भारत सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट और सर्वर्स जैसी नौ चीज़ों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. बताया जा रहा है कि सरकार ने ये फैसला देशभर में लैपटॉप, कंप्यूटर और सर्वर की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए लिया है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि प्रतिबंधित किए गए इन सामानों के आयात के लिए वैध लाइसेंस लेना जरूरी होगा.
लैपटॉप, कंप्यूटर के आयात पर लगी रोक से आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा?
इस कदम से सबसे बड़ा नुकसान चीन को होने वाला है.

मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक, HSN 8741 में आने वाले सभी प्रोडक्ट्स के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. ये एक किस्म का कैटेगराइजेशन है. इसका फुलफॉर्म 'हारमोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नॉमेनक्लेचर' है. इससे चीज़ों की ग्रुपिंग में मदद होती है. इसमें लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर, अल्ट्रा-स्मॉल फार्म फैक्टर कंप्यूटर और सर्वर जैसी कई चीज़ें शामिल हैं. हालांकि, अगर किसी को इन सामानों को भारत में लाना है, तो इसके लिए वैध लाइसेंस बनवाया जा सकता है. इसकी अनुमति सरकार से लेनी होगी.
अगर आप ई-कॉमर्स पोर्टल्स या पोस्ट या कूरियर से ये प्रोडक्ट्स मंगवाते हैं, तो पहले की तरह इन पर इंपोर्ट ड्यूटी चुकानी होगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने मेक इन इंडिया पर जोर देते हुए ये कदम उठाया है. माना जा रहा है कि इस फैसले से चीन को बड़ा झटका लगेगा. भारत में आने वाले कई आईटी प्रोडक्ट्स चीन में बनते और असेंबल किए जाते हैं. फिर उन्हें भारत में आयात करके बेचा जाता है. इससे चीन को बहुत फायदा होता है.
भारत ऐसा ही कदम स्मार्टफोन और कार की मैन्युफैक्चरिंग मार्केट में भी उठा चुका है. इससे इन चीज़ों के प्रोडक्शन को अच्छा पुश मिला था. सरकार अब यही काम लैपटॉप्स और कंप्यूटर्स की दुनिया में भी करना चाह रही है. दी लल्लनटॉप को सूत्रों ने बताया कि तीन मंत्रालयों ने मिलकर इसका रोडमैप बनाया है.
इस फैसले से क्या बदलेगा?अव्वल तो Apple, लेनोवो, Asus, Acer, सैमसंग जैसी विदेशी कंपनियां ऐसे सामान भारत में इंपोर्ट नहीं कर पाएंगी. यानी इन कंपनियों को भारत में ही अपने प्रोडक्ट्स बनाने और असेंबल करने होंगे. सीधे शब्दों में कहें तो भारत में प्रोडक्शन को बूस्ट मिलेगा. हालांकि, जब तक प्रोडक्शन शुरू नहीं होता, तब तक लैपटॉप्स, कंप्यूटर्स, मैकबुक्स और मैकमिनी के दाम में इजाफा होने की संभावना है. Dell और HP जैसी कंपनियों को इससे ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. उनके प्रोडक्शन सेंटर्स पहले से ही भारत में हैं.
एक क्लॉज ऐसा भी है, जिसके तहत कंपनियां बिना लाइसेंस के ये चीज़ें मंगवा सकती हैं. इस क्लॉज से हर खेप में 20 प्रोडक्ट्स मंगवाने की छूट है. हालांकि, ये प्रोडक्ट्स सिर्फ रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D), परीक्षण, बेंचमार्किंग, मूल्यांकन, मरम्मत और वापसी और प्रोडक्ट में सुधार के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे. इन्हें बेचना कानूनन जुर्म होगा.
इस फैसले के असर को समझने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट्स से बात की है. टेक्नोलॉजी मार्केट रिसर्च फर्म ‘काउंटरपॉइंट’ के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा,
"(भारत में) लैपटॉप और पीसी का मार्केट लगभग 8 बिलियन डॉलर (लगभग 66,230 करोड़ रुपये) का है. इसमें से 65 प्रतिशत इंपोर्ट होता है. सरकार इस फैसले से भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही है. इस इंडस्ट्री में लगभग 1.2 करोड़ फैक्ट्रियां हैं. इस कदम से सप्लाई चेन में शॉर्ट-टर्म में समस्या आ सकती है. ख़ासकर के ऐप्पल, एचपी, और लेनोवो जैसे ब्रैंड्स के लिए.
सरकार ने हाल ही में आईटी हार्डवेयर बनाने के लिए PLI स्कीम के विंडो को बढ़ाया था. ये फैसला इस विंडो के विस्तार को सपोर्ट करता है. भारत ने स्मार्टफोन और टीवी मार्केट में लगभग 100% लोकल प्रोडक्शन हासिल किया है. लेकिन आईटी हार्डवेयर क्षेत्र में भारत अभी भी पीछे है. फिलहाल सिर्फ 30-35% प्रोडक्ट्स भारत में बनते हैं. इस फैसले से इस गैप में सुधार होगा."
वहीं, फाइनैंशियल एक्सपर्ट शरद कोहली ने 'दी लल्लनटॉप' को बताया,
“फॉरेन ट्रैवल पर जाने वाले लोग एक ऐसा गैजेट लेकर आ सकते हैं. ऐसे प्रोडक्ट्स ज्यादातर चीन में बनकर या असेंबल होकर आते थे. ऐसे में भारतीय नागरिकों के डेटा ब्रीच (डेटा की चोरी) का खतरा रहता था. अगर ये सारे गैजेट्स भारत में बनने, असेंबल होने लगेंगे, तो डेटा ब्रीच नहीं होगा. सरकार जानती है कि भारत में डिमांड भर प्रोडक्शन करने की क्षमता है और इसलिए ही ये कदम उठाया जा रहा है."
