इकनॉमिक्स के इस साल के नोबेल पुरस्कार का ऐलान हो गया है. जीतने वाले हैं 3 लोग. नाम हैं- डेविड कार्ड, जोशुआ डी एंग्रिस्ट और गुइडो डब्ल्यू इम्बेंस. आधा नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा डेविड कार्ड को और बाकी आधा जोशुआ और गुइडो को.
BREAKING NEWS:
The 2021 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded with one half to David Card and the other half jointly to Joshua D. Angrist and Guido W. Imbens.#NobelPrize pic.twitter.com/nkMjWai4Gn— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 11, 2021
इकनॉमिक्स का नोबेल हर साल सबसे आख़िर में दिया जाता है और इसी के साथ उस साल की फेहरिस्त पूरी हो जाती है. ऐसा ही इस साल भी हुआ. इकनॉमिक्स के लिए नोबेल पुरस्कार का ऐलान होते ही विजेताओं की लिस्ट पूरी हो चुकी है. पहले इस लिस्ट का रिवीज़न करा देते हैं, फिर बताएंगे इकनॉमिक्स में जीतने वालों ने क्या ख़ास किया है.
चिकित्सा का नोबेल – डेविड जूलियस और आर्डेम पेटापोशियन.
भौतिकी का नोबेल – सुकुरो मनाबे, क्लॉस हेसलमैन और जॉर्जियो परिसी.
रसायन विज्ञान का नोबेल – बेंजामिन लिस्ट और डेविड डब्ल्यूसी मैकमिलन.
साहित्य का नोबेल – अब्दुलरजाक गुरनाह.
शांति का नोबेल – मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव.
…और इकनॉमिक्स का नोबेल
इसके लिए क्या ख़ास किया इन 3 विजेताओं ने? इनमें जो डेविड कार्ड साब हैं, ये कनाडा में पैदा हुए हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफर्निया में पढ़ाते हैं. इन्होंने इस बात पर रिसर्च किया कि क्या न्यूनतम वेतन घटने-बढ़ने का हायरिंग की दर पर कोई असर पड़ता है या नहीं? आम तौर पर अब तक माना जाता रहा है कि जब कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन बढ़ाया जाता है तो हायरिंग की दर कम होती है. माने तनख़्वाह ज़्यादा तो नौकरियां कम.
लेकिन कार्ड ने अपने रिसर्च से साबित किया कि असल में ऐसा नहीं होता. न्यूनतम वेतन बढ़ाने पर हायरिंग पर कोई असर नहीं दिखा. यानी उन्होंने अर्थशास्त्र से जुड़ी एक पुरानी मान्यता को तोड़ दिया. इसलिए आधे नोबेल पुरस्कार के ये अकेले हक़दार बने.
कार्ड ने अपने रिसर्च से ये अवधारणा भी तोड़ी कि जब किसी जगह पर बहुत से प्रवासी लोग काम करने आ जाते हैं तो वहां के पैदाइशी लोगों के वेतन पर असर पड़ता है. बल्कि उन्होंने तो ये साबित कर दिया कि प्रवासी श्रमिकों के आने से पैदाइशी लोगों के लिए भी वेतन के अवसर बढ़ते हैं.
कार्ड के अलावा बाकी दो विजेता हैं- जोशुआ, जो मैसच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में पढ़ाते हैं और गुइडो, जो स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. इन दोनों ने मिलकर अर्थशास्त्रियों के लिए कुछ ऐसे रिसर्च मेथड्स खोजे हैं, जो उन्हें पारंपरिक और वैज्ञानिक मेथड्स अप्लाई न कर पाने पर भी नतीजा दे सकें. ये दोनों अर्थशास्त्र विशेषज्ञ पुरस्कार की आधी राशि बराबर-बराबर साझा करेंगे.
नोबेल जीतने वाले को मिलता है एक गोल्ड मेडल और 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनोर. यानी करीब 85300021.32 रुपए होता है. इकाई दहाई सैकड़ा में जोड़ें तो ये होता है 8 करोड़ 53 लाख 21 रुपए और 32 पैसे.
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने जनता को दाने-दाने के लिए क्यों तरसाया?