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आसाराम को सज़ा सुनाते हुए जज बोले- इस आदमी को कभी जेल के बाहर नहीं आना चाहिए

जानिए, जज ने क्या कहा.

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फर्जी और अय्याश आसाराम को उसके खिलाफ चल रहे 2013 के जोधपुर रेप में सजा सुनाई गई है. उसके दो सहयोगियों- छिंदवाड़ा के गुरुकुल की हॉस्टल वॉर्डन शिल्पी और इस हॉस्टल के ट्रस्ट डायरेक्टर शरत को भी सजा हुई है. बाकी दो आरोपी- शिवा और प्रकाश को बरी कर दिया गया है. दाहिनी तरफ वाली तस्वीर आसाराम के खिलाफ एक पुराने प्रदर्शन से ली गई है. इसमें एक महिला आसाराम की तस्वीर को चप्पल मारती दिख रही हैं. आसाराम के खिलाफ फैसला सुनकर शायद आज उन्हें खुशी हुई हो.
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25 अप्रैल 2018 (Updated: 3 अक्तूबर 2018, 08:15 IST)
Updated: 3 अक्तूबर 2018 08:15 IST
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जिस Asaram Rape Verdict का इतने वक्त से इंतजार था, वो फैसला आ गया है. 77 साल के आसाराम को उम्रकैद (Life Imprisonment) की सजा हुई है. 2013 से जेल में बंद ये बलात्कारी अब जिंदगी भर जेल के अंदर रहेगा. कभी आजाद नहीं हो सकेगा. उसके दो सहयोगियों- शिल्पी और शरत को भी 20-20 साल की जेल हुई है. जज मधुसूदन शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आसाराम जैसे आदमी को कभी जेल से बाहर नहीं आना चाहिए. जज का ये कहना था कि आसाराम बिलखकर रोने लगा. वो अकड़, वो घमंड जिसमें वो पुलिस अधिकारियों और नेताओं को धमकाया करता था, सब फुर्र हो गए थे. जो फर्जी बाबा लोगों को मोक्ष देने, स्वर्ग पहुंचाने की बातें करता था, वो अब खुद जेल में सड़ेगा. आसाराम अब तक विचाराधीन कैदी था. सजा सुनाए जाने के बाद अब उसे कैदी नंबर मिलेगा. कैदी के कपड़े पहनने होंगे. विचाराधीन कैदियों को दी वाली राहत और सुविधाएं भी उसे नहीं मिलेंगी.
आसाराम के खिलाफ POCSO (नाबालिगों के साथ अपराध में लगने वाली धारा) और जुवेनाइल जस्टिस के अंतर्गत मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में कम से कम 10 साल जेल की सजा हो सकती थी. अधिकतम सजा उम्रकैद थी. जज ने वकीलों की बहस सुनने के बाद तय किया कि इस मामले में सबसे सख्त सजा, यानी आजीवन कारावास दिया जाना चाहिए. जज ने न तो आसाराम के बुजुर्ग होने के आधार पर कोई नर्मी दिखाई, न खराब सेहत पर कोई दया की. अगस्त 2017 में राम रहीम को सजा हुई थी. और अब आसाराम को हुई है. ये फैसला तमाम ऐसे फर्जी बाबाओं को डराएगा. ताकि अगली बार कोई भी ऐसा घटिया बाबा  लोगों की श्रद्धा और भक्ति का फायदा उठाकर उनका शोषण न कर सके. वैसे इस बलात्कारी बाबा के वकीलों ने कहा है कि वो इस सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे.
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाते हुए स्पष्टीकरण दिया था. कि उम्रकैद का मतलब पूरी जिंदगी की जेल होता है. जरूरी नहीं कि 20 साल की सजा काट लेने के बाद दोषी को रिहा कर दिया जाए.
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाते हुए स्पष्टीकरण दिया था. कि उम्रकैद का मतलब पूरी जिंदगी की जेल होता है. जरूरी नहीं कि 20 साल की सजा काट लेने के बाद दोषी को रिहा कर दिया जाए.

