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पड़ताल: हिंदू ने तोड़ी मंदिर की मूर्तियां, सुदर्शन टीवी और सुरेश चव्हाणके ने मुस्लिमों को निशाना बनाया

नवरात्रे शुरू होने से पहले द्वारका, दिल्ली के ककरौला में मूर्तियां खंडित मिली थीं.

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सांप्रदायिक कवरेज के लिए कोर्ट से फटकार तक खा चुके सुदर्शन टीवी और उसके संपादक सुरेश चव्हाणके ने एक बार फिर फ़र्ज़ी सांप्रदायिक दावा किया है.
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15 अप्रैल 2021 (Updated: 15 अप्रैल 2021, 14:28 IST)
Updated: 15 अप्रैल 2021 14:28 IST
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प्रोपेगेंडा टीवी न्यूज़ चैनल सुदर्शन न्यूज़ के लिए फ़ेक न्यूज़ फैलाना कोई नई बात नहीं. सुदर्शन न्यूज़ और उसके संपादक सुरेश चव्हाणके पहले भी कई बार झूठे और भ्रामक दावे कर चुके हैं. कुछ महीने पहले उन्होंने UPSC जिहाद नाम की एक सीरीज़ शुरू की थी. इसमें किए गए बहुत सारे भ्रामक दावों का फैक्ट चेक आप यहां पढ़ सकते हैं. दावा इस बार सुरेश चव्हाणके ने दावा किया है कि दिल्ली के द्वारका में "जिहादियों" ने मूर्ति को तोड़ा है. (आर्काइव) चव्हाणके का ट्वीट- सुदर्शन न्यूज़ ने लिखा-
"नफ़रत की उन्मादी आंधी की चपेट में आया दिल्ली का एक और मन्दिर.."
(आर्काइव) दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मीडिया इंचार्ज नवीन कुमार ने भी मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए लिखा-
" गाँव मे जिहादियों द्वारा नवरात्रो से ठीक एक दिन पहले हनुमान मंदिर में देवी देवताओं की मुर्तिया तोड़ दी गयी. गंगा जमुनी तहजीब वाले अब कहाँ है जो भाई-चारा की बात करते हैं, या हिन्दू उनके लिए सिर्फ़ चारा है?"
(आर्काइव) इसके अलावा कई यूज़र्स ने इन्हीं दावों को दोबारा पोस्ट किया है. जहां मंदिर में मूर्तियां खंडित करने का आरोप मुस्लिम समुदाय पर लगाया है. पड़ताल ये वीडियो दिल्ली का ही है. लेकिन मूर्ति तोड़ने के आरोप में कोई मुस्लिम नहीं, ककरोला के भरत विहार जेजे कॉलोनी का रहने वाला महेश (भूत) को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. सुदर्शन न्यूज़ के भ्रामक वीडियो के रिप्लाई में DCP द्वारका के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है-
इसी इलाके के रहने वाले महेश (भूत) को पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरफ़्तार कर लिया है. उसने कहा कि वो पर्याप्त बारिश ना होने की वजह से भगवान से नाराज़ था. इस दुखद प्रकरण में कोई भी सांप्रदायिक कोण नहीं है.
'नवभारत टाइम्स' और 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' में छपी ख़बरों के मुताबिक, इस पूरे प्रकरण में महेश नाम के एक स्थानीय को गिरफ़्तार किया है. इसमें किसी भी तरह का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. सुरेश चव्हाणके ने इससे पहले उत्तराखंड के जसपुर में एक दरगाह में हुई मारपीट को भी सांप्रदायिक रंग दिया था. उस मामले में दोनों पक्ष मुस्लिम थे. पूरा मामला जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

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