दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल ने अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों और उनके पैरेंट्स के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी जारी की है. इसके साथ ही सभी पेरेंट्स को एक कंसेंट फॉर्म दिया गया है जिसमें स्कूल की पॉलिसी पर अपनी सहमति जताते हुए उन्हें साइन करना होगा. स्कूल के इस कदम के बाद से पैरेंट्स और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे एक्टिविस्ट्स की भौहें तन गयी हैं.
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली के गंगा राम हॉस्पिटल मार्ग पर स्थित बाल भारती पब्लिक स्कूल ने अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों और उनके माता-पिता के लिए एक सोशल मीडिया पॉलिसी जारी की है, जिसमें ये बताया गया है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कितना और कैसे करना है.
स्कूल की गाइडलाइन्स के मुताबिक़, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का गलत उपयोग करने और पॉलिसी ब्रीच करने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. स्कूल का कहना है कि भले ही यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन और इंस्टाग्राम उनके लिए नए अवसर पैदा करते हों लेकिन इससे जुड़े खतरे भी बहुत हैं, जिसका असर स्कूल की रेपुटेशन पर पड़ सकता है. इसलिए स्कूल के सभी स्टाफ, स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर क्या पोस्ट करते हैं, इसको लेकर सावधान रहने को कहा गया है. कहा गया है कि स्कूल की सिक्योरिटी से कोई कॉम्प्रोमाइज़ नहीं किया जाएगा. इसीलिए स्कूल सभी के लिए सोशल मीडिया पर उनकी ‘ज़िम्मेदारी’ तय कर रहा है जिससे आगे कोई खतरा ना उठाना पड़े.
स्कूल की तरफ से सोशल मीडिया पर गलत व्यवहार की एक लिस्ट तैयार की गई है. इसके अंतर्गत रेसिस्ट कमेंट्स/पोस्ट, हिंसा या धमकी वाले पोस्ट करने से मना किया गया है.
यहां तक तो फिर भी ठीक था. गाइडलाइंस में लिखा है कि पैरेंट्स स्कूल या स्कूल के स्टाफ के खिलाफ कुछ नहीं लिख सकते हैं. न ही नेगेटिव कमेंट कर सकते हैं. स्कूल का कहना है,
“पेरेंट्स हमेशा नहीं समझ पाते कि कब वो सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए पहले स्कूल प्रशासन उनसे मिलकर मामला सुलझाने की कोशिश करेगा. उन्हें समझायेगा कि उनकी पोस्ट या कमेंट में क्या दिक्कत है. अगर फिर भी पेरेंट्स स्कूल की बात मानने को तैयार नहीं होते हैं तो उन्हें नोटिस भेजने और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.”
पेरेंट्स एसोसिएशन एक्शन लेने की तैयारी में
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने इस मामले का संज्ञान लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल को चिट्ठी लिखने की बात कही है. इससे पहले 2018 में भी इसी स्कूल के खिलाफ दिल्ली सरकार ने कार्रवाई की थी, क्योंकि ये स्कूल फीस नहीं घटा रहा था.
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