दिल्ली में कोरोना से अपनों को खोने वाले लोगों को मुआवजा पाने के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होगी. शुक्रवार, 1 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार से वित्तीय सहायता के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र या फिर जीवित सदस्य प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी. अधिकारियों के साथ बैठक में सीएम ने कोरोना से मरने वालों के परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए बनाए गए नियमों को लेकर आपत्ति जताई. खासकर लंबित मामलों पर नाराजगी जताई. अधिकारियों को जल्द से जल्द वित्तीय सहायता देने का निर्देश दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक व्यक्ति ने 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि पाने की प्रकिया को जटिल और बाधाओं से भरा बताते हुए शिकायत की थी. अपनी शिकायत में कहा था कि उसे दस्तावेज ठीक कराने में ही चक्कर काटने पड़ गए. इसके बाद मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक की थी.
केजरीवाल ने कहा,
इस योजना का उद्देश्य उन परिवारों को वित्तीय सहायता देना है जो कोरोना की वजह से अपनों को खो चुके हैं. ये सभी लोग पीड़ित हैं. कागजी कार्रवाई के कारण उन्हें परेशान नहीं होना चाहिए. आवेदनों पर विचार के लिए अब मृत्यु प्रमाणपत्र और जीवित सदस्य प्रमाणपत्र जमा करने की जरूरत नहीं है. हमारा कर्तव्य पीड़ित परिवारों को सांत्वना देना और उनका समर्थन करना है, न कि उनके लिए समस्याएं पैदा करना.आवेदकों को ऑफिस आने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए. मुआवजा वितरण में कोई देरी नहीं होनी चाहिए. अगर जीवनसाथी जीवित है तो उन्हें पूरी राशि दें. यदि कई बच्चे जीवित हैं, तो राशि को उनमें बराबर-बराबर बांट दें. कागजी कार्रवाई का ढेर मत लगाएं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक आंकड़ों में कोरोना से जितनी मौतें हुई हैं, उससे ज्यादा आवेदन मुआवजे के लिए आए हैं. आधिकारिक रिकॉर्ड कहते हैं कि 25,087 लोग कोरोना से मरे, लेकिन मुआवजे के लिए 25,709 आवेदन मिले हैं.
इन आवेदनों में से 24,475 का मिलान गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची से किया गया है. लगभग 19,000 आवेदकों का सत्यापन पूरा हो चुका है. सत्यापन के दौरान 1,250 लोगों ने योजना से बाहर होने का विकल्प चुना. वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने योजना के तहत 24,475 आवेदकों में से 9,043 आवेदनों को मंजूरी दी है. अब तक, 7,163 लाभार्थियों के खातों में मुआवजे की राशि ट्रांसफर की गई है.
अधिकारियों का कहना है कि आवेदनों की संख्या कोरोना से हुई मौतों से ज्यादा थी, क्योंकि अन्य राज्यों के कुछ लोगों ने भी अनुग्रह राशि के लिए आवेदन किया था. कई लोगों की अस्पताल के बाहर भी मौत हुई. उनका अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया. कोविड की दूसरी लहर के दौरान उन लोगों का भी कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया जिनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं थी, लेकिन उनें लक्षण दिखे थे.
दिल्ली सरकार की इस मुआवजा योजना के तहत, मरने वाले व्यक्ति के पति या पत्नी, माता-पिता या बच्चे 50,000 रुपये के एकमुश्त मुआवजे के पात्र हैं.
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