पिछले महीने (जून 2025) जब इजरायल और अमेरिका के लड़ाकू विमान ईरान की हवा में घुसकर बम बरसाने लगे, तो ईरान की वायु सेना उन्हें रोकने में पूरी तरह सफल नजर नहीं आई. अमेरिका-इजरायल मॉडर्न फाइटर प्लेन से लैस हैं, लेकिन ईरान के बेड़े में शीत-युद्ध के समय के फाइटर जेट हैं. इसलिए उसने मिसाइलों से तेल अवीव और दूसरे इजरायली शहरों पर हमले किए. मगर अब ईरान अपनी वायु सेना को भी मजबूती देना चाहता है. इसी वजह से अब वो चीन से मॉडर्न फाइटर जेट Chengdu J-10C खरीदने की तैयारी में है.
पाकिस्तान ने जिस जेट से भारत के लड़ाकू विमान गिराने का दावा किया, उसे ईरान खरीदने जा रहा
China से Iran सिंगल इंजन Chengdu J-10C फाइटर जेट खरीद सकता है, जिसमें PL-15 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. Pakistan ने दावा किया था कि उसने इसी जेट से भारत के Rafale विमान को गिराया था.

Chengdu J-10C वही फाइटर जेट है, जिसे पाकिस्तान की वायु सेना ने भारत के खिलाफ मई महीने में हुए सैन्य संघर्ष में इस्तेमाल किया था. अब ईरान भी यही जेट खरीदकर अपनी वायु सेना को ताकत देने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में ईरान के रक्षा मंत्री अजीज नसीरजादेह ने चीन का दौरा किया था, जिससे इस डील को हवा मिल रही है.
क्यों खास है चीन का J-10C फाइटर जेट?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, Chengdu J-10C एक 4.5 जनरेशन का मल्टी-रोल फाइटर है. इसमें एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार, तेजी से घूमने वाले इंजन और PL-15 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. सिंगल इंजन वाले J-10C जेट की कीमत रूस के Su-35 फाइटर जेट से करीब 40–60 मिलियन डॉलर (लगभग 342-513 करोड़ रुपये) सस्ती है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने दावा किया था भारत के फ्रांस-मेड रफाल जेट को मार गिराने के लिए पाकिस्तान ने J-10 जेट का इस्तेमाल किया था. हालांकि, भारत ने इन दावों को तभी खारिज कर दिया था.
रूस से नहीं मिले फाइटर जेट
ईरान पहले रूस से सुखोई-35 (Su-35) फाइटर जेट खरीदना चाहता था. इसके लिए 2023 में दोनों देशों के बीच समझौता भी हुआ था. लेकिन प्रतिबंधों से परेशान ईरान को अब तक तय 50 में से सिर्फ 4 Su-35 विमान ही मिले हैं.
चीन पहले क्यों नहीं बेच पाया जेट?
ईरान और चीन के बीच J-10 को लेकर बातचीत 2015 से चल रही थी, लेकिन तब चीन ने फॉरेन करंसी में पेमेंट मांगा था, जबकि ईरान सिर्फ तेल और गैस के बदले सौदा करना चाहता था. उस वक्त ईरान पर UN का आर्म्स एम्बार्गो (प्रतिबंध) भी था, जिसकी वजह से डील नहीं हो पाई.
अब क्यों जरूरी हो गया है नया जेट?
ईरान के पास फिलहाल लगभग 150 फाइटर जेट्स हैं. इनमें ज्यादातर शीत-युद्ध के समय के अमेरिकी जेट हैं, जिन्हें 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले खरीदा गया था. इसके अलावा कुछ सोवियत जेट भी हैं. इनमें F-4 फैंटम, F-5E/F टाइगर, F-14A टॉमकैट और MiG-29 जैसे लड़ाकू विमान शामिल हैं.
लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) की ओपन सोर्स रिपोर्ट, द मिलिट्री बैलेंस 2025 के अनुसार, तेहरान का अधिकांश लड़ाकू बेड़ा पुराना हो चुका है और काफी हद तक इस्तेमाल के लायक नहीं है.
इसी वजह से अब ईरान तेजी से J-10C और चीनी AWACS सिस्टम (हवा में निगरानी रखने वाले जेट) खरीदना चाहता है ताकि इजरायल और अमेरिका जैसे ताकतवर देशों को टक्कर दे सके.
क्या J-10C इजरायल को टक्कर देगा?
इजरायली वायु सेना के पास F-35I Adir स्टील्थ फाइटर जेट, F-15I Ra'am स्ट्राइक एयरक्राफ्ट, अपग्रेडेड F-16I Sufa मल्टी-रोल जेट जैसे मॉडर्न फाइटर जेट हैं, जो रडार से बचने, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और सेंसर सिस्टम में बहुत आगे हैं. इससे इजरायल को ज्यादातर हालात में हवाई लड़ाई में बढ़त मिलती है.
आर्मी रिकॉग्निशन की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान अगर चीन का J-10C जेट लेता है तो वो एक मजबूत चुनौती तो देगा, लेकिन इजरायल के बराबरी का नहीं होगा. फिर भी J-10C में AESA रडार और PL-15 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, जो इजरायल के नॉन-स्टील्थ फाइटर जेट्स, जैसे- F-15I और F-16I) के लिए खतरा बन सकती हैं, खासकर जब उसे चीन के एयर रडार सिस्टम (AWACS) का साथ मिलेगा.
चीन पिछले दो दशकों से ईरान को अलग-अलग सैन्य उपकरण देता आ रहा है, जैसे- मिसाइल सिस्टम, ड्रोन टेक्नोलॉजी, रडार और नेवी के जहाज. अब J-10C डील अगर पक्की होती है तो ये दोनों देशों के रिश्ते को एक नया मोड़ देगी.
अमेरिका और इजरायल के हमले ने ईरान को दिखा दिया है कि पुरानी वायु सेना अब काफी नहीं है. इसलिए अब वो चीन के सस्ते लेकिन खतरनाक J-10C जेट की ओर बढ़ रहा है.
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