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भारत पर 500% टैरिफ लगाएगा अमेरिका? इस बिल में डॉनल्ड ट्रंप ने हद पार कर दी

ये बिल रिपब्लिकन सांसद लेकर आए हैं, जो मानते हैं कि रूस के खिलाफ और सख्ती बरतने की जरूरत है. उनका तर्क है कि जो देश रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं, वे अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं.

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500% टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है, और ये भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है. (फोटो- X)

डॉनल्ड ट्रंप सरकार ने अमेरिकी संसद में एक नए बिल को हरी झंडी दिखा दी है, जिससे भारत को बड़ा झटका लग सकता है (Trump bill 500% tariffs). ये बिल रूस के साथ बिजनेस करने वाले देशों, जैसे भारत और चीन पर कठोर प्रतिबंध लगाने की बात करता है. इस बिल का उद्देश्य रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना है.

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इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बिल में इन देशों से आयात होने वाले सामान पर 500 पर्सेंट तक टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने का प्रस्ताव है. ये कदम वैश्विक व्यापार और कूटनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. खासकर भारत जैसे देशों के लिए, जिनके रूस के साथ रणनीतिक और आर्थिक संबंध हैं. सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने बिल के बारे में जानकारी देते हुए बताया,

"तो ये बिल क्या करता है? यदि आप रूस से प्रोडक्ट खरीद रहे हैं और यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे हैं, तो आपके द्वारा अमेरिका में आने वाले प्रोडक्ट्स पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगेगा. भारत और चीन रूस के तेल का 70 प्रतिशत खरीदते हैं. वे (भारत और चीन) उनकी वॉर मशीन को चलाए रखने का काम कर रहे हैं."

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ग्राहम ने कहा कि इस बिल के अब 84 को-स्पॉन्सर हैं. इसका उद्देश्य भारत और चीन जैसे देशों पर दबाव डालना है, जिससे वो रूस से तेल और अन्य सामान खरीदना बंद कर दें. बिल का उद्देश्य रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था कमजोर करना है, जिससे कि मास्को को यूक्रेन में शांति वार्ता के लिए मजबूर किया जा सके.

रिपोर्ट के मुताबिक ये बिल रिपब्लिकन सांसद लेकर आए हैं, जो मानते हैं कि रूस के खिलाफ और सख्ती बरतने की जरूरत है. उनका तर्क है कि जो देश रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं, वे अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं. बिल में शामिल देशों की सूची में भारत और चीन जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों का नाम होना चिंता का विषय है. भारत के लिए ये स्थिति जटिल है, क्योंकि वो रूस से तेल, हथियार और अन्य सामानों का आयात करता है.

यदि ये बिल कानून बनता है, तो भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर भारी टैरिफ लग सकता है. 500% टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है, और ये भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव भी पैदा कर सकता है. बता दें कि भारत पहले से ही रूस से तेल आयात को लेकर पश्चिमी देशों के दबाव का सामना कर रहा है, लेकिन उसने अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है.

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चीन के लिए भी यह विधेयक एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि वो रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. चीन और रूस के बीच व्यापार 2024 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, और चीन रूस से सस्ता तेल और गैस आयात कर रहा है. कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देश भी इस विधेयक से प्रभावित होंगे.

ट्रंप प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत ये कदम दुनिया की अर्थव्यवस्था को और जटिल बना सकता है. अब ये देखना बाकी है कि ये विधेयक कानून बनेगा या नहीं. लेकिन इसके प्रस्ताव ने पहले ही वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है.

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