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लखीमपुर केस: आशीष मिश्रा की मुश्किलें बढ़ीं, गंभीर धाराएं लगाने की मंजूरी मिली

हत्या के प्रयास के आरोप पर लगने वाली धारा 307 भी शामिल है.

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Lakhimpur Kheri Violence मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों पर गाड़ियां चढ़ाने का आरोप है. (फोटो: PTI)
Lakhimpur Kheri Violence मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों पर गाड़ियां चढ़ाने का आरोप है. (फोटो: PTI)
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14 दिसंबर 2021 (Updated: 14 दिसंबर 2021, 15:13 IST)
Updated: 14 दिसंबर 2021 15:13 IST
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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में स्थानीय अदालत ने आशीष मिश्रा और अन्य आरोपियों के खिलाफ नई धाराएं लगाने की मंजूरी दे दी है. इस मामले की जांच के लिए बनाई गई SIT के जांच अधिकारी विद्या राम दिवाकर ने याचिका डालकर ये मंजूरी मांगी थी. इंडिया टुडे/आजतक की खबर के मुताबिक उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए लखीमपुर सीजेएम कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 326 (खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाना), 34 (एक समूह में घटना को अंजाम देना) और लाइसेंसी एक्ट के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है. आशीष मिश्रा, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र हैं. उनके ऊपर अपने साथियों के साथ किसानों को गाड़ियों से रौंदने का आरोप है. पहले लगी थीं ये धाराएं इससे पहले इस पूरे मामले में आशीष मिश्रा और बाकी के 13 आरोपियों के ऊपर पुलिस ने गैर इरादतन हत्या और लापरवाही से गाड़ी चलाने की धाराओं में मामला दर्ज किया था. बाद में SIT ने अपनी जांच में पाया कि आरोपियों के ऊपर गंभीर धाराएं लगाए जाने की जरूरत है. SIT की तरफ से कोर्ट को यह भी बताया गया कि आरोपियों ने बहुत सोच समझकर और पूरी प्लानिंग के साथ घटना को अंजाम दिया था.
कोर्ट की तरफ से इन नई धाराओं में मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने के बाद आशीष मिश्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. क्योंकि आईपीसी की धारा 307 एक गैर-जमानती धारा है. ऐसे में आशीष मिश्रा अब लंबे समय तक सलाखों के पीछे रह सकते हैं.
Lakhimpur Kheri Violence Post Martum
लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें 4 किसान, 1 पत्रकार भी शामिल थे.(फोटो पीटीआई)

यह पूरा घटनाक्रम बीती 3 अक्टूबर से शुरू हुआ. उस दिन लखीमपुर के तिकुनिया इलाके में प्रदर्शनकारी किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा था. उनका काफिला बढ़ ही रहा था कि इस बीच तीन गाड़ियां कई किसानों को टक्कर मारते हुए निकल गईं. इससे चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई. इसके बाद गुस्साई भीड़ ने तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मार डाला था. कड़ी कार्रवाई की मांग हुई थी घटना के बाद दो FIR हुईं. एक में आरोप आशीष मिश्रा पर लगा. कहा गया कि जिन गाड़ियों ने किसानों को कुचला, उनमें से एक में आशीष मिश्रा मौजूद थे. इस FIR के बाद पुलिस ने आशीष मिश्रा और 13 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इनके ऊपर गोलियां चलाने का भी आरोप लगा. दूसरी FIR बीजेपी कार्यकर्ताओं की भीड़ हत्या के संबंध में हुई. इसके तहत पुलिस ने कुछ किसानों को अरेस्ट किया.
इस पूरे घटनाक्रम के बाद तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा और विपक्षी पार्टियों ने आशीष मिश्रा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. बाद में यूपी सरकार ने मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया. साथ ही साथ मृतक किसानों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा भी की. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच को मॉनिटर करने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार जैन की नियुक्ति भी की.

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