इंडियन एयरफोर्स की ताकत और बढ़ने वाली है. इसके बेड़े में जल्द ही 83 तेजस विमान शामिल होंगे. लड़ाकू विमान तेजस की 48 हजार करोड़ की डील को कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मंजूरी मिल गई है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में CCS ने डील को मंजूरी दी है. डील पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वायुसेना की मजबूती के लिए ये फैसला लिया गया है. राजनाथ सिंह ने कहा कि ये डील रक्षा क्षेत्र में गेमचेंजर साबित होगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने और क्या कहा?
राजनाथ सिंह इस फैसले से काफी उत्साहित नजर आए. उन्होंने इसे गेमचेंजर कहा. उन्होंने फैसले की तारीफ करते ट्वीट किया,
आज लिया गया फैसला मौजूदा एलसीए तंत्र का काफी विस्तार करेगा और नौकरी के नए अवसर पैदा करने में मदद करेगा. पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली CCS ने आज ऐतिहासिक रूप से सबसे बड़ी स्वदेशी रक्षा डील पर मुहर लगा दी है. ये डील 48 हजार करोड़ रुपये की है. इससे हमारी वायुसेना के बेड़े की ताकत स्वदेशी ‘LCA तेजस’ के जरिए मजबूत होगी. भारत की डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग के लिए ये डील गेमचेंजर साबित होगी.
The CCS chaired by PM Sh. @narendramodi today approved the largest indigenous defence procurement deal worth about 48000 Crores to strengthen IAF’s fleet of homegrown fighter jet ‘LCA-Tejas’. This deal will be a game changer for self reliance in the Indian defence manufacturing.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 13, 2021
अटल बिहारी वाजेपीई ने दिया था तेजस नाम
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बनाए गए इस विमान का आधिकारिक नाम ‘तेजस’ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने दिया था. यह संस्कृत का शब्द है. जिसका अर्थ होता है अत्यधिक ताकतवर. HAL ने इस विमान को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) यानी हल्का युद्धक विमान प्रोजेक्ट के तहत बनाया है. बता दें कि तेजस हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मिसाइल दाग सकता है. इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं. तेजस 42% कार्बन फाइबर, 43% एल्यूमीनियम एलॉय और टाइटेनियम से बनाया गया है. तेजस स्वदेशी चौथी पीढ़ी का टेललेस कंपाउंड डेल्टा विंग विमान है. ये चौथी पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के समूह में सबसे हल्का और सबसे छोटा है. हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस को भारतीय वायुसेना द्वारा पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान सीमा के करीब तैनात किया गया है. इसकी दूसरी खासियतों में शुमार हैं.

फुर्तीला और ताकतवर है तेजस
इस विमान पर 6 तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइले तैनात हो सकती हैं. ये हैं- डर्बी, पाइथन-5, आर-73, अस्त्र, असराम, मेटियोर. दो तरह की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें यानी ब्रह्मोस-एनजी और डीआरडीओ एंटी-रेडिएशन मिसाइल और ब्रह्मोस-एनजी एंटी शिप मिसाइल. इसके अलावा इसपर लेजर गाइडेड बम, ग्लाइड बम और क्लस्टर वेपन लगाए जा सकते हैं. तेजस को काफी फुर्तीला और ताकतवर माना जाता है. इसके आंकड़े कुछ इस तरस से हैं. # 2222 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम. # 3000 किमी की दूरी तक एक बार में भर सकता है उड़ान. # 43.4 फीट लंबा और 14.9 फीट ऊंचा है तेजस फाइटर. # 13,500 किलो वजन होता है सभी हथियारों के साथ.
तेजस बनाने का कारण था ‘फ्लाइंग कॉफिन’ को हटाना
कभी देश की शान रहे मिग-21 विमान अब पुराने हो चुके हैं. इनकी वजह से एयरफोर्स के करीब 43 जवान शहीद हो चुके हैं. इसलिए इन्हें फ्लाइंग कॉफिन भी कहते हैं. देश में पिछले 45 साल में करीब 465 मिग विमान गिर चुके हैं. वो भी दुश्मन से बिना लड़े. जंग के मैदान में तो सिर्फ 11 मिग विमान गिरे हैं. नए विमान की जरूरत देश को पड़ेगी, इसकी तैयारी 1980 में ही शुरू कर दी गई थी. करीब, दो दशकों की तैयारी और विकास के बाद 4 जनवरी 2001 को तेजस ने अपनी पहली उड़ान भरी थी.
