कर्नाटक सरकार ने ग़रीब ब्राह्मणों की शादी से जुड़ी दो योजनाएं लॉन्च की हैं.
पहली योजना – अरुंधति स्कीम. इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर 550 ब्राह्मण महिलाओं को उनके विवाह के लिए 25-25 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी.
दूसरी योजना – मैत्रेयी स्कीम. इसके तहत अगर कोई ब्राह्मण महिला किसी आर्थिक रूप से कमजोर ब्राह्मण से शादी करती है तो उसे 25 हज़ार रुपए नहीं, बल्कि तीन लाख रुपए का फाइनेंशियल बॉन्ड दिया जाएगा.
ये दोनों स्कीम कर्नाटक के स्टेट ब्राह्मण डेवलपमेंट बोर्ड के अंतर्गत लॉन्च की गई हैं. बोर्ड के चेयरमैन और भाजपा नेता एचएस सच्चिदानंद मूर्ति का कहना है –
“दोनों योजनाओं के लिए अप्रूवल और फंड मिल गया है. समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाने की ये हमारी कोशिश है. मैंने पिछले कुछ समय में राज्य में दौरे किए, जिसमें ये देखा है कि तमाम ब्राह्मण किसान, कुक और पुजारियों की आर्थिक स्थिति ख़राब है. इसलिए हमने मैत्रेयी योजना पर काम किया.”
तीन लाख के बॉन्ड का मतलब?
ग़रीब ब्राह्मण से शादी करने पर महिला को तीन लाख रुपए कैश या चेक नहीं मिलेंगे. बॉन्ड मिलेगा, जिसे तीन साल में कैश कराया जा सकेगा. हर एक साल में एक लाख रुपए मिलेंगे. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सिर्फ योजना का लाभ लेने के लिए शादी न हो. जो भी शादी करेगा, उसे कम से कम तीन साल तो निभाना ही पड़ेगा. तभी योजना का पूरा लाभ मिलेगा. योजना का लाभ लेने की एक और शर्त है – लड़का, लड़की दोनों की पहली शादी हो.
ग़रीब ब्राह्मण छात्रों को भी मदद
एचएस सच्चिदानंद मूर्ति ने बताया कि 14 करोड़ रुपए ग़रीब ब्राह्मण छात्रों की मदद के लिए भी दिए जाएंगे. स्कॉलरशिप, फीस या अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्रों को आर्थिक मदद दी जाएगी. हालांकि इस स्कीम का लाभ वे छात्र ही ले सकेंगे, जिनके पास पांच एकड़ या उससे ज़्यादा एग्रीकल्चर भूमि न हो, एक हज़ार स्क्वायर फीट या उससे ज़्यादा का घर न हो, परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से कम हो. पिछड़े वर्ग या एससी के चात्र इस योजना में शामिल नहीं रहेंगे.
ब्राह्मण बोर्ड की योजना
कर्नाटक में 2018-19 के बजट में ब्राह्मण डेवलपमेंट बोर्ड गठित करने की घोषणा की गई थी. इस बोर्ड के तहत ये फैसला किया गया था कि आर्थिक रूप से पिछड़े ब्राह्मणों के विवाह और आर्थिक मदद पर ज़ोर दिया जाएगा. बोर्ड के काम-काज के लिए 25 करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया था. अब इसी के तहत ये योजनाएं लॉन्च की जा रही हैं. हालांकि ख़बरें ये भी हैं कि कर्नाटक के अगले बजट में ब्राह्मण डेवलपमेंट बोर्ड का बजट बढ़ भी सकता है. इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी? कर्नाटक में करीब छह करोड़ की आबादी में 3 से 4 फीसदी ब्राह्मण हैं. वोटर्स की बात करें तो ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व बढ़कर करीब 5 फीसदी हो जाता है.
हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब कर्नाटक में किसी जाति विशेष के लिए विकास बोर्ड गठित किया गया हो. इससे पहले देवराज उर्स ने बैकवर्ड क्लास डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन गठित किया था. सिद्धारम्मैया ने बंजारा, विश्वकर्मा, भोवी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन गठित किया था. अब चूंकि पिछले सीएम एचडी कुमारस्वामी ब्राह्मण विकास बोर्ड की घोषणा कर चुक थे. इसलिए येदीयुरप्पा सरकार ने आते ही सबसे पहले इस बोर्ड को गठित करने और इसके तहत फटाफट योजनाएं लॉन्च करने पर जोर दिया.
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