2018 कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत हो गई है जहां से इंडिया के लिए पहली अच्छी खबर भी आई है. इंडिया के वेटलिफ्टर पी गुरुराजा को पहले ही दिन सिल्वर मेडल मिला है. 56 किलो भार केटेगरी में इस एथलीट ने दूसरे स्थान पर आकर ये मेडल अपने नाम किया है. पुरुषों के इस इवेंट में गुरुराजा ने कुल 249 किलो का भार उठाया. गोल्ड मेडल गया मलेशिया के इजहार अहमद की झोली में. वहीं इस कैटेगरी का ब्रॉन्ज श्रीलंका के चातुरंगा लकमल ने जीता है.
कौन है पी गुरुराजा: पहले पहलवान थे. मगर जब साल 2010 में पहलवान सुशील कुमार को कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतते देखा तो फिर वेटलिफ्टिंग में चले गए क्योंकि उन्हें लगा कि वो वेटलिफ्टिंग में बेहतर कर सकते हैं. अब रिजल्ट सामने है. कर्नाटक के चित्तुरू में एक गरीब परिवार से आते हैं. गरीबी का अंदाजा इस बात से लगाइए कि पिता ईंटों के भट्टे का ट्रक चलाते थे. 8 भाई-बहनों में से एक 25 साल के गुरुराजा के सामने अपने खेल से पहले घर चलाने के संकट था. पिता जो ट्रक चलाते थे वो एक खाई में गिर गया था और इससे न सिर्फ पिता की नौकरी गई, साथ ही मालिक के ट्रक की भरपाई करने के चलते कर्जा भी हो गया. तो फिर पहले एक सरकारी नौकरी के लिए फाइट की. इंडियन एयर फोर्स में एयरक्राफ्टमेन की नौकरी पाई. ये असिस्टेंट लेवल का पद है जो फ्लाइट में कई तरह के सर्विस से जुड़े काम करते है.
क्या है खासियत: मेडल जीतने के बाद इस एथलीट ने कहा कि वो यूं तो अपनी परफॉर्मेंस से खुश नहीं है क्योंकि यहां गोल्ड जीतने का मौका था. गुरुराजा की शुरुआत अच्छी नहीं हुई क्योंकि वो कुल भार में थोड़ा चूक गए. वहीं फिर क्लीन और जर्क राउंड में वापसी की. क्लीन में भार सीधे ऊपर उठाना होता है वहीं जर्क में बीच में रोककर ऊपर की ओर ले जाना होता है. ये गुरुराजा की मजबूती है, जिससे उन्हें मेडल अपने नाम करने में मदद मिली. गुरुराजा ने 2016 में कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीता है. गुरुराजा का अगला लक्ष्य 2018 के एशियन गेम्स और 2022 का टोक्यो ओलंपिक है.
Also Read
कॉमनवेल्थ गेम्स: अंग्रेजों की गुलामी में रहे मुल्कों का सबसे बड़ा खेल आयोजन
वीडियो भी देखें: