेकर अब तक वो कराची में ही रहता आया है.  

हम आपको बताते हैं कि वो कराची में कहाँ और कैसे रहता है? मकान नंबर 37, 30वीं डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी, क्लिफटन रोड, कराची, पाकिस्तान.  इस पते पर पहुँचने का एक लैंडमार्क भी है, सऊदी मस्जिद.  अगर आप कराची की इस सऊदी मस्जिद पर पहुंच गए, तो आपको 5 किलोमीटर चलना होगा.  आपको एक व्हाइट हाउस दिखेगा.  ये पाँच बंगलों का एक परिसर है.  सात फुट ऊंची चारदीवारी.  आसपास नारियल के लंबे पेड़.  इस व्हाइट हाउस के आसपास बहुत सारी सिक्योरिटी मिलेगी.  बहुत सारे हथियारबंद लोग मिलेंगे.  किसी बाहरी की जान फ़ना कर देने को आमादा.  इस व्हाइट हाउस के अंदर मिलता है हजारों का हत्यारा दाऊद इब्राहिम.  
इंडिया टुडे के संवाददाता कस्वर अब्बास ने साल 2011 में एक दफा इस व्हाइट हाउस का दौरा किया था.  जब उन्होंने अपने कैमरे से इस कंपाउंड की फ़ोटो खींचने की कोशिश की थी, तो एक सुरक्षाकर्मी ने फ़ोटो खींचने से मना किया.  कैमरा छीन लिया.  और मेमोरी कार्ड निकालकर ही वापिस किया.  

साल 2011 में ही दाऊद इब्राहिम से जुड़ी एक और जानकारी सामने आई.  पाकिस्तान में दाऊद का कोई नामलेवा नहीं है.  उसे वहाँ अब सुल्तान शाह के नाम से जाना जाता है.  उसने एक व्यापारी का चोगा ओढा हुआ है, लेकिन उसके भीतर का दाऊद अभी भी जिंदा है.  तभी तो उसका नाम साल 2008 के मुंबई हमलों में फाइनेंसर के तौर पर आया.  
साल 2010 के पुणे जर्मन बेकरी ब्लास्ट में नाम आया.  साथ ही नाम आया साल 2013 के IPL स्पॉट फिक्सिंग केस में.  

इन सारे कामों को दाऊद ने अंजाम दिया कराची के इसी व्हाइट हाउस में बैठकर. दाऊद के भांजे अलीशाह पार्कर ने भी साल 2022 में NIA की पूछताछ में बताया था कि उसका मामा यानी दाऊद अपनी दूसरी पत्नी महज़बीन के साथ इसी व्हाइट हाउस में रहता है. यहीं से ऑपरेशन प्लान करता है और अंजाम देता है.  
अब सवाल आता है कि दाऊद को पैसा कहाँ से मिलता है? दरअसल, दाऊद ने पाकिस्तान में अरबों का कारोबार जमा लिया है. उसने जहाजरानी उद्योग, एयरलाइंस और कपड़ों के कारखाने में निवेश कर रखा है. पाकिस्तान से बाहर भी उसने अपने हाथ-पैर फैलाए हैं.  मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, नेपाल, श्रीलंका, दुबई, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और अफ्रीका के कई देशों में वो एक्टिव है. दाऊद ने अरब देशों में बेनामी संपत्तियों में अकूत निवेश किया हुआ है.  साल 2018 में उसकी एक कॉल भी इंटरसेप्ट हुई थी, जिसमें उसके कामधाम का खुलासा हुआ था.  
उसके परिवार के जो लोग मुंबई में रह गए, वो भी कुछ न कुछ काम करते रहते हैं. पैसे जोड़ते रहते हैं. हालांकि ये बात अलग है कि अभी भी उसके परिवार के इक्का-दुक्का लोग ऐसे हैं, जो ये भी दावा करते रहते हैं कि उनके कामधाम और तमाम चीजों का दाऊद से कोई लेनादेना नहीं है.  
दाऊद की भारत में, खासकर मुंबई और महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों में, प्रॉपर्टी भी है. भारतीय एजेंसियां समय-समय पर ऐसी कई संपत्तियों की नीलामी करती रहती हैं. कुछ जानकार कहते हैं कि दाऊद के पास ऐसी बहुत सारी संपत्तियाँ हैं, जो किसी और के नाम ली गई हैं. बस दाऊद ने पैसा लगाया है. इन संपत्तियों के ब्यौरे सामने नहीं आ सके हैं, और ये ब्यौरे निकालना भी मुश्किल है. लिहाजा दाऊद के भारत के साम्राज्य पर एक डेन्ट ही लगाया जा सका है.  

पाकिस्तान में मौजूद हमारे कुछ पत्रकार साथी बताते हैं कि अगर दाऊद पर सच में हमला हो गया और यदि वो मारा भी गया, तो भी पाकिस्तान की सरकार इस पर सीधे कोई भी बयान जारी करने से बचेगी. क्योंकि ये बयान जारी करते ही दाऊद, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और आतंकवादियों के बीच का नेक्सस सामने आ जाएगा.  यानी एक सीधा सवाल अब उठता है कि अगर कभी दाऊद पर हमला हुआ, या उसकी किसी वजह से मौत हुई, तो सरकारों और मीडिया के पास पुष्टि कैसे आएगी? जवाब है डोंगरी में मौजूद एक मस्जिद से जुड़ा हुआ.  

लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब दाऊद के कत्ल की कोशिश हुई हो. समय-समय पर उसे मारने की प्लानिंग की गई.  कभी अशरफ उर्फ सपना दीदी नाम की महिला डॉन ने उसे मारने के लिए प्लान बनाया था.  क्रिकेट स्टेडियम मारने की जगह मुकर्रर हुई थी. लेकिन ये प्लान दाऊद के सामने आ गया, और उसने सपना की चाकुओं से गोदकर हत्या करवा दी.  दाऊद के पुराने सहयोगी रहे छोटा राजन ने भी अलग होकर उसे मारने की साजिश रची थी, लेकिन सफल नहीं हो पाया था. कई बार उसके कत्ल की कोशिश होने, कत्ल की अफवाह उड़ने की खबरें आती रहती हैं. कई बार कहा जाता है कि ये खबरें ISI खुद प्लांट करवाती है.  

साफ है कि दाऊद भारत में कई सारे अपराधों को लेकर वांछित है.  लेकिन वो तीन दशकों से कराची में आरामतलब ज़िंदगी बिता रहा है.  ऐसे में सवाल उठता है कि भारत सरकार दाऊद और उसके गैंग के सिंडीकेट के कितनी करीब पहुंची है? इस मसले पर लल्लनटॉप आपको तमाम अपडेट्स मुहैया कराता रहेगा.  इस उम्मीद के साथ कि बहुत सारे बेगुनाहों को न्याय मिले.  दोषियों को मिले सजा.  और देश का लोकतंत्र और उसकी पारदर्शिता लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद भवन में अखंड बना रहे.  

 

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