IIT BHU में दलित छात्रा को एडमिशन नहीं मिला, इलाहाबाद HC ने कमाल कर दिया
एडमिशन फीस नहीं भर पा रही थी छात्रा, कोर्ट ने बड़ी मदद कर दी.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक केस सामने आया. संस्कृति रंजन नाम की दलित छात्रा को IIT BHU में दाखिला लेना था. लेकिन आर्थिक हालात के चलते वो फ़ीस समय से जमा नहीं कर पाईं. इस वजह से उन्हें दाखिला नहीं मिल पा रहा था. उन्होंने इसके लिए हाई कोर्ट में अर्जी लगा दी. कोर्ट ने IIT BHU को निर्देश दिया कि छात्रा को दाखिला दिया जाए. साथ ही छात्रा को फ़ीस भरने में मदद भी की.
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक छात्रा संस्कृति रंजन ने JEE मेन्स परीक्षा में 92.77 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. उन्होंने एससी श्रेणी की उम्मीदवार के रूप में 2062 रैंक हासिल की थी. अक्टूबर 2021 में इसी श्रेणी में उन्होंने 1469 रैंक के साथ JEE एडवांस भी क्लियर किया. इसके बाद संस्कृति को IIT (BHU) वाराणसी में गणित और कंप्यूटिंग की पढ़ाई (बैचलर एंड मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी डुअल डिग्री) के लिए एक सीट मिल गई. लेकिन छात्रा ने निर्धारित समय से पहले 15 हज़ार रुपये की फ़ीस जमा नहीं की. इस वजह से उन्हें एडमिशन नहीं मिला.
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि छात्रा क्यों फीस नहीं भर पाई. वकीलों के मुताबिक छात्रा के पिता को जीवित रहने के लिए एक हफ्ते में दो बार डायलिसिस करने की ज़रूरत पड़ती है. बताया कि पिता के खराब स्वास्थ्य, और कोविड संकट के दौरान पैदा हुई आर्थिक मुसीबतों की वजह से ही छात्रा फ़ीस देने में असमर्थ रही.
अदालत को ये भी बताया गया कि इससे पहले याचिकाकर्ता छात्रा और उसके पिता ने संस्थान की जॉइंट सीट ऐलोकेशन अथॉरिटी को इस मसले पर लिख कर अपनी समस्या बताई थी. उन्होंने फीस भरने के लिए दिए गए समय की अवधि बढ़ाने की मांग भी की थी. लेकिन अथॉरिटी की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया.
इसके अलावा छात्रा के वकील सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को अदालत के संज्ञान में लाए. इस आदेश में शीर्ष अदालत ने आईआईटी-बॉम्बे को एक दलित छात्र जयबीर सिंह को प्रवेश देने का निर्देश दिया था. वकीलों ने बताया कि संस्कृति की तरह ये छात्र भी तय तारीख से पहले सीट आवंटन के लिए फीस जमा नहीं कर पाया था.
लाइव लॉ की ख़बर के मुताबिक संस्कृति रंजन की स्थिति जानने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें दो बड़ी राहत दी. उसने IIT BHU को निर्देश दिया कि वो दलित छात्रा को एडमिशन दे, साथ ही अदालती कार्यवाही से इतर उसकी आर्थिक मदद भी की.
संस्कृति रंजन को न्याय और आर्थिक मदद देने वाले ये जज हैं जस्टिस दिनेश कुमार सिंह. मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दिनेश कुमार सिंह को छात्रा के बारे में पता चला तो सुनवाई खत्म हो जाने के बाद उन्होंने छात्रा को 15 हज़ार रुपए बतौर मदद दिए.