पड़ताल: जले हुई धार्मिक ग्रंथों की तस्वीरें क्या त्रिपुरा हिंसा से जुड़ी हैं?
सोशल मीडिया पर त्रिपुरा हिंसा से जोड़कर तस्वीर वायरल.
हाल ही में त्रिपुरा के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भीड़ ने त्रिपुरा में मस्जिदों को निशाना
बनाया और स्थानीय व्यापारियों की दुकानों को आग के हवाले कर दिया.
अब सोशल मीडिया यूज़र्स अलग-अलग दावों के साथ हिंसा से जुड़ी हुईं तस्वीरों को शेयर कर रहे हैं.
ऐसी ही एक तस्वीर में 2 शख्स हैं, जिनके हाथों में कुछ जली हुई किताबें दिख रही हैं. वायरल हो रहे दावे के मुताबिक, जली हुई किताबें का संबंध इस्लाम धर्म से है. ट्विटर यूजर शोएब अख्तर ने वायरल तस्वीर को ट्विटर पर शेयर करते हुए कैप्शन
दिया. (आर्काइव
)
या अल्लाह त्रिपुरा के मुसलमानों और मस्जिदों की हिफाजत फरमा! #अमीन
pic.twitter.com/56wDE0EIuW
— Shoaib Akhtar (@Shoaib_7877) October 29, 2021
ट्विटर पर ही TTS नाम के यूजर ने वायरल तस्वीर को ट्वीट
करते हुए लिखा. (आर्काइव
)
क्या मेरा घर मेरी मस्जिद मेरा कुरान मेरा रोजगार इस तरह जला दिया जाएगा ? या में ये सोचकर सो जाऊं कि ये तो त्रिपुरा में हो रहा है मुझे क्या मतलब है ? मेरे साथ तो ऐसा नहीं होगा pic.twitter.com/6drET8AC6i
— T T S (@MumtazA70425470) October 30, 2021
एक और ट्विटर यूजर मनीष तिवारी ने वायरल तस्वीर को ट्वीट
करते हुए कैप्शन लिखा. (आर्काइव
)
त्रिपुरा से जो भी तस्वीरें आरही हैं रुला देने वाली हैं------
डूबे हैं लहू में जो बच्चों पे तरस रहे खाये अल्लाह करे हाकिम अश्कों पे तरस खाये#savetripuramuslimsnow
#त्रिपुरा_दंगे
pic.twitter.com/2IFXVGJdvM
— Manish Tiwari (@livemanish_) October 29, 2021
इसी तरह फेसबुक पर
भी अलग-अलग दावों के साथ इस तस्वीर को त्रिपुरा हिंसा से जोड़ा
जा रहा है.
'दी लल्लनटॉप' ने वायरल हो रहे दावे की पड़ताल की. पड़ताल में हमने पाया कि वायरल हो रही तस्वीर दिल्ली के रोहिंग्या शरणार्थी कैंप की है. ये तस्वीर जून 2021 की है. वायरल तस्वीर का त्रिपुरा से कोई लेना-देना नहीं है. तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया. रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ट्विटर पर 13 जून 2021 का एक ट्वीट मिला. ट्विटर यूजर Ramy के इस ट्वीट
में वायरल हो रही तस्वीर मौजूद है. (आर्काइव
)
4) Almost 56 shanties were gutted and 300 residents get homeless in yesterday's horrific incident. My heart pains seeing the condition of Rohingya Muslims. They are one of the world's most persecuted community yet no one cares. Most probably because they are Muslims. pic.twitter.com/nXMQ0Id4H0
— Ramy (@Rammyyyyy_) June 13, 2021
ट्विटर यूजर Ramy ने इस तस्वीर को जून 2021 में दिल्ली के रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप में लगी आग से जुड़ी बताया. यहां से क्लू लेकर जब हमने कीवर्ड्स की मदद से वायरल हो रही तस्वीर के बारे में जानकारी जुटाई तो वायरल फोटो से जुड़ा एक इंस्टाग्राम पोस्ट
मिला.
आसिफ मुजतबा नामक इंस्टाग्राम यूजर ने इस तस्वीर को अपने इंस्टाग्राम पर अपलोड किया था. 13 जून को किए गए इस पोस्ट में भी बताया गया है कि वायरल हो रही तस्वीर दिल्ली के कंचनकुंज के रोहिंग्या कैंप में आग लगने के बाद की है.
हमें रोहिंग्या कैंप में आग लगने की खबर अलग-अलग मीडिया आउटलेट्स पर मिली. इंडियन एक्सप्रेस
, इंडिया टुडे
और द हिंदू
ने इस हादसे को विस्तार से कवर किया था. वायरल हो रही तस्वीर हमें आसिफ मुजतबा के ट्विटर हैंडल पर भी मिली. 28 अक्टूबर 2021 को आसिफ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर स्पष्टीकरण देते हुए
लिखा था. (आर्काइव
)
"ये तस्वीरें कंचन कुंज, नई दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में हाल ही में हुई आग की घटना की हैं, न कि त्रिपुरा की। हमें ये तस्वीरें तब मिली जब @miles2smile_ ने इस साल जून में राहत कार्य शुरू किया था। कृपया गलत सूचना साझा न करें #TripuraAnti MuslimRiots"
These images are from the recent fire mishap at Rohingya Refugee camp at Kanchan Kunj, New Delhi and not from Tripura. We got these images when @miles2smile_
started the relief work in June this year. Kindly do not share the misinformation #TripuraAntiMuslimRiots
pic.twitter.com/T0voGcTLtU
— Aasif Mujtaba (@MujtabaAasif) October 28, 2021
अपने अगले ट्वीट में आसिफ मुजतबा ने तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर का नाम मोहम्मद मेहरबान
बताया.
These images were clicked by @mdmeharban03
, a freelance photojournalist based in New Delhi.
— Aasif Mujtaba (@MujtabaAasif) October 29, 2021
( आर्काइव
) मोहम्मद मेहरबान की ट्विटर प्रोफाइल के मुताबिक, वो दिल्ली बेस्ट एक फोटो पत्रकार हैं. फोटो की पुष्टि के लिए 'दी लल्लनटॉप' ने मोहम्मद मेहरबान से संपर्क किया. मेहरबान ने बताया,
नतीजा"फोटो दिल्ली के कंचन कुंज स्थित रोहिंग्या शरणार्थी कैंप की है. 12 जून 2021 की रात को रोहिंग्या कैंप में आग लग गई थी. उसी दौरान देर रात को मैंने ये तस्वीर खींची थी."
हमारी पड़ताल में नतीजा निकला कि हाथ में जली हुई धार्मिक किताबें लिए खड़े दो लोगों की वायरल तस्वीर का त्रिपुरा हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. असल में यह तस्वीर दिल्ली में कंचनकुंज स्थित रोहिंग्या शरणार्थी कैंप की है. जून के महीने में रोहिंग्या कैंप में आग लगने के बाद राहत एवं बचाव कार्य के दौरान ये तस्वीर खींची गई थी.
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