आटा इस वक्त 12 साल में सबसे महंगा बिक रहा है. इसके बढ़ते भाव के कारण केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने गेहूं निर्यात (Wheat Exports) पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की घोषणा की है. गेहूं के एक्सपोर्ट को अब ‘प्रतिबंधित’ सामानों की कैटेगरी में डाल दिया गया है. शुक्रवार, 13 मई की रात को केंद्र सरकार ने इस बारे में एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया है.
To manage the overall food security of the country and to support the needs of the neighbouring and other vulnerable countries, the Central Government bans wheat exports with immediate effect. (1/2) pic.twitter.com/dB4tAViLNk
— ANI (@ANI) May 14, 2022
ये फैसला इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं के बेतहाशा बढ़ रहे दाम के मद्देनजर लिया गया है. इसके साथ ही, हीट वेव यानी लू के कारण गेहूं के पैदावार में गिरावट की आशंकाओं और घरेलू खाद्य दामों में तीव्र बढ़ोतरी भी इस फैसले की वजहों में शामिल है.
आपको बता दें कि अप्रैल 2022 में भारत में आटा औसत 32 रुपए 38 पैसे के दाम पर बिका. एक साल पहले आटा मिल रहा था 30 रुपए 3 पैसे प्रति किलो. माने 12 महीने में आटे का भाव 9.15 फीसदी बढ़ गया. इस 9 फीसदी की बढ़त में से 5.81 फीसदी तो जनवरी 2022 से अब तक के चार महीनों में ही बढ़ा है.
बैन से इन्हें मिलेगी छूट
नोटिफिकेशन जारी करते हुए विदेश व्यापार के डायरेक्टरेट जनरल ने कहा कि फैसला देश की खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. हालांकि, ये भी बताया गया है कि इस बैन का उन एक्सपोर्ट ऑर्डर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिनका लेटर ऑफ क्रेडिट 13 मई से पहले जारी हो चुका है.
आपको बता दें कि भारत के इस फैसले ने वैश्विक खाद्य कमी को दूर करने के लिए दुनिया भर में शिपमेंट भेजने की नीति को अचानक उलट दिया है. हालांकि, ये बताया जा रहा है कि इस फैसले को लेते हुए श्रीलंका के संकट को भी ध्यान में रखा गया है.
अपने आदेश में सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया कि अब से सिर्फ उन देशों को गेहूं एक्सपोर्ट किया जा सकता है, जिनकी इजाजत भारत सरकार देगी. सरकार ने कहा कि वो जरूरतमंद विकासशील देशों की सरकार का आग्रह का भी ध्यान रखेगी. फैसला ये ध्यान में रखकर लिया जाएगा कि उन देशों में भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो.
सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है,
‘भारत सरकार देश में, पड़ोसी देश और अन्य विकासशील देशों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. खासकर, उन देशों को जहां ग्लोबल मार्केट में गेहूं की कीमतों में आए अचानक बदलाव से विपरीत असर हुआ है. और वे गेहूं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने में अक्षम हैं.’
यूक्रेन-रूस युद्ध से गेहूं आपूर्ति प्रभावित
यहां आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन तनाव के चलते वैश्विक बाजारों में गेहूं के दाम काफी प्रभावित हुए हैं. दरअसल, दोनों ही देश गेहूं के बड़े उत्पादक हैं. लेकिन, जब से युद्ध शुरू हुआ है, तभी से इसकी आपूर्ति बाधित हो गई है. यही कारण है कि इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमतें 40 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. बात, घरेलू बाजार की करें तो गेहूं और आटा यहां भी महंगा बिक रहा है. अब भारत की ओर से लगाए इस बैन से वैश्विक खाद्य कीमतों पर और अधिक असर पड़ने की आशंका है.

इससे पहले सरकार ने अनुमान लगाया था कि इस बार गेहूं का अच्छा खासा एक्सपोर्ट किया जा सकेगा. सरकार ने फरवरी में पूर्वानुमान लगाया था कि इस बार करीब 111 मिलियन टन गेहूं की पैदावर हो सकती है. लेकिन, मार्च से ही शुरू हुए हीट वेव ने सारे हिसाब गड़बड़ कर दिए. अब गेहूं की पैदावार प्रभावित हुई तो इसके दाम और एक्सपोर्ट को लेकर सरकार को बड़ा फैसला करना पड़ा.
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