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जब देबाशीष मोहंती से परेशान होकर सचिन के पास आए सईद अनवर

विश्वकप 1999 लोगो में शामिल भारतीय बोलर की कहानी.

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पूर्व तेज़ भारतीय गेंजबाज देबाशीष मोहंती (कर्टसी: ट्वीटर )
साल 1999 क्रिकेट विश्वकप. इंग्लैंड में खेले गए इस विश्वकप को इंडियन फैंस बहुत ज़्यादा याद नहीं करते. क्योंकि इंग्लैंड में हुए इस विश्वकप में भारतीय टीम सेमीफाइनल का सफर भी तय नहीं कर पाई थी. लेकिन इस विश्वकप की भारतीय क्रिकेट से जुड़ी एक ऐसी खास चीज़ है जिसे यादकर इंडियन फैंस खुशी महसूस कर सकते हैं. जी हां, 1999 क्रिकेट विश्वकप के लोगो में एक गेंदबाज़ के गेंदबाज़ी ऐक्शन की छवी अमर है. ये छवि है भारतीय तेज़ गेंदबाज़ देबाशीष मोहंती की. आज उन्हीं देबाशीष मोहंती का जन्मदिन है. उड़ीसा से आने वाला क्रिकेटर: साल 1976 में उड़ीसा के भुवनेश्वर शहर में देबाशीष मोहंती का जन्म हुआ. लेकिन मोहंती को क्रिकेट से प्यार हुआ 1983 में टीम इंडिया की जीत के बाद. सालों साल क्लब क्रिकेट में मेहनत करते रहे. तब जाकर 1996 में पहला रणजी ट्रॉफी मैच खेलने का मौका मिला. बंगाल के खिलाफ पहले मैच में ही ऐसी बोलिंग की कि नौ विकेट निकाले और सलेक्टर्स को मैसेज पहुंचा दिया. पहले फर्स्ट-क्लास सीज़न में प्रदर्शन के बाद मोहंती के लिए किस्मत खुली 1997 के श्रीलंका दौरे पर उन्हें तुरंत कॉल भेज दी गई. मोहंती को श्रीलंका में डेब्यू मौका मिला और पहले टेस्ट मैच में ही उन्होंने लिजेंड्री सनत जयासूर्या को सस्ते में चलता कर दिया. उस पारी में मोहंती ने श्रीलंका के चार विकेट चटकाए और छा गए. इस प्रदर्शन के बावूजद टेस्ट क्रिकेट में उनका करियर बहुत लंबा नहीं रहा. इस मैच के बाद वो सिर्फ एक मैच और खेल पाए. जब सईद बोले, 'क्या बंदा है यार वो' 90 के दशक के आखिर में मोहंती वनडे की टीम में आते-जाते रहे. टेस्ट टीम में डेब्यू के एक महीने बाद ही सहारा कप टोरंटो में मोहंती को वनडे डेब्यू का मौका मिल गया. पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में उन्होंने बढ़िया बोलिंग की और लाइमलाइट में आ गए. इस सीरीज़ में मोहंती ने आठ विकेट चटकाए और वो सौरव गांगुली के बाद दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ रहे. इस कप का मोहंती से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी है. सचिन तेंडुलकर ने एक बार बताया था कि सहारा कप में चार वनडे के बाद एक फंक्शन में सईद अनवर सचिन के पास आए और उनसे कहा,
'मोहंती करता क्या है, क्या बंदा है वो. वो भागकर आता है और क्या बॉल डालता है. मैं छोड़ूं वो बॉल अंदर आता है, मारूं वो बॉल बाहर जाता है.'
सईद उस सीरीज़ में मोहंती की बोलिंग के आगे बेबस नज़र आते थे. उस सीरीज में देबाशीष मोहंती ने सईद अनवर को तीन बार आउट किया था. 1999 विश्वकप में देबाशीष मोहंती: देबाशीष मोहंती ने भारत के लिए 45 वनडे मैच खेले. जिसमें उन्होंने तीस से कम की औसत के साथ 57 विकेट चटकाए. लेकिन उनके वनडे करियर का सबसे यादगर पाल 1999 क्रिकेट विश्व कप रहा. जब आखिरी पल उन्हें इंग्लैंड जाने वाली टीम में शामिल कर लिया गया. भारत के लिए वो विश्वकप बहुत यादगार नहीं है. लेकिन उस विश्वकप में मोहंती भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे. उन्होंने सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले श्रीनाथ से चार मैच कम खेले और 10 विकेट चटकाए. केन्या के खिलाफ भारत को सुपर सिक्स में पहुंचाने वाले मैच में मोहंती ने शानदार प्रदर्शन किया और चार विकेट चटकाए थे. एक पारी में 10 विकेट: 1999 विश्वकप के बाद मोहंती छह महीने के अंदर ही टीम इंडिया से बाहर हो गए. टीम से बाहर होने के बाद मोहंती डॉमेस्टिक क्रिकेट खेलते रहे. साल 2001 की शुरुआत में ही मोहंती ने ईस्ट जोन और साउथ ज़ोन के बीच खेले गए फर्स्ट-क्लास मैच की एक पारी में 10 विकेट लेकर सबको हैरान कर दिया. इस बेमिसाल प्रदर्शन के बाद मोहंती की फिर से टीम में वापसी हुई. लेकिन वो सिर्फ चार मैच खेले और उसी साल उनकी टीम से विदाई हो गई. इसके बाद साल 2010 तक मोहंती डॉमेस्टिक क्रिकेट खेलते रहे. जिसके बाद उन्होंने संन्यास का ऐलान कर दिया. टीम से विदाई के बाद साल 2011 में मोहंती को रणजी ट्रॉफी में उड़ीसा की टीम का कोच बनाया गया. मोहंती के कोच रहते ईस्ट ज़ोन ने अपना पहला दिलीप ट्रॉफी का खिताब जीता. मौजूदा समय में देबाशीष मोहंती भारतीय क्रिकेट में एक्टिव हैं. वो चेतन शर्मा वाली भारतीय क्रिकेट सलेक्शन कमेटी के सदस्य हैं.