माइक पाकर वक्ता हो जाएं.
ट्विटर ट्रोल्स प्रवक्ता हो जाएं.
जोगीरा सारा रा रा..
फेसबुक के शैशवकाल में एक तस्वीर नज़र आती थी. वो किसी अखबार की कतरन थी. जिसमें सफेद रंग की कमीज पहने एक बालक सिर पर पगड़ी और हाथ में जूता लिए हुआ था. ये जूता अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के लिए था. जूते लिए बालक का नाम तजिंदर पाल सिंह बग्गा था, ये आपको बाद के समय में पता चलता है.
मनोज तिवारी जो बीजेपी दिल्ली के अध्यक्ष हैं. उनने कल एक तारीफ़ किए जाने लायक फैसला लिया. कहा कि जो अभी पार्षद हैं, उनको या उनके नात-बांत को एमसीडी का टिकट नहीं दिया जाएगा. दस साल से एमसीडी में बीजेपी का ही हाथ लगा है. मनोज तिवारी न चाहते होंगे कि ये सिलसिला रुके. तो उनका फैसला थोड़ा ‘सबको खुश रखना है’ वाला नहीं था.
Thanks @narendramodi ji, @AmitShah ji & @ManojTiwariMP ji for having faith in me & giving me the opportunity to be Spokesperson of BJP Delhi
— Tajinder Pal S Bagga (@TajinderBagga) March 14, 2017
लेकिन इसी रात उन्होंने एक और फैसला लिया. जो जानकर आपको ओके-ओके होने में टाइम लगता है. दिल्ली बीजेपी ने तजिंदर पाल सिंह बग्गा को अपना प्रवक्ता बना लिया है. बग्गा भगत सिंह क्रांति सेना और मोदी फ़ैन क्लब चलाते हैं और ट्विटर पर अपने आक्रामक और कई बार अभद्र पॉलिटिकल हमलों के लिए बदनाम हैं. एक बार जम्मू में झंडा फहराने गए, वहां भी पकड़ लिए गए थे. एक बार कहा गया कि महाराष्ट्र भवन में तोड़-फोड़ किए हैं, तब भी पकड़ ले गई पुलिस.
इनके विरोधों और पकड़ाने का सिलसिला आज कल का नहीं है. पहुंचिए 12 अक्टूबर 2011 की तारीख पर. वकील प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट के परिसर में हमला हुआ. उन्हें बेतरह मारा गया. मारने वाला पकड़ाया. टीवी पर नाम सुनाई दिया, इंद्र वर्मा. 24 साल का लड़का. भगत सिंह क्रांति सेना से उसका भी संबंध था. फिर ये सुनाई दिया कि भाई साहब किसी श्री राम सेना के प्रदेश अध्यक्ष हैं. वैसे ये श्री राम सेना याद कीजिए तो वही वाली निकलेगी, जिसने मेंगलुरु में एक बार पब में लड़कियों पर हमला करके बदनामी कमाई थी. अरे यार प्रमोद मुतालिक वाला. अगले दो दिनों में फेसबुक पर दो और नाम तैरते मिले, तजिंदर पाल सिंह बग्गा और विष्णु गुप्ता. विष्णु गुप्ता से आपको वो फोटो तो याद नहीं आती, जिस फोटो में एक उत्साही बालक ट्रंप की फोटो को केक खिलाते दिख रहा था? खैर उस कांड के बाद भगत सिंह क्रांति सेना को बाल ठाकरे की बधाई भी मिली थी.

भगत सिंह क्रांति सेना के पहले तक तो ये बीजेपी युवा मोर्चा के मेंबर थे. बग्गा के पापा तब तिलकनगर में कपड़ों की दुकान चलाते थे. 2011 से वो लाइमलाइट में आए. लगभग उसी समय विष्णु गुप्ता के साथ मिल बग्गा ने ये क्रांति सेना बना ली. विष्णु गुप्ता का ये चलता है कि उसने पटियाला हाउस कोर्ट में एक आतंकी को मारा था. अचकचाइए नहीं, माने लश्कर−ए−तैयबा के आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को पेशी में ले जाया जा रहा था तो थप्पड़ मारा था. हालांकि कुछ लोग बाद में ये भी कह रहे थे कि वो तो बस नारे लगाते रह गया, थप्पड़ साथ वाले शिव कुमार ने मारा था.
