थ्री इडियट्स फिल्म देखी है? देखी होगी तो उसमें प्रॉफसर वीरू सहस्त्रबुद्धे उर्फ वायरस का कैरेक्टर याद होगा. कॉलेज के डीन. जबरदस्त जीनियस. दोनों हाथ से एक साथ लिखने वाले टीचर. वायरस का नारा था- लाइफ इज़ अ रेस. इस रेस में अपनी ज़रूरत का आराम वो करते थे दोपहर के साढ़े सात मिनट में. पावर नैप लेकर. दोपहर में खाना खाने के बाद ली गई ये साढ़े सात मिनट की पावर नैप वायरस को और भी ‘डेडली’ बना देती थी.
पावर नैप की इसी महिमा से जुड़ी ख़बर है. गोवा में पावर नैप या दोपहर की झपकी के इस मुद्दे पर पर अगला चुनाव लड़े जाने की तैयारी है. राज्य में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. गाजा-बाजा 2021 से ही शुरू हो जाएगा. यहां एक राजनीतिक दल है- गोवा पॉलिटिकल पार्टी. इसके मुखिया विजय सरदेसाई ने 1 दिसंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कहा कि दोपहर में झपकी लेना तो गोवा के कल्चर का हिस्सा है. अगर उनकी पार्टी सरकार में आती है तो वो इसे अनिवार्य कर देंगे.
झपकी मुद्दा क्यों बनी?
गोवा माने चिल वाइब्स वाली जगह. दोपहर में झपकी मारना यहां आम बात है. यहां के लोग दोपहर में करीब घंटे भर की झपकी लेते ही लेते हैं. इसे ‘सिएस्ता’ (Siesta) कहते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए विजय सरदेसाई ने कहा है कि वे सीएम बने तो सभी दफ्तरों के लिए ज़रूरी होगा कि वे दोपहर मेंं कर्मचारियों के एक घंटे का सिएस्ता ऑर (Siesta Hour) दें.
अपने अनोखे ऐलान के बाद विजय सरदेसाई ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
“गोवा के कल्चर का एक अहम हिस्सा है- सुसेगाद. ये पुर्तगाली शब्द सुसेगादो से निकला है. इसका मतलब होता है कि ज़िंदगी को रिलैक्स, चिंतामुक्त और अच्छे एटिट्यूड के साथ जीना. यही गोवा वालों की लाइफस्टाइल है और सुसेगाद का अहम हिस्सा है- दोपहर की झपकी. और अब तो ये क्लिनिकली भी साबित हो चुका है कि दोपहर की झपकी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद होती है.”
बताते चलें कि चीन के बारे में ये एक प्रचलित बात है कि वहां दफ्तरों में दोपहर में छोटी सी झपकी मारने का समय दिया जाता है. कुछ समय पहले अमेरिकी की सिलिकन वैली से भी ये ख़बर आई थी कि साब वहां फेसबुक ने बड़ा जोरदार ऑफिस तैयार किया है और वहां तो झपकी मारने के लिए अलग-अलग कोने तक बने हैं. कोने में जाइए, झपकी मारकर आइए. अब हकीकत तो गुरू तभी पता चलेगी, जब फेसबुक में काम करने वाला कोई लपेटे में आए.
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