भारत के साथ सैन्य संघर्ष के बीच पाकिस्तान IMF के पास कर्ज मांगने पहुंच गया था. भारत के आगाह करने के बाद भी 1 बिलियन डॉलर का कर्ज उसे मिल गया. अब दावा किया जा रहा है कि ‘गरीबी’ का रोना रो रही पाकिस्तानी सरकार आतंकवादियों पर करोड़ों लुटाने जा रही है. इसका सबसे बड़ा फायदा आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को मिलने वाला है.
ऑपरेशन सिंदूर से बर्बाद हुए मसूद अजहर को करोड़ों का मुआवजा देगा पाकिस्तान?
भारतीय हमले से तबाह हुए मसूद अजहर को पाकिस्तान की सरकार मुआवजे के तौर पर ‘14 करोड़ रुपये’ दे सकती है. इतना ही नहीं, ऑपरेशन सिंदूर में जिन आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया था, पाकिस्तान की सरकार उसे अपने पैसे से दोबारा बनाने जा रही है.

इंडिया टुडे से जुड़े सुबोध कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय हमले से तबाह हुए मसूद अजहर को पाकिस्तान की सरकार मुआवजे के तौर पर ‘14 करोड़ रुपये’ दे सकती है. इतना ही नहीं, ऑपरेशन सिंदूर में जिन आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया था, पाकिस्तान की सरकार उसे अपने पैसे से दोबारा बनाने जा रही है.
इंडिया टुडे के अनुसार, पाकिस्तानी सरकार ने भारतीय वायुसेना के हमलों में मारे गए आतंकियों के कानूनी उत्तराधिकारियों के लिए मुआवजे का एलान किया है. इसके तहत मरने वालों के परिवारों को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा. इंडियन एयर स्ट्राइक में मारे गए लोगों में से 14 लोग मसूद अजहर के रिश्तेदार थे. इनमें उसकी बड़ी बहन, उसका पति, एक भतीजा, उसकी पत्नी, एक भतीजी और उसके कई बच्चे शामिल थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर अजहर परिवार में अकेला जीवित कानूनी उत्तराधिकारी है तो मरने वालों की संख्या देखते हुए उसे सरकारी मुआवजे में 14 करोड़ मिलेंगे.
भारत के लिए चिंता की बात ये है कि पाकिस्तान सरकार ने एयर स्ट्राइक में तबाह किए गए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालयों को फिर से बनाने का वादा किया है, जो पाकिस्तान सरकार की आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति को साफतौर पर उजागर करता है.
जैश के मुख्यालय को किया था तबाहबता दें कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर उन्हें तबाह कर दिया था. 7 मई को इंडियन एयरफोर्स ने लाहौर से लगभग 400 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ बहावलपुर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया था. भारतीय एयर स्ट्राइक में जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह को भी टारगेट किया गया था, जिसे उस्मान-ओ-अली कैंपस भी कहा जाता है. इस मस्जिद परिसर को जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय माना जाता है.
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