हमने टेक्नोलॉजी मामलों के एक और जानकार अमित भवानी से भी बात की. भवानी यूट्यूब इन्फ्लुएंसर भी हैं. अमित भवानी का भी मानना है कि इस पहल से वही होगा, जो स्मार्टफोन मार्केट में हुआ था. कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स भारत में बनाने और असेंबल करने होंगे. हालांकि, इसमें कम-से-कम 1-2 साल का समय लगेगा. अमित के मुताबिक,
“इस फैसले के बाद इन प्रोडक्ट्स के दाम में 15-20 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है. मोटा-मोटा ये होगा, कंपनी बिना डिस्काउंट के प्रोडक्ट्स बेचेंगी. हर कंपनी के पास लगभग 3-6 महीने का स्टॉक रहता है. (यानी) कंपनियों के पास 3 अगस्त से पहले जितना स्टॉक था, सब बेचा जा सकता है. इसके बाद के आयात के लिए लाइसेंस चाहिए होगा."
अमित ने आगे बताया,
इन्फ्लुएंसर का दावा, 'जियो को फायदा होगा'“इस लाइसेंस प्रक्रिया में क्या-क्या प्रावधान होंगे, ये अभी बताया नहीं जा सकता. 4 अगस्त से ये प्रक्रिया शुरू हुई है. जानकारी आने में थोड़ा वक्त लगेगा. हालांकि, सप्लाई चेन में गैप आएंगे, ऐसा लग नहीं रहा है. सरकार ने ऐसी कंपनियों के लिए कई सारी स्कीम्स चला रखी हैं.”
ट्विटर पर नेहा नागर नाम की इन्फ्लुएंसर ने एक ट्वीट किया. नेहा ने लिखा,
"1 अगस्त को जियो ने अपना जियोबुक लैपटॉप लॉन्च किया. इसका दाम 16,499 है.
3 अगस्त को सरकार ने लैपटॉप्स, टैबलेट्स और कंप्यूटर्स के आयात पर बैन लगा दिया.
आप क्रोनोलॉजी समझिए."
इस ट्वीट के कई वर्ज़न्स आपको सोशल मीडिया पर मिल जाएंगे. इस दावे पर हमने एक्सपर्ट शरद कोहली से बात की. उन्होंने बताया,
“मुझे नहीं लगता सरकार ने इस वजह से ये कदम उठाया है. जियो ने सिर्फ लैपटॉप लॉन्च किया है. वो भी बहुत सस्ता है. इससे भारत में प्रोडक्ट्स बना रही बाकी कंपनियों को भी फायदा होगा. मुझे नहीं लगता हमें इतनी डीप रीडिंग करने की जरूरत है. सरकार ने फोन और कार के मार्केट में जो किया, वही अब इस मार्केट में भी करना चाह रही है.”
बता दें, नेहा के ट्वीट के नीचे ऋषि बागरी नाम के एक यूजर ने फोटो शेयर कर बताया कि खुद जियो अपना लैपटॉप चीन में बनाता है.
यानी सरकार के इस कदम को जियो से जोड़ने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. इन्फ्लुएंसर अमित भवानी का भी मानना है कि इससे किसी एक कंपनी को नहीं, बल्कि पूरे इकोसिस्टम को फायदा होगा.
सरकार ने बढ़ाई थी PLI स्कीम की विंडोभारत में आईटी हार्डवेयर बनाने के लिए भारत सरकार ने 2021 में PLI स्कीम शुरू की गई थी. सरकार ने उस वक्त इस स्कीम के लिए 7,350 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इस स्कीम को मई 2023 में फिर दोहराया गया. इस बार सरकार ने 17 हजार करोड़ का आवंटन किया.
भारत में पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रॉनिक्स और लैपटॉप्स/कंप्यूटर्स के आयात में बढ़ोतरी देखी गई है. अप्रैल-जून 2022 में लगभग 39,170 करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक सामानों का आयात हुआ था. ये आंकड़ा अप्रैल-जून 2023 में बढ़कर लगभग 57,640 करोड़ हो गया. यानी एक ही साल में इस मार्केट ने लगभग 18,000 करोड़ की बढ़ोतरी देखी. एक और आंकड़ा जान लीजिए. भारत में इंपोर्ट होने वाले लैपटॉप्स और पीसी का 70-80 प्रतिशत चीन से आता है. यानी इस फैसले से सबसे बड़ा नुकसान चीन को होना है.
अपडेट (5 अगस्त, 2023)
सरकार ने 4 अगस्त की शाम एक और नोटिफिकेशन जारी किया है. सरकार ने इस बैन की तारीख़ को बदल दिया है. 4 अगस्त से शुरू हो रहे इस बैन को स्थगित कर दिया गया है. अब इन सारी चीज़ों पर 1 नवंबर से बैन लगेगा. 31 अक्टूबर 2023 तक कंपनियां आराम से ये सारे प्रोडक्ट्स आयात कर सकती हैं. इससे कंपनियों को लाइसेंसिंग प्रोसेस पर काम करने का भी वक्त मिलेगा. तीन महीने की इस छूट से कंपनियों को काफी राहत मिलेगी.
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