और थोड़ा डीपली घुसके देखें तो इनका विरोध का इतिहास रहा ही है. अरुंधति राय हैं, दिल्ली वाले इंडिया हैबिटेट सेंटर में एक किताब की लॉन्चिंग पर पहुंची. किताब का नाम ‘ब्रोकेन डेमोक्रेसी’ था, निबंधों का संग्रह था. मई का महीना था. चार लड़के थे. उनका विरोध किए, पुलिस पकड़ ले गई. घर की तलाशी भी हुई, एक रात जेल में भी रहे. और एक बात तो और चलती है कि उससे भी पहले एक बार ये लोग मीर वाइज उमर फारुख की कार पर अंडा, पानी और पत्थर फेंक चुके हैं.
27 नवंबर 2011 को क्या हुआ कि रामलीला मैदान में एक सेमिनार था. पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया का. वहां पहुंचे और प्रोग्राम रुकवा दिया. फिर क्या हुआ? आईपीसी के दो सेक्शन ठंस गए. खैर इसके अलावा भी वो अमरनाथ यात्रा का समय घटाए जाने पर एक बार जम्मू कश्मीर हाउस घेर बैठे थे.
ऐसा नहीं है कि ये बस मारपीट करते हैं. आन्हां, कोर्ट में कानून में भी भरोसा है अगले का. नमूने देखें. शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किए हैं.
जब पिच्चर आई थी वो वाली, ‘जो भेजी थी दुआ वाला’ गाना था जिसमें. अरे वो ‘कसम राम की खाई है, शहर नहीं शंघाई है’ वाली शंघाई. तब इनको एक दूसरे गाने से आपत्ति हुई. गाना था, ‘सोने की चिड़िया, डेंगू मलेरिया, गुड़ भी है, गोबर भी भारत माता की जय’ भाई लोग हर्ट हो गए. पर इस बार पीटा नहीं किसी को. कोर्ट में गए. 6 जून की गर्मी में, साल 2012 में, दिल्ली की हाईकोर्ट ने कहा, चलो निकलो. गाने में कुछ अपमानजनक नहीं है. न फिल्म बंद होगी. गाना देखो.
फिर वो आदमी जिसने हमारे पीएम को पहली बार चायवाला कहा था. अच्छा सा तो नाम था मणि शंकर अय्यर. उनके विरोध में तालकटोरा स्टेडियम पहुंचे. वहां हो रही थी AICC की मीटिंग. साल 2014 की जनवरी चल रही थी. ठंड के मौसम में मोदी की टीशर्ट पहनकर लगे चाय बेचने.
फिर एक कुमार विश्वास का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो सरदारों पर चुटकुले बना रहे थे. उसके खिलाफ भी ये दिल्ली पुलिस में शिकायत करने गए थे. ऐसा सच में नहीं है कि ये बस किसी भी बात पर हाथ खोल देते हैं, प्रोटेस्ट के अपने दूसरे तरीके भी हैं इनके पास. अब देखो केजरीवाल ने अपनी पार्टी से कई लोगों को निकाला तो अगले से देखा नहीं गया. ऐसे पोस्टर छपा के जवाब दिया.
एक और दिखाते हैं, एक दिन एक न्यूज चैनल के दफ्तर के बाहर जा खड़े हुए, सिर्फ ये कहने की एंकर जी हमको ट्विटर पर ब्लॉक किए हैं. अनब्लॉक कर दें.
बीजेपी वालों ने इनको प्रवक्ता बनाया है. बधाई हो इनको, बीजेपी को भी बधाई हो. अब पूछो हम बधाई दो बार काहे दे रहे हैं, इसका भी एक किस्सा है. बीजेपी के एक नेता हैं. कुछ एलके आडवाणी जैसा नाम है. एक बार उनने मोदी का विरोध सा किया था. बग्गा ने उनके घर तक मार्च निकाल दिया था.
शेष कुशल.
प्रणाम.
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