वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag), युवराज सिंह (Yuvraj Singh), हरभजन सिंह (Harbhajan Singh), राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid), वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman), जहीर खान (Zaheer Khan) और रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin). ये वो नाम हैं. जिन्होंने पिछले कुछ सालों में क्रिकेट को अलविदा कहा. जब ये खेलते थे, पूरी दुनिया में धाक थी. क्रिकेट ग्राउंड इनके नाम से गुंजायमान हो जाया करती थी. लेकिन जब खेल छोड़ा तो एक सन्नाटे के साथ. रिटायरमेंट के लिए इनको 22 गज की पट्टी नसीब नहीं हुई. अब इस फेहरिस्त में दो नाम और जुड़ गए हैं. विराट कोहली (Virat Kohli) और रोहित शर्मा (Rohit Sharma).
रोहित-कोहली BCCI के लिए नोट छापने की मशीन से ज्यादा कुछ नहीं थे?
डियर BCCI Virat Kohli और Rohit Sharma एक इंस्टाग्राम स्टोरी या पोस्ट वाली रिटायरमेंट डिजर्व नहीं करते. आज आप दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड हैं. आपके हिस्से में अकूत शोहरत और दौलत है. उसका बहुत बड़ा हिस्सा इनके दम पर ही है.

ये एक ट्रेंड सा बन गया है. क्रिकेट ग्राउंड पर अपने बेहतरीन प्रदर्शन से देश को गौरवान्वित करने वाले इन प्लेयर्स के रिटायरमेंट की खबर एक ट्वीट, इंस्टा पोस्ट या रिकॉर्डेड वीडियो के जरिए आती है. और दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड की सेहत पर इसका कोई असर नहीं होता. एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए प्लेयर्स के योगदान को याद कर ये अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं.
BCCI के पास भले ही अकूत संसाधन हो, दुनिया भर की क्रिकेट उनके इशारे पर चलती है. लेकिन अपने लीजेंड्स के प्रति उनका जेस्चर दिखाता है कि सबकुछ के बावजूद बोर्ड के नियंताओं के पास संवेदना की बेहद कमी है. और उन्हें इंसानी भावनाओं की कद्र नहीं है.

अपने प्लेयर्स की ऐसी फजीहत तो दुनिया का कोई भी क्रिकेट बोर्ड नहीं करता. पिछले साल इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने अपने महान प्लेयर जेम्स एंडरसन को जिस तरह की विदाई दी थी. अगर उससे BCCI कुछ सबक ले पाती तो आज सूरतेहाल कुछ और होता.
इंग्लैंड के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में बेल बजाकर मैच की शुरुआत करने की प्रथा है. 10 जुलाई 2024 को बेल बजाने के लिए दो बेहद खास मेहमान बुलाई गईं थीं. जिनके पिता उस मैच में रिटायर होने वाले थे. जैसे ही स्टेडियम की घंटी बजी. ग्राउंड में मौजूद जेम्स एंडरसन की आंखें नम हो गईं. और साथ में स्टेडियम में मौजूद हजारों दर्शक खड़े होकर ताली बजा रहे थे.
क्रिकेट के एक जीनियस के प्रति सम्मान बरतने का इंग्लिश क्रिकेट का ये बेहतरीन जेस्चर था. और साथ में क्रिकेट की जन्मभूमि से दूसरे क्रिकेट बोर्ड्स को एक मैसेज भी. अपने खिलाड़ियों के प्रति सम्मान बरतने का. और उनकी असाधारण योगदान के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने का.
लेकिन हर खिलाड़ी जेम्स एंडरसन जितना भाग्यशाली नहीं होता. और ना ही हर बोर्ड ईसीबी की तरह कृतज्ञ. अपने लीजेंड्स का सम्मान करने में BCCI का हाथ तंग रहा है. किसी क्रिकेट खिलाड़ी के लिए इससे बुरा क्या ही होगा कि उसे क्रिकेट ग्राउंड के बजाए ड्रॉइंग रूम में बैठकर अपना रिटायरमेंट अनाउंस करना पड़ा. BCCI के लोग ये सोच भी नहीं पाएंगे कि मैसेज टाइप करते वक्त इन खिलाड़ियों के दिलो-दिमाग पर क्या गुजरता होगा. क्योंकि इनमें अधिकतर लोगों का क्रिकेट खेलने से सीधा रिश्ता नहीं रहा.
क्रिकेट ग्राउंड से रिटायर नहीं होना किसी क्रिकेटर के लिए कितना दुर्भाग्यपूर्ण होता होगा इसे एक क्रिकेटर के बनने की यात्रा से समझिए. एक बच्चा अपने नन्हे नन्हे कदमों से चलकर क्रिकेट ग्राउंड में जाता है. खेल सीखने की प्रक्रिया में वो गिरता है, संभलता है, चोट खाता है. पसीने के साथ कई बार उसका खून भी बहता है. सफल होने पर खुशी जाहिर करता है, असफलता मिलने पर निराश होता है. कई बार आंसू भी गिरते हैं. 22 गज की पट्टी उनके लिए जमीन का एक टुकड़ा भर नहीं रह जाता. इस प्रक्रिया में क्रिकेट ग्राउंड से उनका एक अटूट रिश्ता बन जाता है.

