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अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया को बड़ी राहत, मुख्य सचिव से मारपीट के मामले में कोर्ट ने बरी किया

मनीष सिसोदिया ने कहा- अब पीएम मोदी केजरीवाल और दिल्ली की जनता से माफी मांगें.

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पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से कथित मारपीट के मामले में आप नेताओं को बड़ी राहत. (तस्वीरें- पीटीआई)
11 अगस्त 2021 (Updated: 11 अगस्त 2021, 09:10 IST)
Updated: 11 अगस्त 2021 09:10 IST
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दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को बड़ी राहत दी है. उसने पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से कथित मारपीट के मामले में इन दोनों नेताओं को बरी कर दिया है. कोर्ट ने इसी मामले में AAP के 9 अन्य विधायकों को भी आरोपों से मुक्त कर दिया है. आजतक से जुड़े संजय शर्मा के मुताबिक, इस केस में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के अलावा जिन विधायकों का नाम आया था, उनमें अमानतुल्ला खान, प्रकाश जरवाल, नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, प्रवीण कुमार और दिनेश मोहनिया शामिल हैं. इनमें से दो विधायकों अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल को राहत नहीं दी गई है. संजय शर्मा के मुताबिक, अदालत ने उनके खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं. 'सीएम केजरीवाल से आतंकियों जैसा सुलूक हुआ' कोर्ट का फैसला आने के बाद आम आदमी पार्टी ने प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की. पार्टी के बड़े नेता और दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अदालत के फैसले को 'सत्यमेव जयते' बताया. उन्होंने कहा,
"ये न्याय और सच की जीत का दिन है. कोर्ट ने कहा है कि मामले के सभी आरोप झूठे और निराधार थे. मुख्यमंत्री (अरविंद केजरीवाल) को आज इस झूठे केस से मुक्त कर दिया गया है. हम लगातार कह रहे थे कि आरोप झूठे हैं. ये मुख्यमंत्री के खिलाफ रची गई एक साजिश थी."
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दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया. (तस्वीर- पीटीआई)

मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल के खिलाफ 'षड्यंत्र' के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी का हाथ बताया. उन्होंने कहा,
"अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश रची गई थी, दिल्ली की लोकप्रिय सरकार को नाकाम बनाने के लिए. ये षड्यंत्र रचा गया था देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी और उनकी केंद्र सरकार के इशारे पर. जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने अरविंद केजरीवाल पर मारपीट का झूठा केस दर्ज किया. उनके दफ्तर और घर पर छापे मारे गए. केंद्र सरकार का पूरा सिस्टम सीएम केजरीवाल के खिलाफ इस्तेमाल किया गया. दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल किया गया. आजाद भारत में शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा कि किसी चुने हुए मुख्यमंत्री के साथ इस तरह आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया गया. लेकिन अदालत ने आज कह दिया कि पूरा मामला झूठा था."
मनीष सिसोदिया ने ये भी कहा कि आजाद भारत में ये भी शायद पहली बार हुआ होगा कि एक चुने हुए प्रधानमंत्री ने एक चुने हुए मुख्यमंत्री के खिलाफ इस तरह की साजिश रची. उनकी चुनी हुई सरकार को डीरेल करने की कोशिश की. इसके अलावा, दिल्ली के डेप्युटी सीएम ने अदालत के प्रति आभार व्यक्त किया. कहा कि उसके इस फैसले से लोगों का न्यायपालिका के प्रति विश्वास बढ़ेगा. 'माफी मांगें मोदी' मनीष सिसोदिया यहीं नहीं रुके. उन्होंने पीएम मोदी पर उनके विरोधियों की जासूसी करने का आरोप लगाया. साथ ही ये भी कहा कि पीएम मोदी अब देश के लोगों से माफी मांगें. वे बोले,
"अदालत द्वारा केस को झूठा करार दिए जाने के बाद पीएम मोदी को, उनकी भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उन्हें चुनने वाली दिल्ली की जनता से माफी मांगनी चाहिए. प्रधानमंत्री को सोचना चाहिए कि क्यों वे विपक्षी पार्टियों की जासूसी कराने में लगे रहते हैं. उनके खिलाफ मुकदमे कराने में लग रहते हैं. उनकी सरकारों को गिराने में लगे रहते हैं."
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दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश (दाएं). (तस्वीर- पीटीआई)
क्या हुआ था? ये मामला 19 फरवरी 2018 को हुई एक घटना से जुड़ा है. उस दिन सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने आधिकारिक निवास पर एक बैठक बुलाई थी. इसमें आम आदमी पार्टी के कई विधायक मौजूद थे. बैठक में उस समय के चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश भी पहुंचे. बैठक के बाद में अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया कि मीटिंग के दौरान उन पर हमला किया गया. तब ये कहा गया था कि अंशु प्रकाश से मारपीट के वक्त सीएम केजरीवाल बैठक में मौजूद थे. सारा हंगामा उनके सामने हुआ. अंशु प्रकाश के आरोप के बाद दिल्ली सरकार और इसके नौकरशाहों के बीच तनातनी पैदा हो गई थी.
पुलिस ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और 9 अन्य विधायकों को आपराधिक साजिश रचने के आरोप के तहत आरोपी बनाया था. उन पर आईपीसी की कई धाराएं लगाई गई थीं. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल और बाकी AAP विधायकों के खिलाफ धारा 34, 36, 186, 323, 332, 342, 353, 504, 506(2), 120बी, 109, 114 और 149 के तहत केस दर्ज किया था. कोर्ट ने दो विधायकों को छोड़कर बाकी सभी को इन धाराओं से मुक्त कर दिया है. बता दें कि प्रकाश जरवाल और अमानतुल्ला खान को सरकारी कर्मचारी पर हमला करने और डराने के आरोप के तहत नामजद किया गया था.

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