The Lallantop
Advertisement

लोकसभा में कृषि मंत्री बोले- नहीं पता आंदोलन में कितने किसान मरे, मुआवजे का सवाल ही नहीं

कहा- किसानों पर दर्ज मुकदमों के बारे में भी मंत्रालय के पास रिकॉर्ड नहीं.

Advertisement
Img The Lallantop
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (बाएं) का कहना है कि आंदोलन में कितने किसान मारे गए. इसका कोई डेटा मंत्रालय के पास नहीं है. वहीं किसान संगठन के नेता (दाएं) 700 से ज्यादा किसानों की जान गंवाने की बात कहते हैं. (फोटो-PTI)
font-size
Small
Medium
Large
1 दिसंबर 2021 (Updated: 1 दिसंबर 2021, 08:54 IST)
Updated: 1 दिसंबर 2021 08:54 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन में कितने किसानों की मौत हुई? किसान संगठनों का कहना है कि सैकड़ों आंदोलनकारी किसानों की मौत इस आंदोलन के दौरान हुई है. लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि उसके पास ऐसा कोई डेटा ही नहीं है, जिसके आधार पर मौतों की संख्या बताई जा सके. मंगलवार 30 नवंबर को लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ये बयान दिया. कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पास किसान आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए मुआवजा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. किस तरह के सवाल पूछे गए थे? संसद सत्र के दौरान कृषि मंत्रालय से सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार के पास राष्ट्रीय राजधानी में और उसके आसपास हुए आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों का आंकड़ा है? ये भी पूछा गया था कि क्या सरकार इस आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने पर विचार कर रही है? इसी सवाल का मंत्रालय ने लिखित जवाब दिया है. इसके अलावा कुछ और भी सवाल पूछे गए थे. जैसे क्या सरकार ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के साथ बातचीत के लिए कदम उठाए हैं? इसके जवाब में कहा गया है कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार ने सक्रिय रूप से और लगातार आंदोलनकारी किसान संघों के साथ काम किया और मुद्दों को हल करने के लिए सरकार और आंदोलनकारी किसान संघों के बीच 11 दौर की बातचीत हुई. सरकार ने याद दिलाया कि कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए बीती 29 नवंबर को संसद के दोनों सदनों में बिल पारित हो चुका है. ये भी पूछा गया कि आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ कितने मुकदमें दर्ज किए गए हैं. इसके जवाब में कहा गया है कि कृषि एवं किसान मंत्रालय के पास इसका भी कोई रिकॉर्ड नहीं है. MSP पर क्या कहा गया है? ये भी सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार किसानों के हितों की रक्षा के मद्देनजर कृषि उपज के लिए MSP लागू करने का विचार कर रही है? इसके जवाब में कहा गया है कि भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग CACP की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए हर साल 22 फसलों की MSP तय करती है. इसके अलावा सरकार अपनी अलग-अलग योजनाओं के जरिए किसानों को लाभकारी कीमत देती है. केंद्र और राज्यों की एजेंसियां सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत MSP पर फसलों की खरीदारी करती हैं. सरकार ने कहा कि समग्र बाजार भी एमएसपी की घोषणा और सरकार के खरीद कार्यों पर प्रतिक्रिया देता है जिससे अधिसूचित फसलों की बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी होती है. किसान संगठन क्या कह रहे हैं? सरकार भले ही ये कहे कि उसके पास आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों का कोई डेटा नहीं है, लेकिन किसान संगठनों का दावा है कि पिछले एक साल में करीब 700 आंदोलनकारी किसानों की जान गई है. किसान संगठनों के साथ-साथ विपक्ष भी इन किसानों के परिजनों को लिए मुआवजे की मांग कर रहा है. इतना ही नहीं बीजेपी के ही सांसद वरुण गांधी ने तो किसानों के परिजनों के लिए एक-एक करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की थी. वहीं तेलंगाना सरकार ने 3-3 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा भी कर दी थी. दूसरी ओर बुधवार, 1 दिसंबर को BKU प्रवक्ता राकेश टिकैत ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि 50-55 हज़ार मुकदमें जो आंदोलन के दौरान दर्ज़ हुए हैं, वे वापस लिए जाएं. MSP गारंटी क़ानून बने और जिन किसानों ने जान गंवाई है उन्हें मुआवजा मिले. टिकैत ने कहा कि जिन किसानों के ट्रैक्टर बंद हैं, उन्हें ट्रैक्टर दिए जाएं. किसान नेता फिर दोहराया कि ये उनके मुख्य मुद्दे हैं जिन पर सरकार को बातचीत करनी चाहिए.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement