12वीं के नंबर आपका भविष्य तय नहीं करेंगे, ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का यह पत्र सभी को पढ़ना चाहिए
हेलिकॉप्टर क्रैश में इकलौते बचे वरुण सिंह को कैसे एक जूनून ने एयरफोर्स का बड़ा अफसर बना दिया
Advertisement
तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में इकलौते जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का एक पत्र काफी चर्चा में है. सोशल मीडिया पर यह पत्र खूब वायरल हो रहा है. वरुण सिंह को इसी साल शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था, इस सम्मान को पाने के बाद ही उन्होंने ये पत्र अपने स्कूल के प्रिंसिपल को लिखा था. इस पत्र में उन्होंने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए, कुछ ऐसी बातें लिखी हैं, जिन्हें बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता के लिए भी जानना बेहद जरूरी है.
इस साल 18 सितंबर को आर्मी पब्लिक स्कूल, चंडीमंदिर के प्रिंसिंपल को लिखे पत्र में वरुण सिंह कहते हैं,
"औसत होना एकदम ठीक है. हर कोई स्कूल में अच्छा नहीं करेगा और ना ही हर कोई 90 परसेंट स्कोर कर पाएगा. अगर कोई ऐसा करता है, तो ये उसकी उपलब्धि है और इसके लिए उसकी तारीफ होनी चाहिए. लेकिन अगर कोई ऐसा नहीं कर पाता है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा."ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने अपने पत्र में आगे लिखा,
"आप भले ही स्कूल में औसत रहे हों, लेकिन इससे आपका भविष्य तय नहीं होगा. आप अपनी पसंद के क्षेत्र में आगे बढ़ो. ये कुछ भी हो सकता है. कला, साहित्य या फिर ग्राफिक डिजाइन. आप जिस भी क्षेत्र में काम करें, बस पूरी लगन से करें."अपने पत्र में वरुण सिंह ने आगे बताया कि कैसे वो अपने स्कूल के दिनों में एक औसत छात्र थे. यही नहीं, जब वो कैडेट बने, तब भी उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी थी. उन्होंने बताया कि वो ना तो पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और ना ही खेल में. लेकिन उनके अंदर जहाजों को लेकर जुनून था. इस जुनून की वजह से ही वो इस क्षेत्र में आगे बढ़े.
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के पत्र का हिस्सा. (फोटो: ट्विटर)
'12वीं के मार्क्स भविष्य तय नहीं करेंगे' पिछले साल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने बीच उड़ान एक फ्लाइट को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाया था. इस योगदान के लिए ही उन्हें इस साल स्वतंत्रता दिवस पर शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. इस पूरे घटनाक्रम के बारे में बताते हुए वे अपने पत्र में लिखते हैं,
"मुझे पूरा विश्वास है कि उस दिन जो कुछ भी मैंने किया, वो मेरे टीचर्स और इंस्ट्रक्टर्स की पढ़ाई और ट्रेनिंग का ही परिणाम था."ग्रुप कैप्टन ने आगे बताया कि वो 12वीं में बहुत मुश्किल से फर्स्ट डिवीजन ला पाए थे. उन्होंने कहा कि उन्हें स्कूल में अनुशासन सिखाया गया. बच्चों को सलाह देते हुए उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा,
"कभी भी आशा मत छोड़ो. कभी भी ऐसा मत सोचो कि तुम उस चीज में अच्छे नहीं हो सकते, जो तुम होना चाहते हो. ये आसान नहीं होगा. खूब मेहनत करनी पड़ेगी. समय और आराम का बलिदान देना होगा. मैं औसत था, लेकिन आज मैंने अपने करियर में एक बड़ी मंजिल हासिल कर ली है. ऐसा कभी मत सोचो कि 12वीं बोर्ड के मार्क्स आपका भविष्य तय करेंगे. अपने आप में विश्वास रखो और इस दिशा में काम करो."उन्होंने आगे लिखा कि वो अपनी कहानी बच्चों के साथ शेयर करना चाहते थे. उन्होंने लिखा कि अगर वो इस पत्र के जरिए एक भी बच्चे को प्रेरणा दे पाएंगे तो उनके लिखने का उद्देश्य पूरा हो जाएगा.