वायुसेना – जो तेजस का इंतज़ार 37 साल से कर रही है
भारतीय वायुसेना तक तेजस के पहुंचने का सफर काफी लंबा रहा है. तेजस की परिकल्पना और उसके धरातल पर उतरने में 37 साल का वक्त लग गया. वायुसेना एक वक्त तक तेजस से कतराती रही है. लेकिन तेजस पर जितना वक्त और संसाधन खर्च हो चुके थे, उसे देखते हुए उसे पूरी तरह खारिज करना लगभग नाममुकिन था. आखिरकार वायुसेना ने एचएएल को 40 तेजस मार्क 1 का ऑडर दे दिया. सब जानते थे कि तेजस मार्क 1 को फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (एफ.ओ.सी.) हासिल करने में वक्त था. इस सर्टिफिकेट के बाद ही किसी फाइटर जेट को लड़ाई में उतरने लायक माना जाता है. तो सौदा इस तरह तैयार किया गया कि एचएएल आधे जेट इनीशियल ऑपरेशनल क्लीयरेंस के साथ ही वायुसेना को दे सके. लेकिन एचएएल इस छूट के साथ भी ऑडर को समय पर पूरा नहीं कर पाया. 2016 से लेकर 2019 की फरवरी तक एचएएल ने महज़ 16 जेट बनाए जिन्हें एचएएल के सीएमडी आर. माधवन ने एयरो इंडिया 2019 के वक्त ‘ऑलमोस्ट फुली डिलीवर्ड’ बताया था. इसका एक मतलब ये भी था कि इन 16 जेट्स में भी कुछ ऐसे थे जो अपने अंतिम रूप में नहीं थे. सनद रहे कि हम इनीशियल ऑपरेशन सर्टिफिकेट वाले तेजस की बात कर रहे हैं. एचएएल ने लगभग चार साल में 16 तेजस बनाए. जबकि सोच ये थी कि एचएएल हर साल 18 तेजस बनाएगा जो वायुसेना के बेड़े से लगातार रिटायर हो रहे जहाज़ों की जगह लेते रहेंगे. फिलहाल भारतीय वायुसेना का नंबर 45 स्कॉड्रन तेजस उड़ा रहा है और ये सभी जहाज़ फिलहाल तमिलनाडु के सुलुर एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात हैं.
तेजस – लेकिन किस कीमत पर?
2018 में भारतीय वायुसेना ने एचएएल को एक और रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल भेजकर 83 तेजस मार्क 1 ए खरीदने की इच्छा जताई थी. तेजस मार्क 1 वायुसेना की सभी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सकता. वायुसेना की दिलचस्पी है तेजस मार्क 2 में. लेकिन चूंकि मार्क 2 के बनने में अभी काफी वक्त है, एक बीच का रास्ता निकाला गया. तेजस मार्क 1 ए – तेजस मार्क 1 का थोड़ा उन्नत संस्करण. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दावा है कि मार्क 1 ए भारत के लिए काफी उन्नत साबित होगा. उन्होंने आज ट्वीट किया
तेजस आने वाले वक्त में भारतीय एयरफोर्स की रीढ़ की हड्डी बनेगा. नए तेजस में कई तरह की नई तकनीकें सहेजी गई हैं. इससे पहले ये भारत में ऐसा नहीं हुआ है. तजस के अभी बन रहे संस्करण में 50 फीसदी देसी सामान लगा है. मार्क 1 ए में इसे 60 फीसदी किया जाएगा
The LCA-Tejas is going to be the backbone of the IAF fighter fleet in years to come. LCA-Tejas incorporates a large number of new technologies many of which were never attempted in India. The indigenous content of LCA-Tejas is 50% in Mk1A variant which will be enhanced to 60%. — Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 13, 2021
हालांकि वायुसेना ने तकरीबन 2 साल पहले तेजस के सौदे पर तकरीबन 50 हज़ार करोड़ खर्च करने का मन बनाया हुआ था. लेकिन जून 2018 में इस सौदे को लेकर एक बेहद निराश करने वाली रिपोर्ट सामने आ गई. इंडियन एक्सप्रेस में सुशांत सिंह ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि एचएएल ने तेजस मार्क 1 ए की कीमत 463 करोड़ प्रति जेट बताई थी. इस आंकड़े को नीचे लिखी बातों के आलोक में देखिए –
# एचएएल नासिक में सुखोई 30 एमकेआई 415 करोड़ में असेंबल कर देता है; यही जेट रूस 330 करोड़ में सप्लाई कर देता है.
# स्वीडन की रक्षा कंपनी साब अपना ग्राइपेन फाइटर जेट 455 करोड़ की कीमत पर भारत में बनाने को तैयार थी.
# अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन अपना एफ- 16 भारत में 380 करोड़ की कीमत पर बनाने को तैयार थी.
ये बात स्थापित है कि जिन तीनों जेट्स की हमने बात की है, वो तेजस मार्क 1 ए से कहीं उन्नत हैं. फिर भी कहीं कम कीमत पर उपलब्ध हैं. एचएएल ने जो तेजस मार्क वन वायुसेना को इससे पहले दिया है, उसकी कीमत भी 350 करोड़ के आस-पास थी. सरकार तक इस बात पर हैरान थी कि महज़ एक अपग्रेड तेजस की कीमत को सीधे 100 करोड़ कैसे बढ़ा सकता है. इसके बाद रक्षा मंत्रालय के प्रमुख सलाहकार (मूल्य) की अध्यक्षता में एक कमेटी बैठा दी गई जिसे भारत में रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों में बनने वाले साज़ो-सामान की कीमतों की समीक्षा करनी थी.
आपको बता दें कि कैबिनेट ने जिस रेट पर तेजस को मंजूरी दी है उस हिसाब से एक तेजस 5 78 करोड़ रुपए के आसपास पड़ेगा. हालांकि इसे बनने में भारत को जो अनुभव मिलेगा उसकी कीमत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.
फिलहाल भारत को एक स्वदेसी विमान मिलने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि अभी यह सैद्धांतिक सहमत ही है. विमान के बन कर एयरफोर्स तक पहुंचने में वक्त लगेगा. कितना? ये तो एचएएल और बाकी सिस्टम की तेजी पर निर्भर करता है और इसका जवाब वक्त ही बताएगा.
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