अमनमणि त्रिपाठी. यूपी के महाराजगंज जिले के नौतनवा से निर्दलीय विधायक. सज़ायाफ़्ता पूर्व विधायक, यूपी सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बेटे. अमनमणि त्रिपाठी को रविवार रात यानी 3 मई को उत्तराखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने और पुलिसकर्मियों से अभद्रता करने के आरोप में. पूरे लावालश्कर समेत. बाद में निजी मुचलके पर विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके सहयोगियों को रिहा किया गया.
मामला जानिए
अमनमणि त्रिपाठी ने उत्तराखंड प्रशासन को पत्र लिखा. वाहन का पास मांगने के लिए. और किस मक़सद के लिए वाहन का पास मांगा गया? कहा गया कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृकार्य के लिए देहरादून से आगे बद्रीनाथ और केदारनाथ तक जाना है. देहरादून प्रशासन को पत्र लिखा गया. उत्तराखंड शासन के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की तरह से पत्र भी जारी किया गया. अमनमणि समेत 11 लोगों को. तीन गाड़ियों में इन लोगों को यात्रा करनी थी. यात्रा का विवरण क्या था?
2 मई : देहरादून से श्रीनगर
3 मई : श्रीनगर से बद्रीनाथ
5 मई : बद्रीनाथ से केदारनाथ
7 मई : केदारनाथ से देहरादून
अब तयशुदा तारीख़ों पर यात्रा शुरू तो हो गयी, लेकिन 3 मई को विधायक का तीन गाड़ियों का क़ाफ़िला चमोली जिले के कर्णप्रयाग में गौचर चेकपोस्ट पर रोक दिया गया. कहा गया कि आगे नहीं जा सकते हैं. लेकिन ख़बरें बताती हैं कि विधायक अमनमणि त्रिपाठी गौचर चेकपोस्ट पर मौजूद पुलिसकर्मियों से अभद्रता करने लगे. पहले तो बताया कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य के लिए बद्रीनाथ जा रहे हैं. उत्तराखंड प्रशासन द्वारा दिया गया लेटर भी दिखाया. तक़रीर की. लेकिन फिर भी उत्तराखंड पुलिस ने उन्हें आगे जाने नहीं दिया. सूचना दी गयी कर्णप्रयाग के एसडीएम वैभव गुप्ता को.

वैभव गुप्ता ने अमनमणि त्रिपाठी से फ़ोन पर बात की. दैनिक जागरण से बातचीत में वैभव गुप्ता ने बताया कि उन्होंने फोन पर अमनमणि त्रिपाठी को नियमों की जानकारी दी. कहा गया कि भले ही उनके पास अनुमति है, लेकिन नियमानुसार उन्हें क्वॉरंटीन करना होगा. लेकिन अमनमणि एसडीएम की बात सुनने को तैयार नहीं थे. बारहा अनुमति पत्र का हवाला दे रहे थे. इसके बाद अभद्रता करने लगे.
क्या योगी के पिता को बहाने की तरह इस्तेमाल किया अमनमणि ने?
एसडीएम के बाद उनकी बात हुई चमोली की ज़िलाधिकारी स्वाति भदौरिया और पुलिस अधीक्षक यशवंत चौहान से. अधिकारियों ने विधायक अमनमणि त्रिपाठी को जानकारी दी कि बद्रीनाथ के कपाट बंद हैं. लिहाज़ा उन्हें आगे जाने की परमिशन नहीं दी जा सकती है. पुलिस और प्रशासन का बढ़ता हुआ दबाव देखकर अमनमणि त्रिपाठी का क़ाफ़िला लौट गया. थोड़ी देर बाद डीएम और एसएसपी भी गौचर चेकपोस्ट पहुंचे, लेकिन विधायक वहां से वापिस लौट चुके थे.
अब होनी थी विधायक अमनमणि की गिरफ़्तारी. ऋषिकेश के पास मौजूद मुनि की रेती पुलिस चौकी ने विधायक के क़ाफ़िले को रोक लिया. पहले से ही पुलिस अलर्ट थी. कह दिया गया था कि लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं. सभी के खिलाफ़ सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन, लॉकडाउन का उल्लंघन और संक्रमित महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. बाद में निजी मुचलके पर रिहा किए गए.
