पंडित बिरजू महाराज का निधन, अदनान सामी और बाक़ी हस्तियों ने क्या कहा?
"लखनऊ की ड्योढ़ी सूनी हो गई"
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मशहूर कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके पोते स्वरांश मिश्र ने सोशल मीडिया पर इस बात की जानकारी दी. इस मौक़े पर समाज के भिन्न-भिन्न वर्गों से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया.
बिरजू महाराज की पोती ने क्या बताया? बिरजू महाराज की पोती रागिनी महाराज के मुताबिक पिछले महीने से उनका इलाज चल रहा था. अगले महीने ही वे 84 साल के होने वाले थे. रागिनी महाराज ने बताया,
"रात में अचानक 12:15 से 12:30 के बीच उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगी. हम उन्हें अस्पताल ले गए, 10 मिनट बाद ही उन्होंने प्राण छोड़ दिए."
He was under treatment for the past month. He had sudden breathlessness at around 12:15-12:30 am last night; we brought him to the hospital within 10 mins, but he passed away: Ragini Maharaj, granddaughter of Kathak maestro Pandit Birju Maharaj pic.twitter.com/hyUpruU9Euअदनान सामी और मालिनी अवस्थी ने क्या कहा? नर्तक होने के साथ साथ शास्त्रीय गायक रहे बिरजू महाराज के निधन पर कई बड़ी हस्तियों ने दुख व्यक्त किया. प्रसिद्ध सिंगर अदनान सामी ने ट्विटर पर लिखा
— ANI (@ANI) January 17, 2022
"महान कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज जी के निधन की खबर से बहुत ज्यादा दुखी हूं. आज हमने कला के क्षेत्र का एक अनोखा संस्थान खो दिया. उन्होंने अपनी प्रतिभा से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है."
Extremely saddened by the news about the passing away of Legendary Kathak Dancer- Pandit Birju Maharaj ji. We have lost an unparalleled institution in the field of the performing arts. He has influenced many generations through his genius. May he rest in peace.🙏🖤#BirjuMaharajइसके अलावा भोजपुरी लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने ट्विटर पर लिखा
pic.twitter.com/YpJZEeuFjH
— Adnan Sami (@AdnanSamiLive) January 16, 2022
"आज भारतीय संगीत की लय थम गई. सुर मौन हो गए. भाव शून्य हो गए. कत्थक के सरताज पंडित बिरजू महाराज जी नही रहे. लखनऊ की ड्योढ़ी आज सूनी हो गई. कालिकाबिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा की सुगंध विश्व भर में प्रसरित करने वाले महाराज जी अनंत में विलीन हो गए.आह! अपूर्णीय क्षति है यह. ॐ शांति"
आज भारतीय संगीत की लय थम गई। सुर मौन हो गए। भाव शून्य हो गए। कत्थक के सरताज पंडित बिरजू महाराज जी नही रहे। लखनऊ की ड्योढ़ी आज सूनी हो गई। कालिकाबिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा की सुगंध विश्व भर में प्रसरित करने वाले महाराज जी अनंत में विलीन हो गए। आह!अपूर्णीय क्षति है यह ॐ शांति🙏 pic.twitter.com/dLBEy5aPqR
— मालिनी अवस्थी Malini Awasthi (@maliniawasthi) January 17, 2022
राजनेताओं ने भी किया शोक प्रकट पंडित बिरजू महाराज की मृत्यु पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी ने भी शोक व्यक्त किया.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर शोकाकुल परिवार को सांत्वना देते हुए लिखा,
"भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!"
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने भी सोशल मीडिया पर बिरजू महाराज की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए लिखा,भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति! pic.twitter.com/PtqDkoe8kd
— Narendra Modi (@narendramodi) January 17, 2022
"कथक सम्राट, पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उनका जाना कला जगत की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!"
कथक सम्राट, पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उनका जाना कला जगत की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति! — Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 17, 2022
कौन थे पंडित बिरजू महाराज पंडित बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को हुआ था. उनका असली नाम बृजमोहन मिश्रा था. वह कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज थे. बिरजू महाराज के दो चाचा, शंभू महाराज और लच्छू महाराज और उनके पिता अचन महाराज भी कथक नर्तक थे. उनके चाचा ने ही उन्हें कथक सिखाया था. जब वे 9 साल के थे, उनके पिता अचन महाराज की मृत्यु हो गई थी. अचन महाराज कथक नर्तक के साथ- साथ मशहूर गायक भी थे. पद्म विभूषण से सम्मानित कथक नृत्य में उनके योगदान के लिए बिरजू महाराज को कई अवार्ड्स से सम्मानित भी किया गया है. 1964 में उनको संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. 1986 में भारत सरकर ने बिरजू महाराज को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. इसके बाद कालिदास सम्मान, लता मंगेशकर पुरस्कार, भरत मुनि अवॉर्ड और राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार समेत दर्जन भर से ज्यादा पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. 13 साल की उम्र से ही उन्होंने दिल्ली के संगीत भारती में कथक नृत्य सिखाना शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने दिल्ली में भारतीय कला केंद्र और कथक केंद्र में पढ़ाया, यहां से वो 1998 में रिटायर हुए. इसके बाद उन्होंने दिल्ली में कलाश्रम नाम से अपना नृत्य विद्यालय खोला.
सत्यजीत रे की 'शतरंज के खिलाड़ी' में दो डांस कोरियोग्राफ किए थे. साल 2002 में फिल्म देवदास के गाने 'काहे छेड़ मोहे' को भी कोरियोग्राफ किया था. इसके अलावा उन्होनें बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी डांस कोरियोग्राफ किया है जिसमें उमराव जान, डेढ इश्किया, बाजीराव मस्तानी जैसी फिल्में शामिल हैं. वहीं 2012 में विश्वरूपम फिल्म में डांस कोरियोग्राफी के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.