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'चलो अयोध्या' के पोस्टर बॉय को गुजरात दंगों के फेमस चेहरे के बारे में जानना चाहिए

पिछले 2-3 दिनों से ट्रेन में 'चलो अयोध्या' का पोस्टर थामे इस लड़के की तस्वीर वायरल है.

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बाईं तरफ की तस्वीर है 'चलो अयोध्या' के पोस्टर बॉय की. दाहिनी ओर है 2002 के गुजरात दंगों का पोस्टर बॉय अशोक भावनभाई परमार. जिन लोगों को 'चलो अयोध्या' वाले जवान में हिंदुत्व का हीरो नजर आ रहा हो, उन्हें अशोक का हाल जरूर जान लेना चाहिए.
इंडियन रेलवे की एक आम सी ट्रेन. स्लीपर बोगी. और इसमें इमरजेंसी वाली खिड़की, जिसकी लाल ग्रिल ऊपर उठ जाती है. इससे धड़ बाहर निकाल रहा एक जवान सा लड़का, जिसके सिर पर बंधा है भगवा रिबन. और गले में भगवा पट्टी, जिस पर शिवसेना का सिंबल 'धनुष पर चढ़ा तीर' गुदा है. पट्टे में पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे का फेस प्रिंट है. इस शख्स ने बाएं हाथ में एक भगवा झंडा थामा हुआ है. दाहिने हाथ में है एक पोस्टर, जिस पर बने हैं भगवान राम. हाथ में धनुष ताने, प्रत्यंचा चढ़ाए. कंधे पर तीरों से भरा तरकश. कमर में बंधा भगवा मानो हवा में फहरा रहा है. ऐक्शन पैक्ड इस पोस्टर पर लिखा है-
चलो अयोध्या.
ये 'चलो अयोध्या' का क्या चक्कर है? ये तस्वीर 24 नवंबर से खूब वायरल हो रही है. इसमें दिख रहा नौजवान हिंदुत्व का ब्रैंड न्यू पोस्टर बॉय बन गया है.
ये शख्स शिवसेना के 'चलो अयोध्या' कैंपेन में शामिल था. इसके जैसे हजारों जवान अयोध्या पहुंचे. पार्टी के मुखिया उद्धव ठाकरे खुद 24 नवंबर को अयोध्या में थे. इस पूरी मुहिम का मकसद था राम जन्मभूमि मंदिर के लिए माहौल तैयार करना. शिवसेना के हजारों कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में सरयू किनारे महाआरती की. फिर सभा हुई. ये सब उस छह दिसंबर के आसपास किया जा रहा है, जो बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की बरसी है. छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराई गई थी. 2019 चुनावी साल है. शायद इसीलिए राम मंदिर के बहाने देश का माहौल गरमाया जा रहा है.
अशोक शायद बेमतलब ही गुजरात दंगों का ब्रैंड ऐम्बेसडर बना दिया गया. अशोक जैसे लोग बस संख्या बल बढ़ाने के लिए गुमराह किए जाते हैं. जिन लोगों को रोजगार और शिक्षा जैसे बुनियादी सवालों पर एकजुट होना चाहिए, वो धर्म के नाम पर इस्तेमाल कर लिए जाते हैं
साल 2002 के गुजरात दंगों में अशोक नाम के इस शख्स को पोस्टर बॉय  बना दिया गया. सालों बाद भी उसका ये फोटो गुजरात दंगों के नाम पर हर जगह चस्पा कर दिया जाता है.

2002 के दंगों का पोस्टर बॉय अब कहां है? 'चलो अयोध्या' वाले उस जवान की तर्ज पर कट्टर हिंदुत्व के कुछ चर्चित पोस्टर बॉय पहले भी हुए हैं. इनमें से सबसे मशहूर हैं अशोक भावनभाई परमार उर्फ अशोक मोची. आप शायद नाम से न पहचान पाएं, लेकिन तस्वीर देखकर जरूर याद आ जाएगा. साल 2002 के गुजरात दंगों में एक फोटो आई थी. सिर पर भगवा कपड़ा बांधे, दोनों हाथ ऊपर उठाए हुंकार भरता एक आदमी. उसके एक हाथ में लोहे की रॉड है. चेहरे पर घनी काली दाढ़ी और आंखों में उन्माद भरा है. उसके सामने और पीछे की तरफ आग धधक रही है. ये फोटो गुजरात दंगों की सबसे कुख्यात तस्वीरों में से है. हैवानियत से तरबतर ऐसे किसी इंसान को आप सपने में भी देख लें, तो दहशत से पसीना-पसीना हो जाएं. उसकी मुट्ठियों में कसी रॉड देखकर खौफ महसूस होता है. सबेस्टियन डिसूजा नाम के फोटोग्राफर ने गुजरात के दूधेश्वर में 28 फरवरी, 2002 को ये तस्वीर क्लिक की थी. अशोक की ये फोटो देखकर कई कट्टर हिंदुओं ने अपनी मूंछें ऐंठी होंगी. इस पर गर्व जताया होगा. खुद को इसके साथ रिलेट किया होगा. मगर क्या आप जानते हैं कि दंगों में शामिल रहा अशोक अब क्या करता है?
दोनों 2002 के दंगों की तस्वीरें हैं. दाहिनी तरफ हैं कुतुबुद्दीन अंसारी. रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट अरको दत्ता ने 1 मार्च, 2002 को नरोडा पाटिया में ये फोटो ली थी. अंसारी अपने घर में फंस गए थे. हिंदू भीड़ ने घर को घेर लिया था. अंसारी रेपिड ऐक्शन फोर्स के आगे हाथ जोड़कर जान बचाने की भीख मांग रहे थे. दाहिनी तरफ अशोक की फोटो है.
दोनों 2002 के दंगों की तस्वीरें हैं. बाईं तरफ है कुतुबुद्दीन अंसारी. रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट अरके दत्ता ने 1 मार्च, 2002 को नरोडा पाटिया में ये फोटो ली थी. अंसारी अपने घर में फंस गया था. उन्मादी भीड़ ने उसका घर घेर लिया था. अंसारी रेपिड ऐक्शन फोर्स के आगे हाथ जोड़कर जान बचाने की गुहार लगा रहा था. दाहिनी तरफ अशोक का फोटो है. 