अब राज्य के अपर मुख्य सचिव ने अनुमति दी. लेकिन उस अनुमति के बावजूद विधायक अमनमणि को आगे जाने नहीं दिया गया. अलबत्ता गिरफ़्तार कर लिया गया. इसके बारे में मीडिया ने जब उत्तराखंड के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री धन सिंह रावत से पूछा था तो कहा कि अनुमति किस आधार पर दी गयी, इसकी जांच की जाएगी. अमनमणि को दी गयी परमिशन पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि लॉकडाउन के समय एक समय पर 5 से अधिक लोगों के यात्रा करने पर रोक है.
यहां एक और बात सामने आ रही है. योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट के पितृकार्य का हवाला अमनमणि ने दिया था, लेकिन योगी आदित्यनाथ के भाई महेंद्र ने आजतक से बातचीत में किसी भी क़िस्म के पितृकार्य की जानकारी और योजना से इंकार किया है. ऐसे में ये भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमनमणि ने बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने के लिए बहाने का इस्तेमाल किया?
कौन हैं अमनमणि त्रिपाठी?
एकाध दशक पहले की राजनीति में रुचि रखने वालों को एक नाम पता होगा. अमरमणि त्रिपाठी. अमनमणि त्रिपाठी के पापा. अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि इस समय जेल में हैं. लखनऊ की एक लेखिका मधुमिता शुक्ला के हत्या के जुर्म में. अमरमणि जब जेल चले गए. तो मैदान में आए अमनमणि. 2012 में सपा के टिकट पर घरेलू नौतनवा सीट से चुनाव लड़ा. हार गए. उसके कुछ दिनों बाद अमनमणि पर भी हत्या के आरोप लगे. अपनी पत्नी सारा सिंह की हत्या का आरोप.

सारा की मां सीमा सिंह ने अखिलेश यादव से गुहार लगाई कि हत्या के आरोपी को उनकी पार्टी समर्थन क्यों दे रही है. सपा ने हाथ वापिस खींच लिया. मामला आगे बढ़ा. 2017 में नौतनवा सीट से चुनाव लड़ा. जेल में ही रहकर. उनकी बहनें उनका प्रचार कर रही थीं. जीत गए.
भाजपा में शामिल होना लम्बे समय से ख़्वाहिश में शामिल
कहते हैं कि अमनमणि का एक पुराना ख़्वाब है कि भाजपा में जगह मिल जाए. चुनाव जीतने के बाद जब ज़मानत पर बाहर आए तो यूपी के नए नवेले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ गोरखनाथ मंदिर में जनता दरबार में शिरकत की. योगी आदित्यनाथ की आलोचना भी हुई थी. लेकिन बात आई गयी हो गयी. बाद में गोरखनाथ मंदिर के बाहर जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या भाजपा में शामिल होने के योजना है? अमरमणि ने कहा, ‘क्यों नहीं? महाराज जी (योगी) मेरे अभिभावक हैं. वो जो कहेंगे, उसका पालन किया जाएगा.
अब बद्रीनाथ केदारनाथ यात्रा, बहाना और गिरफ़्तारी के मसले पर पक्ष जानने के लिए हमने अमनमणि त्रिपाठी से बात करने की कोशिश की. फोन का कोई जवाब नहीं. मैसेज भेजे. उनका भी कोई जवाब नहीं. कोई जवाब आता है, तो आपको ज़रूर बतायेंगे.
लेकिन अमनमणि का जवाब आए, उसके पहले यूपी सरकार का जवाब आ गया है. कहा है कि उत्तराखंड जाने का फ़ैसला विधायक का अपना फ़ैसला था. यूपी सरकार ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी. उनके उत्तराखंड जाने के फ़ैसले में सरकार या मुख्यमंत्री को शामिल करना वाजिब नहीं है.
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