गोरखपुर के एक होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत के मामले में 6 पुलिसवालों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ है. रामगढ़ताल थाने के इंस्पेक्टर जेएन सिंह का नाम भी इसमें शामिल है. उन पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं. इंस्पेक्टर जगत नारायन सिंह को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता है. गोरखपुर जिले में कार्यकाल के दौरान उन्होंने चार बदमाशों के पैर में गोली मारी थी.
इन बदमाशों के नाम सिकंदर, अमित, राधे यादव और हरिओम कश्यप हैं. सिकंदर को गोली मारने से पहले जेएन सिंह ने रामगढ़ताल में ही अमित को गोली मारकर गिरफ्तार किया था. बांसगांव इंस्पेक्टर रहते हुए उन्होंने बदमाश राधे यादव को गोली मारी थी. वहीं, झंगहा में इंस्पेक्टर रहते हुए हरिओम कश्यप के पैर में गोली मारी थी.
इंस्पेक्टर जगत नारायन सिंह एनकाउंटर की बदौलत ही सिपाही से आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर बने. हालांकि उनका नाम विवादों में रहा है. उन पर वसूली से लेकर फर्जी मुकदमें में फंसाकर जेल भेजने की धमकी देने जैसे आरोप लगते रहे हैं.
गौतम सिंह केस:
इसी साल 13 अगस्त को रामगढ़ताल पुलिस की कस्टडी में 20 वर्षीय गौतम सिंह की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. बाद में पुलिस ने केस दर्ज किया. उसमें ये दिखाया कि गायघाट बुजुर्ग में प्रेमिका से मिलने गए युवक की लड़की के परिवार वालों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. वहीं परिजनों का आरोप था कि युवक की मौत पुलिस की पिटाई से हुई. ये भी पता चला कि युवक की पुलिस की गाड़ी में मौत हुई थी जिसमें इंस्पेक्टर जेएन सिंह मौजूद थे. हालांकि पुलिस ने इस मामले को दूसरा एंगल देकर रफा-दफा कर दिया था.
सोनू की मौत का मामला:
बांसगांव इंस्पेक्टर रहने के दौरान जेएन सिंह पर गंभीर आरोप लगे. वहां के थाने में शुभम उर्फ सोनू कुमार नाम के शख्स के खिलाफ हत्या के प्रयास का केस दर्ज था. पुलिस ने उसे 11 अक्तूबर 2020 को डिघवा तिराहे से गिरफ्तार कर लिया और जेल भिजवा दिया. 7 नवंबर को जेल में उसकी मौत हो गई. इस मामले में फिर पुलिस पर आरोप लगा कि शुभम की मौत पिटाई से हुई है. तब तत्कालीन चौकी इंचार्ज को सस्पेंड किया गया था.
मनीष गुप्ता मामला
अब एक बार फिर कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या का आरोप इंस्पेक्टर जेएन सिंह पर लगा है. जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें साफ देखा जा सकता है कि दो पुलिसवाले होटल के कमरे में आईडी चेक कर रहे हैं. ये दोनों पुलिसवाले इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा हैं. दोनों कमरे में मौजूद लोगों से पूछताछ भी करते दिखे रहे हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 27 और 28 सितंबर की दरम्यानी रात करीब साढ़े बारह बजे रामगढ़ताल थाने की पुलिस जांच करने पहुंची थी. इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा. दोनों ने मनीषा गुप्ता के कमरे का दरवाजा खुलवाया. आईडी दिखाने को लेकर मनीष की पुलिसवालों से बहस हुई. आरोप है कि पुलिसवालों ने पीड़ित मनीष को इतना मारा कि वो ख़ून से तरबतर हो गए. पुलिस वाले मनीष को अस्पताल ले गए, जहां उनकी मौत हो गई.
कानपुर में तैनाती रही है
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह कानपुर में भी तैनात रहा है. पुलिस विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक जगत नारायण सिंह 8 जुलाई 2017 को कानपुर में तबादला होकर आया था. तब वह दरोगा था. आने के चार दिन बाद यानी 12 जुलाई 2017 को उसको पनकी थाने का एसओ बना दिया गया था. यहां वह 27 अक्तूबर 2017 तक रहा था. इसके बाद उसका तबादला कानपुर देहात हो गया था. कानपुर में जेएन सिंह के कार्यकाल के दौरान तैनात रहे एक पुलिसकर्मी के मुताबिक, जगत नारायण आम लोगों से बहुत ही अड़ियल और अभद्रता से बातचीत करता था. कइयों से उसकी नोकझोंक हुई थी. यही नहीं तीन महीने के कार्यकाल में तमाम आरोप उस पर लगे थे, यही वजह है कि वह यहां टिक नहीं पाया था.
वहीं रामगढ़ताल थाने के प्रभारी पद पर इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह की तैनाती 22 जनवरी को हुई थी. नौ महीने के अब तक का कार्यकाल भी विवादित रहा है.
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