‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख अमृतपाल सिंह अभी भी पुलिस की पकड़ में नहीं आया है. उसकी तलाश के बीच पंजाब पुलिस इस खालिस्तानी नेता के सहयोगियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में लगी है. रविवार, 19 मार्च को पुलिस अमृतपाल के चार सहयोगियों को असम के डिब्रूगढ़ की एक जेल में ले गई थी. इनमें गुरमीत सिंह बुक्कनवाला, बसंत सिंह, भगवंत सिंह उर्फ प्रधान मंत्री बाजेके और दलजीत सिंह कलसी के नाम शामिल थे.
अमृतपाल सिंह के साथी भगवंत सिंह का नाम 'प्रधान मंत्री' कैसे पड़ा?
पंजाब पुलिस ने NSA के तहत गिरफ्तार किया है.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि इन चारों को पुलिस ने NSA यानी नेशनल सिक्योरिटी एक्ट, 1980 के तहत पकड़ा है. अखबार ने मोगा पुलिस के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि भगवंत सिंह उर्फ प्रधान मंत्री बाजेके को पुलिस ने शनिवार, 18 मार्च को उसके घर से गिरफ्तार किया था. पुलिस के मुताबिक उसे आता देख भगवंत सिंह फेसबुक लाइव करने लगा था. मोगा पुलिस ने जानकारी दी कि गिरफ्तारी के बाद भगवंत को अमृतसर ग्रामीण पुलिस के हवाले कर दिया गया था. उसने आरोपी को NSA के तहत गिरफ्तार किया.
भगवंत सिंह को ‘प्रधान मंत्री’ क्यों कहते हैं?पुलिस के मुताबिक भगवंत सिंह एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और किसान रहा है. वो टिक-टॉक, यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लैटफॉर्म्स पर वीडियो शूट करके अपलोड करता था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भगवंत ‘प्रधान मंत्री बाजेके’ नाम का एक सोशल मीडिया पेज चलाता है. उस पेज पर वो सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर ह्यूमर से भरे वीडियो अपलोड करता था.
सोशल मीडिया पर उसके वीडियो वायरल होने के बाद भगवंत थोड़ा फेमस हो गया था. साल 2020 में उसने एक लोकल वेब चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था,
“मैं सोशल मीडिया पर वो खुद को ‘प्रधान मंत्री’ इसलिए कहता हूं क्योंकि मैं काफी फेमस होना चाहता हूं.”
भगवंत सिंह ने इंटरव्यू में बताया था कि उसने सोशल मीडिया पर ‘मुख्य मंत्री’ नाम का एक पेज दिखा था. इसके बाद ही उसे अपने पेज का नाम ‘प्रधान मंत्री’ रखने का ख्याल आया. उसने ये भी कहा था कि अगर वो सोशल मीडिया के जरिए अपनी रोजी-रोटी कमा रहा है तो किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए. भगवंत के फेसबुक पेज पर 6 लाख 11 हजार फॉलोअर्स हैं. उसका इंस्टाग्राम और यूट्यूब चैनल हटा दिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक मोगा पुलिस ने बताया कि भगवंत सिंह पर इससे पहले हत्या, NDPS एक्ट के तहत अफीम की बरामदगी, भूमि विवाद सहित आठ मामलों में FIR दर्ज है. इनमें से अधिकतर मामले मोगा के धर्मकोट पुलिस थाने में दर्ज हैं. ज्यादातर में उसे जमानत मिल चुकी है. इसके अलावा पुलिस ने बताया कि भगवंत के खिलाफ मई 2015 में भूमि विवाद मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया था. वहीं, अप्रैल 2017 में 400 ग्राम अफीम की बरामदगी के आरोप में उस पर केस हुआ था.
कब से अमृतपाल सिंह के सपोर्ट में आया?पुलिस ने जानकारी दी कि भगवंत सिंह पिछले साल ‘वारिस पंजाब दे’ की लोकप्रियता बढ़ने के बाद अमृतपाल के समर्थन में आया था. अखबार के मुताबिक पहले भगवंत सिंह टी-शर्ट, पैंट और शर्ट पहने नजर आता था. वो पगड़ी भी नहीं पहनता था. लेकिन ‘वारिस पंजाब दे’ से जुड़ने के बाद से उसने सिखों की पारंपरिक पोशाक (चोला) और पगड़ी पहनना शुरू कर दिया था. वो अपने साथ तलवार और राइफल जैसे हथियार भी रखने लगा था. पुलिस ने ये भी बताया कि भगवंत सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ के हर कार्यक्रम में मौजूद रहता था. इसके अलावा, वो सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर अमृतपाल का समर्थन भी करने लगा था.
सोमवार, 20 मार्च को अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह ने पुलिस के सामने सरेंडर किया था. बकौल हरजीत ‘प्रधान मंत्री बाजेके’ जैसे लोग ‘वारिस पंजाब दे’ के आम समर्थक थे. इन लोगों की संगठन के कामकाज में कोई और भूमिका नहीं थी. पुलिस सूत्रों के मुताबिक भगवंत सिंह कक्षा 8 तक पढ़ा हुआ है. वो अपने गांव में चार एकड़ जमीन और एक घर का मालिक है. वो अपने गांव वालों से आए दिन झगड़ने के लिए जाना जाता है.
वीडियो: अमृतपाल सिंह पर 15 दिन पहले अमित शाह, भगवंत मान की मीटिंग हुई, क्या प्लान बना था?