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शिवनारायण चंद्रपॉल की आंखों के नीचे ये काली पट्टी क्यों होती थी?

आज जन्मदिन है इस खब्बू बल्लेबाज का.

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चंद्रपॉल को खेलते हुए देखने पर लगता था कि वो लारा की कॉपी हैं.
वेस्टइंडीज की टीम जब भी भारत के खिलाफ खेली. एक खब्बू बल्लेबाज बल्ला लहराते हर बार टिक जाता था. टेस्ट से लेकर वनडे तक, ये बल्लेबाज टिकता और फिर बाद में पूरा मैच पलट देता. नाम शिवनारायण चंद्रपॉल. बचपन में हैरानी होती रही कि ये तो इंडियन नाम है, फिर वेस्टइंडीज कैसे पहुंच गया. फिर सोचते ये रामनरेश सरवन भी वेस्टइंडीज टीम में कैसे है. जब तक वेस्टइंडीज के साथ कोई सीरीज चलती, हमारे बाल मन में यही सवाल रहता कि ये चंद्रपॉल और सरवन इंडिया के लिए क्यों नहीं खेलते. तब इंटरनेट नहीं था इसलिए गूगल भी नहीं कर पाए.
काफी बाद में पता चला कि चंद्रपॉल भारतीय मूल के हैं. यानी इनके पूर्वज भारत से जाकर गुयाना में बस गए थे. बिहार के पूर्णिया जिले में चंद्रपॉल के पुरखों में सबसे पहले पवन कुमार चंद्रपॉल 1873 में गुयाना चले गए थे.2011 में जब चंद्रपॉल दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में इंडिया के खिलाफ टेस्ट में टिके हुए थे, तत्तकालीन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहारी टेस्ट क्रिकेटरों को अवॉर्ड देने का ऐलान किया. मगर जब रिकॉर्ड देखने लगे तो सरकार को एक भी क्रिकेटर नहीं मिला. धोनी को दे नहीं सकते थे क्योंकि वो झारखंड से खेलते रहे हैं. मगर जब इस वेस्टइंडीज के खिलाड़ी के बारे में नीतीश को ये पता चला कि वो बिहारी मूल के हैं, तो बिहार सरकार ने चंद्रपॉल को 'बिहारी क्रिकेटर ऑफ द डेकेड' का अवॉर्ड दिया.
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वेस्टइंडीज से ब्रायन लारा के बाद सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने का रिकॉर्ड चंद्रपॉल के नाम ही है.

ब्रायन लारा की कॉपी लगने वाले चंद्रपॉल का आज यानी 16 अगस्त को जन्मदिन होता है. बचपन में इनके नाम के अलावा एक और हैरत होती थी कि वो आंखों के नीचे क्या लगाते हैं. अपने हर मैच में वो इस लुक में दिखते थे. बचपन में लगता रहा कि ये खिलाड़ी अपने देश का फ्लैग बनवाता है. जैसे इंडिया में क्रिकेट फैन्स तिरंगा अपनी आंखों के नीचे या फिर गालों पर बनवा लेते हैं. मगर असल में चंद्रपॉल ये काले रंग के स्टिकर इसलिए लगाते थे ताकि आंखों पर सीधे सूर्य की किरणें न पड़ें. इन्हें एंटी-ग्लेयर स्टिकर कहते हैं जो धूप में खेलते हुए आंखों पर पड़ने वाली धूप के असर को कम करते हैं. चंद्रपॉल बैटिंग और फील्डिंग के दौरान ये स्टिकर लगाए दिखते थे. ये एक तरह से सनग्लासेज यानी गोगल्स पहनने की बजाए ये स्टिकर्स यूज करना पसंद करते थे.
अपने दो दशक के क्रिकेट करियर 11000 टेस्ट रन, 9000 वनडे रन बनाने वाले चंद्रपॉल ने 1994 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट करियर शुरू किया और 2015 में अपना आखिरी टेस्ट भी इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला. 41 साल के इस खिलाड़ी ने 2016 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. 164 टेस्ट खेलने वाले चंद्रपॉल वेस्टइंडीज के लिए रिकॉर्ड्स के मामले में सिर्फ ब्रायन लारा से पीछे हैं.  अब चंद्रपॉल का बेटा भी क्रिकेट खेल रहा है. नाम है तेगनारायण चंद्रपॉल. 21 साल के तेगनारायण अब तक 23 फ्रर्स्ट क्लास मैच खेल चुके हैं. मार्च 2017 में एक मैच में बाप-बेटे ने साथ बैटिंग करते हुए अर्धशतक लगाए थे. गुयाना टीम के लिए खेलते हुए तेगनायारण ने ओपनिंग की थी और खुद शिवनारायण तीसरे नंबर पर बैटिंग कर आए थे.


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