Google outdated है, पुराना है, बासा है. iPhone तो खत्म होने वाला है, मरने वाला है. क्या हो गया भाई. क्यों नाराज हो. कुछ बिगाड़ दिया क्या गूगल और एप्पल ने आपका? जो ऐसी बातें लिख रहे हो. नहीं जनाब हम तो जितने गूगल बाबा से खुश हैं, उतने ही एप्पल अंकल से. दरअसल ऐसी बेतुकी बातें खुद एप्पल (apple trying to save 20 billion dollar) कह रहा है. कंपनी के टॉप एग्जीक्यूटिव ने कोर्ट में माना है कि दोनों ही कंपनियां बस अपने अंत की तरफ हैं. इसलिए उनके खिलाफ चल रहे केस का कोई मतलब नहीं. वाकई में ऐसा है क्या?
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Apple का ये नया पैंतरा है, अपने 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये बचाने का जो उसे गूगल से मिलते हैं. पर इतनी बड़ी बात कोर्ट में क्यों बोली? क्या है ये मामला?

नहीं जनाब, ये तो Apple का नया पैंतरा है, अपने 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये बचाने का जो उसे गूगल से मिलते हैं. बहानों की लिस्ट जब खत्म हो गई तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का राग अलाप लिया. मजेदार बात है, मौज लेकर पढिए.
माई बाप हमें छोड़ दोएप्पल को गूगल को बासा और अपने खुद के प्रोडक्ट को डेड बताने की जरूरत क्यों आन पड़ी, उसके लिए जरा आपको गूगल और एप्पल की एकदम जय-वीरू वाली दोस्ती को समझना होगा. वैसे तो गूगल दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है. एंड्रॉयड से लेकर विंडोज का बड़ा यूजर बेस भी उसके पास है. मगर जब बात आईफोन या एप्पल डिवाइस की आती है तो उसका हाथ दब जाता है.
यहां एप्पल के सफारी का जलवा था. गूगल को लगा कि अगर यहां भी घुस गए तो सर्च और ब्राउज़िंग के सरताज बनने में देर नहीं लगेगी. लेकिन ये होगा कैसे, तो उसने एप्पल को बड़ी डील ऑफर की. बड़ी मतलब बहुत बड़ी. एप्पल डिवाइस में डीफाल्ट ब्राउजर बनने के लिए 20 बिलियन डॉलर माने आज के 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए की डील की. साल 2020 में हुई इस डील के बाद एप्पल डिवाइस में सर्च और ब्राउज़िंग के लिए डीफाल्ट ऐप गूगल है. हालांकि यूजर चाहें तो सफारी या याहू या कोई दूसरे ब्राउजर को भी सिलेक्ट कर सकते हैं मगर ऐसा कौन ही करता है भला.

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इस डील के बाद गूगल का राज हो गया. मोनोपाली जैसा माहौल हो गया. यही माहौल खटक गया U.S. Department of Justic को जिसने एप्पल को बुला लिया कठघरे में. पूछा क्यों ना ये बिलियन डॉलर वाली डील को रद्द कर दिया जाए. जाहिर सी बात है कि एप्पल ऐसा होने नहीं देगा. तमाम दलीलें दिए जा रहा है. जब बात बिगड़ती दिखी तो उसने ये बेतुका बयान दिया. कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट Eddy Cue ने कोर्ट में कहा,
AI के आने से गूगल को कोई नहीं पूछ रहा. चैट जीपीटी जैसे ऐप बहुत आगे हैं. ऐसा ही हाल आईफोन का भी है. वो भी बंद होने वाला है. इस डील का कोई मतलब नहीं. आप तो केस ही क्लोज कर दो.
खैर इस केस में आगे जो होगा वो पता चल ही जाएगा. मगर ऐसे ही दिमाग में ख्याल आया. Eddy Cue ने भविष्य देख लिया है क्या? बस यूं ही ख्याल आया.
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