उम्रकैद का मतलब 20 साल की जेल नहीं है आमतौर पर समझा जाता है कि 20 साल जेल काटने पर उम्रकैद पूरी हो जाती है. 30 जून, 2016 को दिए गए अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्पष्ट किया था. अदालत ने कहा था कि आजीवन कारावास का मतलब ये नहीं कि 20 साल बाद कैदी रिहा हो जाए. उसे छोड़ा जाए या नहीं, इसके लिए कई चीजों पर गौर किया जाता है. मसलन- उसके रिहा होने से समाज पर और पीड़ितों पर क्या असर पड़ेगा. उसका बर्ताव. उसके अपराध की गंभीरता. आसाराम ने जिस तरह का अपराध किया है, उसके बाद तो यही उम्मीद की जा सकती है कि वो कभी न रिहा हो.
जोधपुर शहर किला बना हुआ है जोधपुर जेल के बाहर पुलिस का हुजूम तैनात किया गया है. पूरे जोधपुर शहर में नाकाबंदी है. यहां धारा 144 लागू की गई है. पूरा शहर किला बना हुआ है. ये तैयारियां शायद राम रहीम वाले केस में सजा सुनाए जाने के बाद हुई हिंसा हुई का सबक हैं. पूरे राजस्थान को अलर्ट पर रखा गया है. इसके अलावा गुजरात और मध्य प्रदेश में भी अलर्ट है. पुलिस और सुरक्षा बलों को किसी भी तरह की स्थिति से निपटने को तैयार रहने का निर्देश दिया गया है. पुलिस ने जोधपुर के सारे होटलों और धर्मशालाओं की तलाशी ली थी. यहां ठहरे आसाराम के समर्थकों को बाहर निकाला गया.
आसाराम का जी मिचलाने लगा, बोला तबीयत खराब हो रही है सजा सुनने के बाद आसाराम की तबीयत खराब हुई. बोला, जी मिचला रहा है. मगर जज मधुसूदन शर्मा ने न तो सजा सुनाने का काम मुलतवी किया. न आसाराम को अस्पताल भेजने का निर्देश दिया. जेल के अंदर ही ऐंबुलेंस बुला ली गई. इस केस में आसाराम के अलावा उसके चार सहयोगी भी आरोपी थी. ये चारों आरोपी थे- छिंदवाड़ा के आसाराम गुरुकुल की वॉर्डन शिल्पी, इसी गुरुकुल के ट्रस्ट का डायरेक्टर शरत, आसाराम का सेवक शिवा और रसोइया प्रकाश. इनमें से आसाराम, शिल्पी और शरत को दोषी पाया गया. शिवा और प्रकाश को बरी कर दिया गया.
आसाराम के बगल में जो महिला लाल रंग के कपड़े में लिपटी फाइल थामे दिख रही हैं, वो हैं चंचल मिश्रा. 2013 में जब आसाराम को इंदौर से अरेस्ट किया गया, तब चंचल मिश्रा जोधपुर पुलिस की ACP थीं.
आसाराम के बगल में जो महिला लाल रंग के कपड़े में लिपटी फाइल थामे दिख रही हैं, वो हैं चंचल मिश्रा. 2013 में जब आसाराम को इंदौर से अरेस्ट किया गया, तब चंचल मिश्रा जोधपुर पुलिस की ACP थीं. आसाराम इंदौर के अपने आश्रम में छुपा हुआ था. चंचल मिश्रा ने वहां पहुंचकर कहा- बाहर निकल जाओ, वरना दरवाजा तोड़ दूंगी. डरकर आसाराम ने दरवाजा खोल दिया.

भूत-प्रेत उतारने के बहाने नाबालिग का रेप किया 25 अप्रैल, 2018. सुबह तकरीबन साढ़े नौ बजे जोधपुर जेल के अंदर फैसला सुनाया गया. ये अगस्त 2013 का केस था. आसाराम ने अपने जोधपुर आश्रम के अंदर भूत-प्रेत उतारने के बहाने एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया था. फिर उसे धमकी दी थी. कि अगर उसने किसी को कुछ बताया, तो उसके मां-बाप का कत्ल करवा देगा. विक्टिम ने 15 अगस्त की रात को हुए इस रेप के बारे में एक दिन बाद अपनी मां को बताया. विक्टिम के पिता जोधपुर आए. ताकि खुद आसाराम से सामने-सामने बात कर सकें. तब तक आसाराम दिल्ली जा चुका था. विक्टिम के पिता दिल्ली पहुंचे. लेकिन आसाराम ने उन्हें मिलने का वक्त नहीं दिया. हारकर विक्टिम के पिता कमला नगर थाने पहुंचे. ये तारीख थी 19 अगस्त, 2013. लड़की की मेडिकल जांच हुई. मैजिस्ट्रेट के आगे उसका बयान दर्ज किया गया. फिर ये मामला जोधपुर पुलिस के हवाले कर दिया गया.
आसाराम के लिए खास जोधपुर जेल के अंदर कोर्ट बैठी. कानून-व्यवस्था न बिगड़े, इसके लिए एहतियात बरतते हुए जेल के अंदर ही सजा सुनाई गई.
आसाराम के लिए खास जोधपुर जेल के अंदर कोर्ट बैठी. कानून-व्यवस्था न बिगड़े, इसके लिए एहतियात बरतते हुए जेल के अंदर ही सजा सुनाई गई.

