मेवालाल चौधरी. बिहार की तारापुर विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू के विधायक हैं. 16 नवंबर सोमवार को जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो कैबिनेट मंत्रियों में शपथ लेने वालों में मेवालाल चौधरी भी रहे. नई सरकार में नए मंत्री बने मेवालाल पर पुराना एक बड़ा आरोप है. अध्यापक नियुक्ति में धांधली का आरोप.
क्या है पूरा मामला?
मेवालाल चौधरी पर आरोप लगा है कि जब वे बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) में थे, तब असिस्टेंट प्रॉफेसर नियुक्ति में काफी भ्रष्टाचार हुए. मेवालाल 2010 से 2015 के बीच बीएयू के वाइस चांसलर थे. वहां 2012 में 161 पदों पर भर्तियां की गई थीं. इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर और कुछ अन्य पद थे. इन्हीं नियुक्तियों के लिए हुए इंटरव्यू में धांधली की शिकायतें सामने आई थीं. आरोप लगे कि कई पास अभ्यर्थियों को फेल करके नियुक्ति के लिए वेबसाइट पर लिस्ट अपलोड कर दी गई थी. रिश्वत लेकर पदों पर उन लोगों की भर्ती कर दी गई, जो कम योग्य थे.
इस मामले में फरवरी 2017 में एफआईआर दर्ज की गई. आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी लगीं. ये धाराएं लोकसेवक रहते हुए भरोसा तोड़ना, धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज तैयार करना और आपराधिक साजिश आदि से जुड़ी हैं. इस केस में मेवालाल के ख़िलाफ गैर-ज़मानती वारंट भी जारी किया गया था. सितंबर 2017 में उन्हें जमानत मिली. 2019 में इन्हीं आरोपों के चलते उन्हें जेडीयू से निलंबित कर दिया गया था. फिलहाल भागलपुर के एडीजे-1 की अदालत में ये मामला लंबित है.
मेवालाल का क्या कहना है?
मेवालाल लगातार कहते रहे हैं कि राजनीति के तहत उन्हें इस केस में फंसाया गया. वह दावा करते हैं कि नियुक्तियों में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. इस काम के लिए बाकायदा कमेटी बनाई गई थी. वे इस कमेटी के अध्यक्ष ज़रूर थे, लेकिन नियुक्तियों का सारा काम कमेटी के सदस्यों ने संभाला था.
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