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आनंदपाल सिंह एनकाउंटरः उस गैंगस्टर की कहानी जिसने राजस्थान की राजनीति को हिला दिया

जिसके वकील ने राज्यपाल से कहा था कि वो देशभक्त है.

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आनंदपाल सिंह. अंत में शव.
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24 जून 2017 (Updated: 25 जून 2017, 19:20 IST)
Updated: 25 जून 2017 19:20 IST
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शनिवार रात राजस्थान पुलिस ने गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को एनकाउंटर में मार दिया है. 

पुलिस की हिरासत से भाग निकले आनंदपाल सिंह की फरारी का मामला बीते दो साल से चर्चा में था. इतने लंबे वक्त तक अखबारों के पहले पन्ने, राजस्थान पुलिस और सरकारी अधिकारियों की मीटिंग्स इस केस में बहुत उलझे रहे थे. एक साल पहले पुलिस ने कार में सोते हुए उसके दोस्त गैंगस्टर सुभाष मूंड को पकड़ा तो पता चला था कि पांच लाख का ईनामी गैंगस्टर आनंदपाल सीने पर बुलेट प्रुफ जैकेट पहने और हाथ में एके-47 लिए खेतों में किसानों की बकरियां चुरा रहा है. वह बीकानेर, नागौर या शेखावाटी के खेतों में, तो कभी गाड़ियों में रात-दिन निकाल रहा था लेकिन पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था.

उसके परिवार और रिश्तेदारों को भी पुलिस ने पकड़ा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. फिर आनंदपाल ने अपनी मां और प्रेमिका के जरिए अपील करवाई. सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह ने जयपुर में राज्यपाल कल्याण सिंह से मुलाकात की और कहा कि सुरक्षा दी जाए तो आनंदपाल सामने आने और सरेंडर करने को तैयार है. वकील ने ये भी कहा कि आनंदपाल देशभक्त है, उसने पंचायत चुनाव लड़ा था और उसके बाद स्थानीय नेताओं ने अत्याचार करके उसे जुर्म के दलदल में धकेला जबकि वो एक प्रतिभाशाली नौजवान था.
वकील एपी सिंह ने राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी चिट्ठी दी थी जिसमें कहा है कि इस आपराधिक मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए क्योंकि आनंदपाल और जेल में बंद उसकी प्रेमिका ने कोई अपराध नही किया है. कि उनके खिलाफ ये आरोप गलत हैं कि उसने एके-47 से गोलियां चलाकर पुलिसवालों को घायल किया और भागा. सिंह का कहना था कि आनंदपाल जेल से नहीं भागता तो उसके साथी बलवीर बानूड़ा की तरह उसका दुश्मन गैंगस्टर राजू ठेहट भी उसे जेल में मरवा देता.
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आनंदपाल सिंह अपनी एक पेशी के दौरान.

खैर, अब ये कहानी खत्म हो चुकी है. मंगलवार रात 11.30 बजे के करीब बीकानेर के पास चुरू जिले के मालासर में पुलिस की एक टीम ने पूरी तैयारी से दबिश दी. आनंदपाल सिंह वहीं रहने वाले श्रवण सिंह के घर में छुपा हुआ था जबकि एक वक्त ये खबरें चल रही थीं कि वो दुबई जा चुका है. तो मालासर के इस घर में पुलिस का आनंदपाल से एनकाउंटर हुआ. पुलिस के मुताबिक उनके और आनंदपाल व उसके दो साथियों के बीच गोलियों के 100 से ज्यादा राउंड चले. इसी दौरान वो ढेर हो गया. बताया जाता है कि उसे सीने पर छह गोलियां लगीं. इस मुठभेड़ में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए. इससे पहले आनंदपाल के दो भाइयों को हरियाणा के सिरसा से पकड़ लिया गया था. माना जा रहा है कि उसके भाइयों ने ही दबाव में खुलासा किया कि आनंदपाल कहां छुपा हुआ था. 
आनंदपाल का शव और वो घर जहां एनकाउंटर हुआ था.
आनंदपाल का शव और वो घर जहां एनकाउंटर हुआ था.

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, उनके मंत्रियों और राज्य के सीनियर पुलिस ऑफिसर्स पर आनंदपाल को पकड़ने का बहुत भारी दबाव था और दो साल से उनकी बड़ी किरकिरी हो रही थी.  आनंदपाल के जाने के बाद अब उसकी कहानी ही है जो बहुत ध्यान से पढ़ी जाएगी जिसकी कई परतें, कई स्थितियां और अलग ही पॉलिटिक्स है.

जानिए इस गैंगस्टर और उसकी फरारी की कहानी

#1. आनंदपाल राजस्थान के नागौर जिले की लाडनूं तहसील के एक छोटे से गांव का रहने वाला था. लूट, वसूली, मर्डर और गैंगवार के करीब 24 मामलों में वो शामिल था.
#2. उसकी महत्वाकांक्षा लिकर किंग बनने की बताई जाती है. जिसके कारण विरोधी गैंग से उसकी लड़ाई होती रही. बीकानेर जेल में 2015 में उसका गैंगवार हुआ था. आनंदपाल को भी गोली लगी थी.
#3. कहा जाता है कि वो हथियारों और खून-खराबे के सहारे राजस्थान के अपराध जगत में पहले नंबर पर आना चाहता था.
#4. अपराध की दुनिया में उसका प्रवेश 2006 में हुआ. उसने तब डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोली मारकर हत्या कर दी थी. डीडवाना में दर्ज 13 मामलों में से 8 में उसे भगौड़ा घोषित किया हुआ था.
#5. सीकर में हुए गोपाल फोगावट हत्याकांड में भी उसी का हाथ बताया जाता है. ये मामला विधानसभा में उठा था.
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आनंदपाल सिंह अपनी एक पेशी के दौरान.

#6. जून, 2011 में उसने बीकानेर के सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलीबारी की थी. तीन लोग घायल हुए थे. आरोप था कि उसी दिन उसने गनौड़ा जगह में शराब ठेके पर सेल्समैन के भाई को मार दिया.
#7. आनंदपाल के नाम के अनेक किस्से शेखावाटी क्षेत्र में हीरोइक तरीके से चाव से सुने-सुनाए जाते हैं जहां का वो रहने वाला था.
#8. पहले वह बीकानेर और फिर अजमेर जेल में बंद था. 3 सितंबर 2015 को आनंदपाल और उसके साथी सुभाष मूंड की नागौर कोर्ट में पेशी थी. पुलिस वैन में उसे फिर अजमेर सेंट्रल जेल लाया जा रहा था.
#9. लौटते हुए आनंदपाल ने पुलिस वालों को मिठाई खिलाई जिससे उन्हें नशा आ गया. आगे उसके साथियों ने सड़क रोक ली और गोलियां चलाते हुए उसे भगाकर ले गए. इसमें एक पुलिसकर्मी मारा गया था.
#10. तमाम पुलिस महकमे की सक्रियता के बावजूद वह किसी के हाथ नहीं आया था. उसे लेकर सरकार और पुलिस की इतनी किरकिरी हुई थी कि पूरा अंदेशा था कि उसका एऩकाउंटर किया जाएगा.
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