तारीख़ 23 फ़रवरी 2020. भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक वीडियो ट्वीट किया. इसमें वो दिल्ली के मौजपुर इलाक़े की ट्रैफ़िक लाइट पर खड़े थे. उनके बग़ल में खड़े थे दिल्ली पुलिस के DCP (नॉर्थ-ईस्ट) वेद प्रकाश सूर्य. कपिल मिश्रा ने नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के समर्थन में रैली को सम्बोधित किया. इसके बाद पुलिस को धमकी देने के अंदाज में कहा कि CAA के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाएं, वरना वो (कपिल मिश्रा और उनके समर्थक) दिल्ली पुलिस की भी नहीं सुनेंगे. उनके इस बयान पर काफ़ी बवाल हुआ था. ठीक अगले दिन यानी 24 फ़रवरी 2020 को ठीक इसी इलाक़े में दंगे भड़क गए.
इस घटना का एक साल बीता. दिन 22 फ़रवरी 2021. जगह, दिल्ली का कॉन्स्टिट्यूशन क्लब. यहां पर कपिल मिश्रा एक समारोह में हिस्सा लेने आए. और 23 फ़रवरी 2020 का काम फिर से करने की बात कह दी.
कपिल मिश्रा ने कहा,
“आज एक साल हो गया है, इसलिए ये बात दोबारा बोलना चाहता हूं. 23 फ़रवरी को पिछले साल जो किया, अगर ज़रूरत पड़े तो दोबारा कर लूंगा.”
कपिल मिश्रा “दिल्ली रायट्स : दी अनटोल्ड स्टोरी” नामक किताब के लेखकों के साथ खड़े थे. इस किताब को सुप्रीम कोर्ट की वक़ील मोनिका अरोड़ा, मिरांडा हाउस की असिस्टेंट प्रोफेसर सोनाली चितालकर और दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में शिक्षक प्रेरणा मल्होत्रा ने मिलकर लिखा है. किताब को पहले ब्लूम्ज़बरी ने छापने की योजना बनायी थी. अनावरण समारोह के कार्ड में कपिल मिश्रा का नाम दिखा. हल्ला मचा. ब्लूम्ज़बरी ने हाथ वापिस खींच लिए. फिर प्रकाशन किया गरुड़ पब्लिकेशन ने. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, कपिल मिश्रा ने इस इवेंट में कहा कि हम (दिल्ली दंगों में) इंटेलिजेन्स ब्यूरो के अफ़सर अंकित शर्मा और कॉन्स्टबल रतन लाल को नहीं बचा सके, और इसके अलावा मुझे और कोई दुख नहीं है.
कपिल मिश्रा ने आगे कहा,
“जिहादी ताक़तों ने दिल्ली में एक साल पहले दंगे कराए थे. आज भी वही पैटर्न दिख रहा है. रिपब्लिक डे के दिन जो हुआ, वो उसका उदाहरण है. कुछ शरारती तत्त्वों ने राजधानी का सुख चैन छीन लिया है. इन्हें भारत और भारत के बाहर बैठी देशविरोधी ताक़तों से मदद मिल रही है. प्रदर्शन से दंगे तक का मॉडल कैसे काम करता है, ये सबको पता ही है.”
किताब पर बात करते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि इस किताब में दंगे की साज़िश रचने वालों के बारे में ढेर सारी जानकारियां हैं. आपको इस किताब में मेरे बारे में ज़्यादा कुछ नहीं मिलेगा. कपिल ने कहा कि उनसे सवाल किए गए कि उन्होंने हिंदू पीड़ितों की मदद क्यों की, लेकिन दूसरे पक्ष के पीछे दिल्ली सरकार है, वक़्फ़ बोर्ड है, मीडिया और NGO सभी लगे हुए हैं.
लेकिन गौर कीजिए. जो कपिल मिश्रा अब कह रहे हैं कि ज़रूरत पड़ने पर वो एक साल पहले की कार्रवाई दुहरा सकते हैं, उन्होंने दिल्ली दंगों की जांच के समय दिल्ली पुलिस से कहा था कि उन्होंने कोई भड़काऊ बयान नहीं दिया था. हां. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पूछताछ में कपिल ने कहा कि उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया था और वो वहां हालात का जायज़ा लेने गए थे. ये भी कहा कि उनका मकसद CAA का विरोध करने वालों के खिलाफ धरना देना था.
कपिल मिश्रा ने कहा था,
“वो (प्रदर्शनकारी) दिल्ली में मुश्किलें खड़ी करना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने सड़कें जाम कर दीं. इसलिए उन्होंने यहां दंगे जैसे हालात पैदा कर दिए. हमने पत्थरबाज़ी नहीं की है. DCP हमारे सामने खड़े हैं. आप सभी लोगों की तरफ से, मैं उनसे ये कहना चाहता हूं कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप जब तक भारत में हैं, हम इलाके को शांति से रहने दे रहे हैं. उसके बाद, अगर सड़कें खाली नहीं हुईं, तो हम आपकी (पुलिस की) नहीं सुनेंगे. हम भी सड़कों पर आ जाएंगे.”
लेकिन पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक़, कपिल मिश्रा ने पुलिस से जांच के दौरान कहा था कि उन्होंने DCP से विनती की थी कि जाफराबाद और चांद बाग इलाके से एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों को हटा दें, नहीं तो वो (कपिल) फिर ‘धरने’ पर बैठेंगे.
इसके आगे पूछताछ में कपिल मिश्रा ने पुलिस को बताया कि एंटी-CAA प्रदर्शनकारियों की वजह से स्थानीय निवासियों को अपनी दुकान चलाने और बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत हो रही थी. यहां तक कि एंबुलेंस भी उस एरिया से नहीं निकल पा रही थी. चार्जशीट के मुताबिक, कपिल ने पुलिस से कहा, “मुस्लिमों ने दो-तीन महीने से सड़क जाम करके रखी थी. मुस्लिम लोगों ने वहां डर और आतंक का माहौल बनाकर रखा था.”
यानी जांच के दौरान धरने की बात कही. फिर एक समारोह में शामिल हुए तो कहा कि ज़रूरत पड़ी तो एक साल पहले का काम फिर से करेंगे.
दिल्ली दंगा: कपिल मिश्रा ने पुलिस से कहा, ‘मैंने कोई भाषण नहीं दिया था’