गिरफ्तारी से पहले खूब ड्रामा हुआ था आसाराम की गिरफ्तारी से पहले भी काफी तमाशा हुआ था. बहुत वक्त तक तो ये मालूम ही नहीं चल पा रहा था कि वो कहां है. आखिरकार पुलिस को पता चला कि आसाराम इंदौर के अपने आश्रम में छुपकर बैठा है. ये आश्रम काफी बड़ा था. आसाराम की प्लानिंग थी यहां अपने समर्थकों को इकट्ठा करके दबाव बनाना. ताकि पुलिस उसे गिरफ्तार न कर सके. मगर ऐसा हो नहीं पाया. रात के समय इंदौर पुलिस को साथ लेकर जोधपुर पुलिस की एक टीम इंदौर के उस आश्रम में पहुंची. राजस्थान पुलिस की ACP रैंक की अधिकारी चंचल मिश्रा भी उस टीम के साथ थीं. आसाराम काफी समय तक आंख-मिचौली खेलता रहा. वो आश्रम के किस कमरे में है, ये ही खोजने में पुलिस को काफी वक्त लग गया. आखिरकार जब पुलिस उस कमरे के बाहर पहुंची, तो आसाराम कमरे का दरवाजा बंद करके बैठा रहा. चंचल मिश्रा ने कमरे के बाहर से तेज आवाज में कहा. कि दरवाजा खोल दो, वरना भुगतोगे. मजबूरन आसाराम को दरवाजा खोलना पड़ा. वो पुलिस की उस टीम के पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाने लगा. उसने गिरफ्तारी टालने की हर मुमकिन कोशिश की. लेकिन उसकी सारी कोशिशें नाकाम हो गईं.
साबरमती के किनारे एक छोटी सी झोपड़ी से शुरुआत करने वाले आसाराम ने 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का साम्राज्य खड़ा कर लिया. देश के कई राज्यों में इसके 437 से ज्यादा आश्रम हैं. राजस्थान और गुजरात में सबसे ज्यादा आश्रम हैं. गुजरात के कई आश्रमों पर पुलिस ने कार्रवाई भी की.
साबरमती के किनारे एक छोटी सी झोपड़ी से शुरुआत करने वाले आसाराम ने 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का साम्राज्य खड़ा कर लिया. देश के कई राज्यों में इसके 437 से ज्यादा आश्रम हैं. राजस्थान और गुजरात में सबसे ज्यादा आश्रम हैं. गुजरात के कई आश्रमों पर पुलिस ने कार्रवाई भी की.

और भी दो केस चल रहे हैं आसाराम के खिलाफ आसाराम के खिलाफ दो और केस चल रहे हैं. दोनों गुजरात से जुड़े हैं. एक मोटेरा का. दूसरा सूरत का. सूरत में दो बहनों के साथ बलात्कार का पुराना मामला था. इन दोनों बहनों का आरोप है कि वो जब नाबालिग थीं, तब आसाराम ने उनके साथ बलात्कार किया था. मगर डर के मारे वो चुप रहीं. फिर उनकी शादी हो गई. बच्चे भी हो गए. वो तो जब 2013 में आसाराम की गिरफ्तारी हुई, तब जाकर उनमें हिम्मत आई. उन्होंने पुलिस में FIR दर्ज कराई. अपने बीमार पिता को इस केस की भनक भी नहीं लगने दी. इनमें से एक बहन के पति पर कई बार जानलेवा हमले हुए. इसी केस में आसाराम का बेटा नारायण साईं भी आरोपी है. बड़ी बहन ने आसाराम पर बलात्कार का आरोप लगाया था. जबकि छोटी बहन का कहना है कि उसके साथ नारायण साईं ने रेप किया. इन दोनों मामलों में सुनवाई चल रही है. इनका भी फैसला आगे आना है.


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