नकली सरकारी अधिकारी बनकर ठगने के मामले तो कई बार सामने आते हैं, लेकिन यह कुछ अलग है. कोलकाता पुलिस ने एक नकली IAS ऑफिसर को पकड़ा है. इस शख्स ने कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का जॉइंट कमिश्नर बनकर कोरोना वैक्सीन कार्यक्रम ही चला दिया था. नीली बत्ती लगी कार से चलता था. रौब जमाने के लिए नकली आईकार्ड और दूसरे डॉक्युमेंट्स भी बनवा रखे थे. यहां तक कि इसके धोखे में टीएमसी सांसद और फिल्म अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती भी आ गईं.
सांसद के साथ सैकड़ों ने लगवाई वैक्सीन
नाम- देबांजन देव. अपराध- फर्जी IAS अधिकारी बनकर लोगों को ठगना. लेकिन इस बार देबांजन ने ठगी के गेम एक लेवल ऊपर पहुंचा दिया था. उसने कोलकाता म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के नाम से शहर की यूको बैंक बिल्डिंग, राजदांगा मेन रोड, वार्ड 107 में वैक्सीनेशन का कार्यक्रम आयोजित करा दिया. कार्यक्रम इतने सॉफेस्टिकेटेड तरीके से आयोजित किया गया कि टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती भी धोखा खा गईं. इंडिया टुडे के अनुसार, कोलकाता में हुए इस वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा देने के लिए मिमी चक्रवर्ती न सिर्फ वहां पहुंची, बल्कि उन्होंने खुद वैक्सीन का डोज़ भी लिया. उनके साथ 200-250 दूसरे लोगों ने भी कार्यक्रम में कोरोना की वैक्सीन लगवाई.
इस बात से लोगों को हुआ शक
कार्यक्रम तो शानदार था, लेकिन उसे लेकर पहला शक तब हुआ, जब पता चला कि यहां वैक्सीनेशन के रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड की जरूरत नहीं है. इसके अलावा वैक्सीन लगवाने वाले को न तो एसएमएस आ रहा था और न ही उनके वैक्सीनेशन का स्टेटस पता चल पा रहा था. जबकि वैक्सीन लगवाने के लिए आईडी के साथ रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है. इसके अलावा शक की एक वजह प्रशासन को इस वैक्सीनेशन कैंप की कानोंकान खबर न होना भी थी. अमूमन जब ऐसा कोई कार्यक्रम होता है तो लोकल पुलिस स्टेशन और इलाके के बरो (borough) चेयरमैन या काउंसिलर को खबर दी जाती है. लेकिन इस वैक्सीनेशन कार्यक्रम की जानकारी इनमें से किसी के पास नहीं थी. बरो चेयरमैन सुभाष घोष को शंका हुई. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने इस बारे में कोलकाता म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (KMC) के स्पेशल कमिश्नर से बात की. पता चला कि इलाके में ऐसा कोई कार्यक्रम KMC नहीं चला रहा है. इसके बाद कस्बा पुलिस को जानकारी दी गई.

बिना परमीशन कैसे किया प्रोग्राम?
22 जून की शाम करीब 6 बजे पुलिस मौके पर पहुंची. आयोजकों से पूछताछ की. पुलिस सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि देबांजन ने खुद का परिचय एक IAS अधिकारी के तौर पर दिया. उसने अपना परिचय पत्र भी दिखाया. इसके बावजूद पुलिस को उसकी बातों पर शक हुआ. वह देबांजन को गिरफ्तार करके पुलिस स्टेशन ले आई. इसके बाद जब देबांजन से कड़ी पूछताछ की गई तो वह टूट गया. पुलिस के मुताबिक, उसने अपना गुनाह कबूल लिया. उसके पास से कई फर्जी डॉक्युमेंट्स बरामद हुए. इनमें फर्जी परिचय पत्र, सरकारी मुहरें, वैक्सीनेशन से जुड़े कागजात शामिल थे. पुलिस ने उसके पास से नीली बत्ती लगी कार भी जब्त की. पुलिस कहना है कि कार के आगे जो झंडा लगाया गया है, वह भी फर्जी है.
पुलिस हालांकि अभी कुछ सवालों का पता लगाने में जुटी है. मिसाल के तौर पर आखिर उसने क्यों फर्जी IAS के तौर पर वैक्सीनेशन के इस कार्यक्रम का आयोजन करवाया? पूरे प्रशासन की नाक के नीचे वह धड़ल्ले से बिना परमीशन ये कार्यक्रम कैसे चला रहा था? सांसद मिमी चक्रवर्ती इस कार्यक्रम में कैसे पहुंच गईं? पुलिस का कहना है कि वह देबांजन को कोर्ट में कोर्ट में पेश करके आगे की पूछताछ के लिए वक्त मांगेगी. तब इन सवालों का जवाब मिल सकेगा.
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