परिसीमन आयोग ने कश्मीर को कितनी नई विधानसभा सीटें दीं कि बवाल कट गया?
परिसीमन के तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटें बढ़ाने की सिफारिश.
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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटें बढ़ेंगी. केंद्रशासित प्रदेश को लेकर बनाए गए 5 सदस्यीय परिसीमन आयोग ने इसकी सिफारिश की है. हालांकि इस सिफारिश को जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने खारिज कर दिया. इस आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना देसाई कर रही हैं. साथ ही मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा पैनल के सदस्य हैं.
सोमवार 20 दिसंबर को आयोग ने इस मुद्दे पर बैठक की. ये बैठक दिल्ली के पांच सितारा अशोक होटल में हुई. इसमें भाजपा के दो सांसद जुगल किशोर और डॉ जितेंद्र सिंह के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन सांसद फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन भी शामिल हुए. इंडिया टुडे में छपी ख़बर के अनुसार प्रस्ताव रखा गया कि जम्मू क्षेत्र के लिए 6 और कश्मीर घाटी के लिए एक विधानसभा सीट बढ़ाई जाएगी. पैनल की तरफ से कहा गया है कि ये सदस्य 31 दिसंबर तक अपने सुझाव सौंपें.
प्रस्ताव के बाद क्या बदलाव आएंगे?
परिसीमन आयोग की सिफारिशें लागू हुईं तो जम्मू में कुल विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 43 और कश्मीर घाटी में 47 हो जाएगी. कुल 90 सीटों में से 9 अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और 7 सीटें अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षित रखने का प्रस्ताव रखा गया है. बता दें कि पहली बार जम्मू-कश्मीर में एसटी सीट का प्रस्ताव रखा गया है. इस फैसले को जम्मू-कश्मीर में बहुत बड़े राजनीतिक बदलाव की तरह देखा जा रहा है. परिसीमन के तहत विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने के लिए आयोग को अगले साल 6 मार्च तक का समय दिया गया है. हालांकि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के विरोध के चलते आयोग के लिए फैसले लेना आसान नहीं होगा. पीडीपी पहले ही ये आरोप लगा चुकी है कि उसे परिसीमन आयोग में कोई भरोसा नहीं है, क्योंकि इसके सदस्य भाजपा के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.क्षेत्रीय पार्टियों ने प्रस्ताव को किया खारिज
पीडीपी की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा है,जहां तक परिसीमन आयोग का सवाल है, ये भाजपा का आयोग है. उनका प्रयास अल्पसंख्यकों के खिलाफ बहुमत को खड़ा करना और लोगों को और अधिक शक्तिहीन करना है. वो भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए (विधानसभा) सीटों को इस तरह से बढ़ाना चाहते हैं.वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आयोग की सिफारिशों को अस्वीकार्य करार दिया. उन्होंने ट्विटर पर कहा,
'जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की सिफारिशें (हमें) स्वीकार्य नहीं हैं. नई विधानसभाओं का बंटवारा 2011 की जनगणना के हिसाब से न्यायसंगत नहीं है. जम्मू को 6 और कश्मीर को केवल एक सीट दी गई है.'
एक और ट्वीट में उमर अब्दुल्ला ने कहा,The draft recommendation of the J&K delimitation commission is unacceptable. The distribution of newly created assembly constituencies with 6 going to Jammu & only 1 to Kashmir is not justified by the data of the 2011 census.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 20, 2021
'ये बहुत ज्यादा निराशाजनक है कि आयोग बीजेपी का एजेंडा आगे बढ़ाता दिखता है ताकि वो अपनी सिफारिशें थोप सके, जबकि इसके लिए केवल आंकड़ों पर विचार किया जाना चाहिए था. वादा 'वैज्ञानिक अप्रोच' अपनाने का किया गया था, जबकि यहां पॉलिटिकल अप्रोच दिखाई देती है.'इसके अलावा जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने भी इन सिफारिशों का विरोध किया है. क्या होता है परिसीमन? विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया परिसीमन कहलाती है. परिसीमन का काम किसी उच्चाधिकार निकाय को दिया जाता है. और जब ऐसे निकाय बनाए जाते हैं तो उन्हें परिसीमन आयोग कहा जाता है. भारत निर्वाचन की वेबसाइट में मिली जानकारी के अनुसार अब तक भारत में ऐसे परिसीमन आयोगों का गठन 4 बार किया गया है. इन्हें किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है.