15 दिसंबर. दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कैंपस में दिल्ली पुलिस घुस गई. छात्रों को पीटा. पुलिस का कहना है, प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाज़ी और आगजनी की. दिल्ली पुलिस पर कैंपस में गोली चलाने के भी आरोप लगे. मगर 16 दिसंबर के अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि यूनिवर्सिटी कैंपस में गोली चलाए जाने की बात ग़लत है. मगर गोली चलाए जाने वाले आरोप यहां ख़त्म नहीं हुए. इल्ज़ाम है कि 15 दिसंबर को हुई कार्रवाई के दौरान दो प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स को गोली लगी. इनके नाम हैं- अजाज़ अहमद (20 साल). और, मुहम्मद सुहैब (23 साल). अजाज़ BA में पढ़ते हैं और सुहैब बी टेक में हैं. दोनों का सफदरजंग अस्पताल में इलाज़ चल रहा है.
एक और इंसान के गोली से घायल होने का आरोप है
इसके अलावा मुहम्मद तमीन नाम के एक शख्स को भी गोली लगने का आरोप लगाया जा रहा है. तमीन का कहना है कि वो प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था. वो बस पुलिस की कार्रवाई के दौरान उस इलाके से होकर जा रहे थे, जब उनके बायें पैर में गोली लगी. तमीन की मेडिकल रिपोर्ट भी उनके बायें पैर में गोली का जख़्म होने की बात है. जिस चीज को बुलेट का हिस्सा कहा जा रहा है, उसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.
While reporting yday, found that CCTV cameras inside Jamia library totally smashed. Leaves me to wonder: who smashed the ‘evidence’ of what happened inside the library? Have law enforcers turned law breakers? If those inside library were ‘anti social’ release the evidence, no?
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 17, 2019
‘इंडिया टुडे’ के साथ बात करते हुए मुहम्मद तमीन ने कहा कि वो 15 दिसंबर को जामिया में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में शामिल नहीं थे.वो बस ‘ग़लत समय’ पर ‘ग़लत जगह’ मौजूद थे. तमीन के मुताबिक-
वहां पुलिस के लोग थे जिन्होंने मुझे जाते हुए देखा. मुझसे कुछ पूछा नहीं उन्होंने, सीधे मेरे पांव पर गोली मार दी. मैं तो प्रदर्शन में भी हिस्सा नहीं ले रहा था. मैं बस ओखला के उस इलाके से होकर जा रहा था. बाइक पर था मैं, जब मैंने देखा कि पुलिस एकाएक स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज करने लगी. मैं सदमे में हूं. मेरा परिवार है. दिल्ली पुलिस ने किसी चीज के बारे में नहीं सोचा. अगर मैं मर जाता, तो क्या वो मेरे परिवार की जिम्मेदारी उठाते?
अस्पताल के डॉक्टरों ने क्या बताया?
तमीन का इलाज़ ‘होली फैमिली’ हॉस्पिटल में हो रहा है. यहां डॉक्टरों का कहना है कि अगर गोली शरीर के ऊपरी हिस्से में लगती, तो बहुत गंभीर जख़्म हो सकता था. ‘इंडिया टुडे’ से बात करते हुए दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव ने कहा कि दिल्ली पुलिस के पास रबड़ बुलेट वाली बंदूक भी नहीं है. उनके मुताबिक-
हमने किसी पर गोली नहीं चलाई और न ही हमारे पास रबड़ बुलेट है.
उधर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने दो जामिया स्टूडेंट्स के जख़्मी होने वाली ख़बर में पुलिस सूत्रों से बात की. उनके मुताबिक, शुरुआती तौर पर दोनों के जख़्म गोली से हुए लगते हैं. पुलिस सूत्रों का कहना है-
पुलिस के लोगों ने गोली चलाई या किसी और ने, इस बात की जांच होनी चाहिए. ज़्यादा स्पष्टता के लिए हम बलिस्टिक विशेषज्ञों से संपर्क करेंगे.
Meanwhile, the police version/s continue to evolve. In this @IndianExpress story, a police source is quoted as saying ‘prima facie, it appears that both suffered bullet wounds”.
https://t.co/doGWFpJSEL— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) December 17, 2019
सफदरजंग के डॉक्टरों ने क्या बताया?
‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने सफ़दरजंग अस्पताल में अजाज़ और सुहैब की स्थिति को लेकर पूछताछ की. सूत्रों ने उन्हें बताया कि दोनों 15 दिसंबर की शाम अस्पताल लाए गए थे. एक के सीने पर जख़्म था और दूसरे के पांव में. दोनों ने डॉक्टरों को बताया कि उन्हें गोली लगी है. अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, जख़्म किस चीज से हुआ इसकी पुष्टि के लिए जांच करवानी होगी. सूत्रों ने बताया कि अजाज़ और सुहैब, दोनों का ऑपरेशन हो चुका है. अभी दो दिन उन्हें अस्पताल में ही रखा जाएगा. दोनों जिस वॉर्ड में हैं, उसके बाहर पुलिसकर्मी तैनात हैं.
अजाज़ के एक रिश्तेदार का कहना है कि वो अपनी मां के लिए दवा खरीदकर घर लौट रहा था. रास्ते में उसने देखा कि कारें तोड़ी-फोड़ी जा रही हैं. परिवार का कहना है कि अजाज़ के सीने में गोली लगी. दूसरी तरफ सुहैब के रिश्तेदार ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि उसके पांव में जख़्म है. मगर डॉक्टरों ने ये नहीं बताया कि जख़्म हुआ किस वजह से.
The Police claimed no bullet injury fired. ; I meet the boy in hospital thru hidden cam who suffered a bullet wound. 9 pm on ground zero Jamia @IndiaToday
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 16, 2019
अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम न छापे जाने की शर्त पर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया. कि अजाज़ की छाती से एक ‘पार्टिकल’ निकाला गया है. वो बुलेट है कि आंसू गैस का शेल, ये अभी पक्का नहीं है. इस बारे में बात करते हुए DCP (साउथईस्ट) चिन्मय बिस्वाल बोले-
बुलेट के जख़्म होने को लेकर कुछ अफ़वाहें हैं. होली फैमिली अस्पताल की रिपोर्ट कहती है कि कथित तौर पर गोली लगने की बात मिली है. ये घायल के बयान के आधार पर लिखी गई है. हमने स्टूडेंट्स पर गोली नहीं चलाई. धातु या प्लास्टिक जैसी चीजों की वजह से भी जख़्म हो सकता है. सफदरजंग अस्पताल में भी दो घायलों ने गोली से जख़्म होने की बात कही. लेकिन अगर कोई गोली लगने से घायल होता, तो ऐम्बुलेंस उन्हें लेकर होली फैमिली या फिर फोर्टिस अस्पताल जाती. वो ही सबसे नज़दीक थे. इन बातों से इतर हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि इन तीनों मामलों में घायलों को गोली लगी या नहीं.
अजाज़, सुहैब और तमीन, इन तीनों के जख़्मों की जांच करवाई जा रही है. गोली लगी कि नहीं और जख़्म किस वजह से हुआ, ये रिपोर्ट आने के बाद साफ हो पाएगा.
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