गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों बीच हिंसक झड़प हुई थी. भारत के 20 जवान इसमें शहीद हुए, जबकि चीन के भी कई सैनिक मारे गए. इन सबके बीच चीन लगातार गलवान पर अपना हक जता रहा है. वो कई साल से गलवान घाटी पर कब्जा करने के लिए तरह-तरह के जतन करता आ रहा है. कुछ सैटेलाइट इमेज से साफ हो रहा है कि चीन गलवान कब्जाने के लिए नदी के इकोसिस्टम तक से छेड़छाड़ करता रहा है.
चीन ने चोरी-छिपे बनाई सड़क
2010 की गलवान घाटी की कुछ सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं. इनमें साफ तौर पर दिख रहा है कि पूरी घाटी एक संकरा-सा स्ट्रैच भर है और यहां कोई भी सड़क या अन्य कंस्ट्रक्शन नहीं है. लेकिन चीन ने 2015-16 में यहां चोरी-छिपे सड़क का निर्माण शुरू कर दिया.
इसी तरह पहले की सैटेलाइट इमेज में कोई सैनिक तैनाती नहीं दिखती. लेकिन इस साल मई में पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने सैन्य अभ्यास के बहाने इस क्षेत्र में मोर्चाबंदी की और LAC तक नदी के किनारों के साथ-साथ सभी जगहों पर सैनिकों को इकट्ठा कर दिया.
इसके बाद चीन ने अपने सैनिकों की तैनाती के लिए ज़्यादा जगह निकालने के लिए एक और तरीका अपनाया. वो है बुलडोजर और जेसीबी की मदद से गलवान नदी का आकार सीमित करने के लिए इससे पानी के कई चैनल निकालना.

इस तस्वीर में तमाम जेसीबी गलवान घाटी में दिख रही हैं. साथ ही दिख रहा है कि किस तरह नदी का पानी ब्लॉक किया गया. चीन गलवान नदी के किनारों पर LAC से पूरे 40 किलोमीटर तक जगह बनाने और फिर निर्माण के लिए कवायद कर रहा है. इसके लिए वो क्षेत्र या नदी की इकोलॉजी का भी कोई ध्यान नहीं रख रहा.

दूसरी तस्वीर में दिख रहा है कि कैसे चीन गलवान नदी की दिशा बदलने के साथ उसकी चौड़ाई भी कम कर रहा है. ताकि भविष्य में सैनिकों की तैनाती और स्थायी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर जमीन उपलब्ध हो सके.

इस तीसरी तस्वीर में देखा जा सकता है कि चीन ने किस तरह कई जगहों पर नदी के इकोसिस्टम से छेड़छाड़ किया. नदी को रोकने का ही नतीजा रहा कि किनारों पर तमाम छोटे-छोटे ग्लेशियर्स बनने लगे.

चौथी तस्वीर में गलवान वाले पॉइंट से करीब 40 किमी पूर्व में चीनी सैनिकों का बड़ा बिल्ड-अप देखा जा सकता है.

इस पांचवीं तस्वीर में चीन द्वारा नदी के पास बनाई गई सड़क दिख रही है. चीन की तमाम सैन्य गाड़ियों की आवाजाही भी दिख रही है.

छठी तस्वीर में चीनी सेना के टेंट और संभावित नए पोस्ट दिख रहे हैं.
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