इसको एक हालिया उदाहरण से समझिए. मुंबई के वानखेडे़ स्टेडियम में रोहित शर्मा के नाम पर एक स्टैंड किया गया. इस मौके पर रोहित भावुक नजर आए. उन्होंने बताया कैसे एक युवा खिलाड़ी के तौर पर वो रणजी प्लेयर्स को देखने वानखेड़े जाया करते थे. और उनको एंट्री नहीं मिलती थी. अब उनके नाम पर वहां स्टैंड है, उनको इसका भरोसा नहीं हो रहा था.
अब क्या ही सितम है कि कोई खिलाड़ी क्रिकेट और देश के लिए तमाम कीर्तिमान बनाता है. फिर भी उसे एक अदद फेयरवेल का मौका नहीं दिया जाता. उसे उस मिट्टी को चूमने का अवसर भी नहीं दिया जाता. जिसमें उसका खून, पसीना और तमाम भावनाएं जुड़ी होती हैं.
जहां तक मुझे याद है आशीष नेहरा वो आखिरी प्लेयर थे. जिन्हें टीम इंडिया ने ग्राउंड से फेयरवेल दिया था. उसके बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि BCCI ने इस प्रथा को बंद सा कर दिया. ये रिसर्च का विषय है. इसका जवाब तो बनता है. हो सकता है इसके पीछे बोर्ड की कोई खुफिया रणनीति हो, जिससे भारतीय क्रिकेट को बहुत भारी क्षति पहुंचने की आशंका हो. जिसे समझने में हम जड़बुद्धि नाकाम हो रहे हैं.
भारतीय क्रिकेट के नीति नियंता, ‘सर्वशक्तिमान’ BCCI से करबद्ध प्रार्थना है कि हमारी समझ पर तरस खाकर ही इस रहस्य से पर्दा उठा दीजिए. उम्मीद है आप भारत के करोड़ो क्रिकेट फैन्स को इस लायक तो समझते ही होंगे.
जब भी एक बड़ा खिलाड़ी खेल छोड़ कर जाता है. उसकी लीगेसी एक पूरे जेनरेशन को प्रभावित करता है. सहवाग, युवराज, कोहली और रोहित जैसे प्लेयर्स के इंटरव्यू में आप बार-बार ये सुनते होंगे किस तरह सचिन से उनको बैट थामने की प्रेरणा मिली. कल्पना कीजिए वो क्या ही दृश्य रहा होगा. जब विराट और रोहित ने अपने कंधे पर सचिन को उठाया होगा. एक ऐसा प्लेयर जिसे टीवी स्क्रीन पर खेलते देख इन्होंने क्रिकेटर बनने का सपना बुना.
फेयरवेल मैच में सचिन की स्पीच याद कीजिए. अपनी पिता की सीख याद करते हुए सचिन बताते हैं. अपने सपनों के पीछे भागो, राह मुश्किल होगी, लेकिन कभी हार मत मानना. आप मेरा यकीन कीजिए सचिन की इस स्पीच ने क्रिकेट और उससे परे भी लाखों नौजवानों को उम्मीद की एक लौ दी होगी. जो अपने करियर या जिंदगी से निराश होकर बैठे गए होंगे.

एक सफल और महान क्रिकेटर बनने के पीछे ऐसी कई कहानियां होती हैं. उनको बताने का एक मुकम्मल अवसर भी हम उनको नहीं दे पाते तो हमारे सिस्टम में जरूर कोई लोचा है. दुनिया के सबसे महानतम कप्तानों में शुमार. भारत को हर फॉर्मेट में विश्व विजेता बनाने वाले महेंद्र सिंह धोनी को अगर हम एक विदाई मैच नहीं दे पाते तो विश्वास कीजिए. क्रिकेट में अर्जित तमाम उपलब्धियों के बावजूद BCCI बेहद बौना नजर आता है. और एक क्रिकेटिंग नेशन के तौर पर हम फेल.
डियर BCCI विराट कोहली और रोहित शर्मा एक इंस्टाग्राम स्टोरी या पोस्ट वाली रिटायरमेंट डिजर्व नहीं करते. आज आपके दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड हैं. आपके हिस्से में अकूत शोहरत और दौलत है. उसका बहुत बड़ा हिस्सा इनके दम पर ही है. कोहली और रोहित अभी ODI क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे. लेकिन आपका पुराना रवैया आगे भी कोई उम्मीद नहीं बंधाता.
भारतीय ज्ञान परंपरा हमें एक बेहद महत्वपूर्ण सूत्र देता है. अच्छी चीजें जहां से मिले ग्रहण कर लेना चाहिए. किस शालीनता और गरिमा के साथ अपने लीजेंड्स का सम्मान किया जाता है. ये आप दूसरे क्रिकेट बोर्ड से सीख सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया में मेलबॉर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) के आसपास डॉन ब्रैडमैन से लेकर शेन वॉर्न तक की ब्रॉन्ज स्टैच्यू लगी हुई हैं. लेकिन आप एक थैंक्स वीडियो शूट कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं.
वेस्टइंडीज में सर गैरी सोबर्स, विवियन रिचर्ड्स और यहां तक कि डैरेन सैमी के नाम पर भी स्टेडियम है. आपके यहां तमाम राजनेताओं और क्रिकेट प्रशासकों के नाम पर स्टेडियम है. हम उनके योगदान को कमतर नहीं आंक रहे. लेकिन क्या सचिन, गावस्कर और विराट कोहली जैसे प्लेयर्स का योगदान इतना छोटा है कि उन्हें बस एक स्टैंड तक महदूद कर दिया जाता है.
आखिर में एक क्रिकेट प्रशंसक होने के नाते BCCI से इतना ही कहूंगा. आपका इकबाल बुलंद रहे. आपकी सरपरस्ती में इंडियन क्रिकेट नई ऊंचाइयों तक पहुंचे. बस एक रिक्वेस्ट है- कारवां के हर कंधे की कद्र करना सीख लीजिए, जो अपने मेहनत, खून और पसीने के लौ से आपके चराग को रोशन करते हैं.
वीडियो: टेस्ट क्रिकेट से संन्यास पर विराट कोहली ने BCCI से क्या कहा?