अब मुस्लिमों से एकता की बात साल 2016 में गुजरात में दलितों ने कई प्रदर्शन किए. ऊना में एक मरी गाय की चमड़ी निकालने को लेकर चार दलितों की पिटाई की गई. इससे नाराज दलित सड़कों पर उतर आए थे. सरकार विरोधी इन प्रदर्शनों में दलित अशोक भी शामिल थे. जानते हैं, उस वक्त अशोक ने क्या कहा? उसने कहा,  दलितों और मुसलमानों को साथ आना होगा. उन्हें हाथ मिलाना होगा, तभी दोनों वर्गों का भला हो सकता है. दंगे में मुस्लिमों के खिलाफ उत्पात मचाने वाला अशोक अपनी हिंदू पहचान भुला चुका है. अब वो बस दलित रह गया है. ऐसा दलित, जो दलितों के साथ होने वाले अन्याय से नाराज है.
ये 2014 की फोटो है. तस्वीर में अशोक मोची और कुतुबुद्दीन अंसारी, दोनों साथ हैं. CPM ने केरल में हिंदू-मुस्लिम भाइचारे के लिए एक सेमिनार किया था. इसी में शामिल हुए थे ये दोनों. यहां अशोक ने अंसारी समेत पूरे मुस्लिम समुदाय से 2002 के दंगों के लिए माफी मांगी.
ये 2014 की फोटो है. तस्वीर में अशोक मोची और कुतुबुद्दीन अंसारी, दोनों साथ हैं. CPM ने केरल में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के लिए एक सेमिनार किया था. इसी में शामिल हुए थे ये दोनों. यहां अशोक ने अंसारी समेत पूरे मुस्लिम समुदाय से 2002 के दंगों के लिए माफी मांगी.

गरीबी के कारण शादी नहीं हो पाई दंगों के वक्त अशोक बेघर और बेरोजगार था. अब वो अहमदाबाद शहर में जूते-चप्पल सिलने काम करता है. इतना नहीं कमा पाता कि सिर पर छत का इंतजाम कर सके. बेघर, फुटपाथ पर सोता है. गरीबी की वजह से शादी भी नहीं हो पाई. एक और जरूरी बात. अशोक गोधरा कांड और इसके बाद हुए दंगों की निंदा करता है. वो दंगों में शामिल होने से भी इनकार करता है. उसके मुताबिक, जिस दिन उसकी तस्वीर ली गई उस दिन दंगे हो रहे थे. हिंदू मार रहे थे मुसलमानों को. किसी ने उसे रॉड थमाकर गोधरा का बदला लेने को कहा. अशोक का कहना है कि  उसने किसी को मारा नहीं, बस रॉड लेकर चलता रहा. इसी दौरान एक फोटोग्राफर उसके पास आया और उसकी तस्वीर ले ली. अशोक की ये फोटो कई जगह पब्लिश हुई. मैगजीन्स, अखबार और न्यज चैनलों में छाई रही. देश-विदेश सब जगह चर्चा में रही. बाद में अशोक को पुलिस ने अरेस्ट भी किया. बेरोजगार लड़के ऐसे जमावड़ों में इस्तेमाल किए जाते हैं 'चलो अयोध्या' वाले इस लड़के का नाम अभी नहीं मालूम. देर-सबेर उसकी भी पहचान सामने आ जाएगी. बहुत मुमकिन है कि वो बेरोजगार हो. या ना भी हो, लेकिन ऐसे ज्यादातर लड़के बेरोजगार ही होते हैं. ऐसों को धर्म या राजनीति के नाम पर एकजुट करना ज्यादा आसान होता है. नेता इनके हाथ में झंडा थमा देते हैं. और उनको अपने एजेंडे के लिए इस्तेमाल करते हैं. जिन्हें रोजगार और भविष्य को लेकर अपने नेताओं से सवाल पूछना चाहिए वो नेताओं के पीछे लेफ्ट-राइट-लेफ्ट करते हुए मूर्ख बनते रहते हैं.


उमा भारती ने कहा चुनाव से पहले मीडिया को याद आते हैं राम