The Lallantop
Advertisement

बिटकॉइन को भारत में करेंसी का दर्जा मिलेगा? सरकार ने जवाब दे दिया है

लोकसभा में पूछे गए सवाल पर क्या बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण?

Advertisement
Img The Lallantop
इस शीतकालीन सत्र में सरकार क्रिप्टोकरंसी पर लगाम लगाने के लिए बिल पेश करेगी (तस्वीर: इंडिया टुडे)
29 नवंबर 2021 (Updated: 29 नवंबर 2021, 13:02 IST)
Updated: 29 नवंबर 2021 13:02 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
क्या भारत में बिटकॉइन को बतौर करेंसी मान्यता दी जाएगी? नहीं. केंद्र सरकार ने इससे इन्कार कर दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार 29 नवंबर को लोकसभा में बिटकॉइन को मान्यता देने से जुड़ी अटकलों को खत्म कर दिया. उन्होंने लोकसभा में ये साफ किया कि बिटकॉइन को करेंसी के रूप में मान्यता देने की सरकार की कोई योजना नहीं है. लोकसभा का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हो चुका है. इस सत्र में सरकार देश में बिटकॉइन (Bitcoin) पर लगाम कसने के लिए बिल लाने जा रही है.

क्यों बोलीं वित्त मंत्री?

वित्त मंत्री का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब देश में बतौर डिजिटिल करेंसी बिटकॉइन और बाकी सभी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrencies) के भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. इंडिया टुडे के मुताबिक लोकसभा में दो सांसदों ने वित्त मंत्री से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सवाल पूछा. दोनों सांसद जानना चाह रहे थे कि क्या सरकार के पास बिटकॉइन के ट्रांजैक्शन से जुड़ी कोई जानकारी है. इसके जवाब में सीतारमण ने कहा, 'नो सर'. वहीं क्रिप्टोकरंसी पर अगला सवाल पूछा गया कि क्या इसे देश में आधिकारिक पहचान देने के लिए सरकार कोई योजना बना रही है. इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार कि ऐसी कोई योजना नहीं है. इंडिया टुडे के मुताबिक सरकार ये बिल इसलिए ला रही है ताकि निजी क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लग सके और आरबीआई द्वारा शुरू की जा रही डिजिटल मुद्रा के लिए मंच तैयार हो. Bitcoin जहां एक ओर इस बिल के चलते क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े एक्सचेंजों और स्टार्टअप्स को अपना भविष्य खतरे में दिख रहा है, वहीं बैन के डर से इसकी कीमतों में काफी गिरावट दर्ज की गई है. इस साल अक्टूबर में RBI ने भारत सरकार को आरबीआई ऐक्ट 1934 में संशोधन का प्रस्ताव भेजा था. इसमें सरकार से गुजारिश की गई थी कि 'बैंक नोट' की परिभाषा का दायरा बढ़ाया जाए और डिजिटल मुद्रा को भी इसमें शामिल किया जाए. बिटकॉइन को पहली बार 2008 में कुछ प्रोग्रामरों ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम के रूप में पेश किया था. कथित तौर पर ये पहली डी-सेंट्रलाइज्ड डिजिटल करेंसी है. इसमें दो लोग आपस में बिना किसी बिचौलिये के लेन-देन कर सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक पहले भी क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा के रूप में मान्यता देने के खतरों के प्रति सरकार को चेता चुका है. हालांकि वित्तीय मामलों की स्टैंडिंग कमेटी का रुख है कि क्रिप्टोकरंसी पर बैन लगाने के बजाय इसे रेग्युलेट किया जाए. कमेटी का मानना है कि इस पर पूरी तरह बैन लगाने से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है. वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार बिटकॉइन को मुद्रा के बजाय एक फाइनेंशियल एसेट का दर्जा दे सकती है, जिससे इसमें निवेश और ट्रेडिंग जारी रहे. साथ ही इसकी निगरानी सेबी के पास भी जा सकती है.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement