सिद्धार्थ मुखर्जी. डॉक्टर और लेखक. साल 2011 में सिद्धार्थ को उनकी किताब ‘दी एम्परर ऑफ़ ऑल मैलोडीज़’ के लिए पुलित्ज़र अवॉर्ड भी मिला था. अब डॉक्टर सिद्धार्थ मुखर्जी ने कोरोना वायरस और उसके नए स्ट्रेन (प्रकार) को लेकर कुछ चौंकाने वाले दावे किए हैं.
सिद्धार्थ मुखर्जी ने ट्वीट करके कहा है कि कोरोना से जंग में हम पिछड़ रहे हैं. कोरोना वायरस के कम से कम चार तरह के वायरस चिंता की वजह बने हुए हैं. एक, जो लंदन से आया. दूसरा ब्राज़ील के मॉनाउस से फैला. तीसरा जापान से और चौथा दक्षिण अफ़्रीका से निकला है.
2/n The London variant is more contagious. The Manaus and South African variants may — MAY — cause repeat infections.
— Siddhartha Mukherjee (@DrSidMukherjee) January 12, 2021
सिद्धार्थ ने दावा किया है कि लंदन से निकला कोरोना का म्यूटेंट वायरस सबसे ज़्यादा तेज़ी से संक्रमण फैला रहा है. बहुत हद तक सम्भावना है कि ब्राज़ील और साउथ अफ़्रीका में मिला म्यूटेंट स्ट्रेन किसी व्यक्ति को एक से ज़्यादा बार भी कोरोना का संक्रमण करा सकता है.
इसके बाद डॉ. सिद्धार्थ मुखर्जी ने कुछ तरीके भी सुझाए. ट्वीट में कहा कि इनके बिना काम नहीं बनेगा. ये रास्ते हैं-
पहला रास्ता : अमरीका में जिस तरह के कोरोना के स्ट्रेन आ रहे हैं. उसे देखते हुए इन नए वायरसों के सामने आने की दर चेक करनी चाहिए, और उनके केसों को आइसोलेट करके अलग करना चाहिए.
दूसरा रास्ता : जितनी जल्दी हो सके, ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जाए, जिससे लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो सके.
तीसरा रास्ता : किसी को भी देश में घुसने देने से पहले कोरोना की RT PCR जांच का निगेटिव सर्टिफ़िकेट आवश्यक कर दिया जाए. ऐसा कई सारे देशों ने कर रखा है.
चौथा रास्ता : देश में आने के चार दिन बाद फिर से RT PCR टेस्ट करवाया जाए. हो सकता है कि पहली जांच में न पता चला हो.
सिद्धार्थ मुखर्जी ने कहा है कि कोरोना वायरस के नए प्रकार पर अगर वैक्सीन का असर नहीं होता है, तो आने वाले समय में मौतों का आंकड़ा 5 लाख तक भी जा सकता है. ऐसा कहते हुए सिद्धार्थ मुखर्जी ने एक और रास्ता सुझाया-
पांचवा रास्ता : शोधकर्ताओं को जल्द से जल्द कोरोना के सभी स्ट्रेन्स की जांच का तरीका विकसित कर लेना चाहिए. खोने के लिए समय बिल्कुल नहीं है. कोरोना के नए स्ट्रेन की वजह से प्रयास बेहद तेज़ी से किए जाने चाहिए.
सिद्धार्थ मुखर्जी ने कोरोना के नए नए वायरसों के खतरे से आगाह किया है, और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में भी बताया है. लेकिन सवाल ये उठता है कि इनकी कही गयी बातों पर कितनी मुस्तैदी से विचार किया जा रहा है?
दुनिया के जिन भी देशों में टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू की गयी है, वहां वैक्सीन को इमरजेंसी यूज का अप्रूवल दिया गया है. माने, सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों को और फिर बुजुर्गों को वैक्सीन दी जाएगी. वैक्सीन की जनरल यूज की अनुमति आने में थोड़ा समय है. ऐसे में किसी भी जनसंख्या के हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंच पाने में अभी वक्त लग सकता है.
साथ ही, अभी इस बात के ठोस प्रमाण नहीं हैं कि कोरोना के नए स्ट्रेन पर ये वैक्सीन काम करेंगी या नहीं. क्योंकि इस स्ट्रेन के आधार पर वैक्सीन का निर्माण नहीं किया गया था. लेकिन फिर भी वैज्ञानिक और प्रशासनिक अधिकारियों के दावे हैं, जिनके आधार पर ये भरोसा दिलाने की कोशिश की जा रही है कि वैक्सीन नए स्ट्रेन पर भी असरदार होगी.
लल्लनटॉप वीडियो : अर्थात: कोरोना वैक्सीन पर सबसे बड़ा सवाल