The Lallantop
Advertisement

75 साल बाद नर्सिंग के पाठ्यक्रम में किए गए बड़े बदलाव हैं क्या?

ये बदलाव जनवरी 2022 से लागू होंगे.

Advertisement
Img The Lallantop
इस संशोधित पाठ्यक्रम का उद्देश्य पूरे भारत में नर्सिंग शिक्षा में एकरूपता लाना है.
13 सितंबर 2021 (Updated: 13 सितंबर 2021, 18:10 IST)
Updated: 13 सितंबर 2021 18:10 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
नर्स. मतलब ऐसा कोई जो ज़रूरतमंद की देखभाल कर सके. भारत में नर्स बनने के लिए बीएससी (नर्सिंग) की पढ़ाई करनी होती है. 1947 के बाद पहली बार इस कोर्स में बड़े बदलाव हुए हैं. ये बदलाव इंडियन नर्सिंग काउन्सिल (INC) ने किए हैं. बताया गया है कि जनवरी 2022 से ये बदलाव लागू हो जाएंगे. इस संशोधित पाठ्यक्रम का उद्देश्य पूरे भारत में नर्सिंग शिक्षा में एकरूपता लाना है. आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में. मेडिकल एथिक्स, फॉरेंसिक, इंफॉर्मेटिक्स पाठ्यक्रम में शामिल मेडिकल एथिक्स यानी कि चिकित्सा नैतिकता को भी अब नर्सिंग की पढ़ाई में शामिल किया गया है. अब तक केवल MBBS के छात्रों को मेडिकल एथिक्स पढ़ाए जाते थे. अब नर्सिंग के छात्र भी ये पढ़ेंगे. इसके अलावा फॉरेंसिक नर्सिंग और नर्सिंग इंफॉर्मेटिक्स को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.
नए पाठ्यक्रम में अब योग्यता प्राप्त करने पर अधिक जोर दिया जाएगा. इस वजह से क्रेडिट-आधारित सिस्टम लागू किया जाएगा. ये सब कुछ सेमेस्टर पैटर्न पर ही आधारित होगा, बस परीक्षा में नंबर की बजाय क्रेडिट दिए जाएंगे.
INC के सदस्य प्रोफेसर रॉय के जॉर्ज ने अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू से बातचीत में कहा कि पाठ्यक्रम में हुआ परिवर्तन नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाएगा. उन्होंने बताया है,
"नए पाठ्यक्रम के आधार पर सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण को विशेष महत्व दिया जाएगा. जिसका मतलब है कि प्रैक्टिकल का 10 फ़ीसद हिस्सा सिमुलेशन लैब में पढ़ाया जाएगा."
सिमुलेशन एक ऐसा विज्ञान है जिसके ज़रिए कम्प्यूटर में प्रतीकात्मक चीजों के इस्तेमाल से ऐसा माहौल बनाया जाता है जैसे आप वास्तविक परिस्थितियां देख रहे हों. 12वीं में विज्ञान पढ़ने वालों को ही दाख़िला नए पाठ्यक्रम के मुताबिक़ 12वीं में विज्ञान पढ़ने वाले स्टूडेंट ही B.Sc. नर्सिंग कर पाएंगे. एडमिशनके लिए 12वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंक लाने होंगे.
डॉ. जॉर्ज के मुताबिक़ यूनिवर्सिटी के थ्योरी पेपर पैटर्न में भी बदलाव हुए हैं. नए बदलाव लागू होने के बाद थ्योरी पेपर 75 प्रतिशत का होगा, जिसमें मल्टीपल चॉइस क्वेश्चंस भी शामिल किए गए हैं.
इसके अलावा आंतरिक मूल्यांकन से जुड़े दिशा-निर्देश में अटेंडेंस को भी जोड़ा गया है. लिखित असाइनमेंट, सेमिनार, माइक्रो टीचिंग, प्रेज़ेंटेशन, ग्रुप प्रोजेक्ट वर्क और रिपोर्ट के आधार पर निरंतर मूल्यांकन किया जाएगा.
नए पाठ्यक्रम में कई अनिवार्य मॉड्यूल भी जोड़े गए हैं और हर स्टूडेंट को अनिवार्य मॉड्यूल में पास होना ज़रूरी है. हर मॉड्यूल का पासिंग मार्क 50 प्रतिशत रखा गया है.
नए नियमों में नर्सिंग कॉलेजों के लिए भी निर्देश हैं. इनके मुताबिक़, नर्सिंग कॉलेजों में कम से कम 100 बिस्तर का अस्पताल होना ज़रूरी है.
Disabled
पर्सन विद डिसएबिलिटी की तस्वीर. (प्रतीकात्मक)
विकलांगता पर कोई ध्यान नहीं लेकिन इस नए पाठ्यक्रम का विरोध भी किया जा रहा है. वजह? इसमें विकलांगता और उनसे जुड़े अधिकारों और विकलांग नर्सिंग दक्षताओं पर कुछ भी नहीं कहा गया है.
जीटीबी अस्पताल में फ्लोरेंस नाइटेंगिल नर्सिंग स्कूल में पढ़ाने वाले डॉ. सतेंद्र सिंह ने 'दी हिंदू' को बताया कि इस पाठ्यक्रम में अभी भी अपमानजनक अभिव्यक्तियां इस्तेमाल की गई हैं. उन्होंने कहा,
''विकलांग', 'मानसिक रूप से अक्षम' और 'शारीरिक रूप से विकलांग' जैसे शब्द अभी भी शामिल हैं. विकलांग व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम, उच्च शिक्षा में विकलांगता अधिकारों को शामिल करने का आदेश देता है.'
डॉ. सतेंद्र सिंह ने कहका कि पाठ्यक्रम में लिंग की अभिव्यक्ति और पहचान को भी शामिल नहीं किया गया है, जो ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम के मुताबिक़ शामिल होना अनिवार्य है. लेकिन ऐसा नहीं किया गया है.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement