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बजरंग और साथी पहलवानों, तुम्हें प्रदर्शन नहीं करना था!

देश नहीं, सिर्फ़ पहलवान हारा है?

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बजरंग पुनिया को बहुत ट्रोल किया जा रहा है (पीटीआई फ़ोटो)

Asian Games 2023 में भारत ने कमाल का प्रदर्शन किया. उम्मीद से ज्यादा मेडल्स लेकर आए. लेकिन मेडल लाने वालों से ज्यादा चर्चा एक ऐसा बंदा बटोर रहा है, जो मेडल लाने में नाकाम रहा. नाम बजरंग पुनिया, काम कुश्ती. बजरंग बीते कुछ सालों में भारत के टॉप पहलवानों में से एक रहे हैं. वह वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप्स में चार मेडल्स जीतने वाले इकलौते भारतीय भी हैं.

लेकिन अभी इन तमाम बातों से ज्यादा चर्चा में उनका फ़ेल होना है. पुनिया Asian Games 2023 में दो मुक़ाबले बुरी तरह से हारे. यूं तो खेल में हार और जीत लगी रहती है. लेकिन यहां दांव पर सिर्फ़ हार या जीत नहीं थी. पुनिया के पास हारने का ऑप्शन ही नहीं था. भारतीय कुश्ती में बीते कुछ महीनों में बहुत उठापटक हुई. प्रेसिडेंट ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ़ लंबे वक्त तक प्रदर्शन हुए.

# Bajrang Punia Asian Games

इन प्रदर्शनों के चलते ब्रजभूषण को रेसलिंग फ़ेडरेशन से जाना पड़ा. जांच चल रही है, हो सकता है कि ब्रजभूषण जेल भी जाएं. और उनके साथ घटे इन सारे घटनाक्रमों के सेंटर में बजरंग थे. उन्होंने साथी महिला पहलवानों के साथ खुलकर खड़े रहना चुना. उनकी लड़ाई में डटे रहे. और हमारे समाज को इसकी आदत अभी तो नहीं ही है. यहां पीड़ित के साथ खड़े होने से बचने का रिवाज़ है. अगर पीड़ित महिला हो, आरोप यौन अपराधों के हों, फिर तो महिला की ओर खड़े होना ही अपराध बन जाता है.

लेकिन बजरंग ने ऐसी बातों को धता बताते हुए अपनी साथियों के साथ खड़े होना चुना. उन्हें पता था, कि इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी. लेकिन वह पीछे नहीं हटे. इस मामले में तमाम सारी बातें हुईं. कभी इसे साजिश बताया गया, तो कभी राजनीति से प्रेरित. बाहर से देखने वालों ने ये बातें सच भी समझीं. लेकिन जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ रहा है.

तस्वीर साफ होती जा रही है कि अध्यक्ष जी इतने स्वच्छ हैं नहीं, जितने का दावा था. दिल्ली पुलिस ने 23 सितंबर को दिल्ली की राउज़ अवेन्यू कोर्ट में इस मामले की सुनाई के दौरान अपनी दलील में कहा था कि बृजभूषण ने जो किया जानबूझकर किया. उन्हें जब भी मौका मिलता था, वो महिला पहलवान की लज्जा भंग करने की कोशिश करते थे. दिल्ली पुलिस ने ये भी कहा कि जो सबूत और साक्ष्य दिए गए हैं, वह आरोप तय करने के लिए पर्याप्त हैं.

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लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, इस देश में एक ऐसा समूह है जिसे फ़ैक्ट्स इत्यादि से उतनी ही नफ़रत है, जितनी रैबीज़ रोगी को पानी से. तो उस समूह ने बजरंग की हार को सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया. तमाम तर्क़ दिए जाने लगे. तरह-तरह की बातें होने लगीं. और बजरंग के इस प्रदर्शन के पीछे उसी प्रदर्शन को जिम्मेदार बताया जाने लगा.

जबकि ये प्रदर्शन जून में ही खत्म हो गया था.यानी इसके तक़रीबन चार महीने बाद पुनिया हारे हैं. लेकिन इन लोगों को इससे क्या, इन्हें तो मौके की तलाश थी. जो मिल गया. और मौका मिला तो भुनाना पड़ेगा ही. तो इन्होंने बजरंग को ट्रोल करना शुरू कर दिया. और इसमें तमाम तर्क गढ़े गए. इन तर्कों में कुछ फ़ैक्ट थे तो कुछ फसाना.

कइयों ने तो ऐसा जता दिया कि जैसे इस देश में पहली बार कोई पहलवान बिना ट्रायल खेलने गया हो. जबकि इस देश की कुश्ती सालों से ऐसी ही चल रही है. स्टार्स वर्सेज ट्रायल्स वाला विवाद नया नहीं है. लेकिन बजरंग के मामले को यूनीक़ बनना ही था. क्योंकि उन्होंने अपनी साथी महिलाओं की तरफ़ से सत्ता को चुनौती दी थी. और सत्ता में चाहे जो हो, चुनौती किसी को बर्दाश्त नहीं होती.

इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. और तमाम गाइडेड और अनगाइडेड मिसाइल्स अपनी मसाइल लेकर बजरंग पर टूट पड़ी हैं. और उस बजरंग को कुश्ती सिखा रही हैं, जिसके नाम एशियन चैंपियनशिप के आठ, वर्ल्ड चैंपियनशिप के चार, कॉमनवेल्थ गेम्स के तीन, एशियन गेम्स के दो और ओलंपिक्स का एक मेडल है.

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लेकिन इसमें आश्चर्य कैसा, मुंह चलाना तो हमेशा से हाथ-पैर चलाने से ज्यादा आसान रहा है. और काउच पर बैठे ये आसान काम कर रहे लोग इसीलिए वहां से उठ नहीं पा रहे, क्योंकि उठने, चलने और किसी और के लिए लड़ने में बहुत दम लगता है.

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