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जब आसाराम ने अमरीश पुरी से बार-बार अपना नाम बताने को कहा

देखिए वीडियो, जब आसाराम के सामने अमरीश पुरी थे...

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अमरीश पुरी का ब्लड कैंसर की वजह से 72 साल की उम्र में निधन हो गया था.
अमरीश पुरी को फिल्मों से इतर कम ही देखा-सुना जाता था. कम दिखना एक तरह से उनकी यूएसपी भी थी, जिसकी वजह से जनता उन्हें पसंद करती थी. लेकिन  इस साल फरवरी में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें अमरीश पुरी मंच पर खड़े होकर जनता को संबोधित कर रहे हैं. और ये कोई ऐसा-वैसा मंच नहीं है, ये आसाराम बापू के एक प्रोग्राम का मंच है. इस वीडियो को देखते हुए हमें 'परम पूज्य बापूजी' का असली चेहरा दिखलाई पड़ता है. इसमें वो इंडिया के महान आर्टिस्टों में से एक अमरीश पुरी का भीड़ के सामने माखौल बना रहा है. ये जो वीडियो सोशल मीडिया में सर्कुलेट हो रहा था, आसाराम के किसी प्रोग्राम का है, जिसमें अमरीश पुरी भी शामिल हुए थे. उन्होंने आसाराम के साथ मंच शेयर किया और खुद को उनका भक्त भी बताया. साथ ही आसाराम को थैंक यू भी कहा. जैसे ही अमरीश पुरी मंच पर चढ़े आसाराम ने उन्हें सामने बैठी जनता को अपना इंट्रोडक्शन देने के लिए कहा. अमरीश पुरी ने सबको बताया कि वो कौन हैं और अपनी बात पूरी कर पीछे हटने लगे. इसके बाद आसाराम बार-बार उनसे अपना नाम जनता को बताने के लिए कहने लगा. ऐसा तकरीबन पांच-छह बार हुआ. लेकिन जैसे ही अमरीश को लगा कि मामला थोड़ा गड़बड़ हो रहा है, उन्होंने मंच पर आसाराम और उनके भक्तों के सामने ही उन्हें विलेन कह दिया. इसके बाद उन्होंने 1987 में आई फिल्म 'मिस्टर इंडिया' का डायलॉग 'मोगैम्बो खुश हुआ' बोलकर मजमा लूट लिया. हुआ ये कि आसाराम बार-बार अमरीश पुरी का नाम ले रहे थे. फिल्मी ढंग से मजाकिया अंदाज़ में. इस पर रिएक्ट करते हुए अमरीश ने कहा कि आसाराम उनकी तरह बात कर रहे हैं. अमरीश पुरी ने ढेरों फिल्मों में विलेन का किरदार किया है, उनका मतलब था कि आसाराम विलेन जैसे बात कर रहे हैं. इसके बाद अमरीश पुरी ने भी आसाराम की नकल करते हुए भगवान का नाम लेना शुरू कर मामला बराबर कर दिया. अमरीश पुरी का वो वीडियो आप नीचे देख सकते हैं:
तकरीबन 40 साल लंबे करियर में अमरीश पुरी ने 400 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया. वो 'अर्धसत्य', 'हीरो' (1983), 'मेरी जंग' (1986), 'सूरज का सातवां घोड़ा', 'दामिनी' (1994), 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (1995), 'करण अर्जुन' (1996), 'घातक', 'परदेस' (1997) और 'गदर- एक प्रेम कथा' (2001) जैसी फिल्मों में अपने काम के लिए याद किए जाते हैं. आखिरी बार वो 2005 में आई सुभाष घई डायरेक्टेड फिल्म 'किसना- दी वॉरियर पोएट' में नज़र आए थे. 12 जनवरी, 2005 को 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उन्हें ब्लड कैंसर था.
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