इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) को दिया गया है. इस संस्था की ओर से भूख से निपटने के लिए किए गए उल्लेखनीय प्रयासों के लिए यह सम्मान दिया गया है.
नॉर्वे की नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन ने नोबेल शांत पुरस्कार के विजेता के नाम की घोषणा की. उन्होंने बताया कि 2019 में 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों तक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की ओर सहायता पहुंची. डब्ल्यूएफपी दुनियाभर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है. कोरोना के दौर में इस संगठन का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है.
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The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2020 Nobel Peace Prize to the World Food Programme (WFP).#NobelPrize #NobelPeacePrize pic.twitter.com/fjnKfXjE3E— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 9, 2020
डॉनल्ड ट्रंप भी रेस में थे
नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए इस साल 318 नामांकन आए. इनमें 211 शख्सियतें और 107 संगठन शामिल थे. खबर आई थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इस बार के शांति पुरस्कार की दौड़ में हैं. उनके अलावा हॉन्ग-कॉन्ग के लोग, उइगुर बुद्धिजीवी इलहाम तोहती, नाटो, पर्यावरणविद राओनी मेटुकतिरे, व्हिसल ब्लोअर जूलियन असांज, एडवर्ड स्नोडन और चेल्सी मैनिंग को भी नामांकित किया गया था.
पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को दिया गया. एरिट्रिया के साथ जंग के बाद रिश्तों में 20 साल से चले आ रहे ठहराव को खत्म करने के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया था.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम क्या है?
यह संगठन 1961 से दुनियाभर में भूख के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य सुरक्षा के जरिए देशों की आबादी को बुनियादी ताकत दी जा सके. WFP दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है. यह खाद्य सुरक्षा को शांति का औजार बनाने में बहुपक्षीय सहयोग में अहम भूमिका निभाता है.
कोरोना महामारी के दौर में WFP ने सबसे बुनियादी जरूरत को अपना हथियार बनाया. भूख की वजह से इस साल जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा हो गया. ऐसे में WFP ने अपनी कोशिशों को और तेज कर दिया. संगठन का कहना है कि जब तक इस वायरस से लड़ने के लिए मेडिकल वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक भोजन ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है.
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