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ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आता है? ये टिप्स दिक्कत दूर कर देंगी

अगर ब्रश करते वक्त मसूड़ों से खून आता है, तो सबसे पहले चेक करें कि कहीं आपका ब्रश हार्ड ब्रिसल्स वाला तो नहीं है.

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ब्रश करते वक्त मुंह से खून आता हो, तो पहले अपना ब्रश बदलकर देखें

हम सुबह उठकर ब्रश करते हैं ताकि दांत साफ रहें. उनमें कोई गंदगी न जमा हो. मसूड़े मज़बूत रहें. अब कई बार हम बड़ी लगन से ब्रश कर रहे होते हैं, कि तभी ब्रश करते-करते हमारे मसूड़ों में दर्द होने लगता है. उनसे खून निकलने लगता है. कभी ये खून कम होता है, तो कभी थोड़ा ज़्यादा. मगर ब्रश करते हुए आखिर मुंह से खून निकलता क्यों है? चलिए समझते हैं. 

ब्रश करते हुए कुछ लोगों को खून क्यों आता है?

ये हमें बताया डॉक्टर चेतना जोशी ने. 

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डॉ. चेतना जोशी, डेंटिस्ट, सीमा डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, ऋषिकेश

हमारे मसूड़े बहुत नाज़ुक होते हैं. अगर सही तरीके से ब्रश न किया जाए या तेज़ी से ब्रश किया जाए, तो मसूड़ों से खून आने लगता है. अगर दांतों और मसूड़ों में बहुत गंदगी जमा है, तो भी खून आने लगता है.

अगर मसूड़ों में सूजन है या दांत हिलने लगे हैं, तो भी खून आ सकता है. तंबाकू खाने और उसे दांतों या मसूड़ों में रगड़ने से दांत और मसूड़े कमज़ोर हो जाते हैं. इससे पायरिया (मसूड़ों की एक बीमारी) और ब्रश करते वक्त मुंह से खून आने की समस्या बढ़ जाती है. प्रेग्नेंसी जैसे हॉर्मोनल बदलावों के समय भी मसूड़ों से खून आ सकता है. डायबिटीज़ के मरीज़ों को भी मसूड़ों से खून आने या पायरिया की समस्या हो सकती है.

कब डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी हो जाता है?

- सेब या नाशपाती जैसे फल खाते वक्त दांतों से खून आने लगे.

- दांत ढीले लगने लगें या हिलने लगें.

- मसूड़ों के बीच कुछ फंसा हुआ महसूस हो, और बार-बार टूथपिक इस्तेमाल करने का मन करे.

- अगर मसूड़े सूजे हुए या लाल दिखें, तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

- अगर दांत और मसूड़े बिल्कुल सही भी हों, तब भी हर 3 महीने में एक बार डॉक्टर से ज़रूर मिलना चाहिए.

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सॉफ्ट या अल्ट्रा सॉफ्ट ब्रश का इस्तेमाल करें

ब्रश करते वक्त खून न आए, इसके लिए क्या करें?

अगर आपके मसूड़ों में पायरिया है या ब्रश करते समय खून आता है, तो सॉफ्ट या अल्ट्रा सॉफ्ट ब्रश का इस्तेमाल करें. अगर आपके दांत और मसूड़े पूरी तरह स्वस्थ और साफ हैं, तो आप मीडियम ब्रिसल्स वाला ब्रश इस्तेमाल कर सकते हैं. 

अगर ब्रश को छूने पर मुलायम महसूस हो, तो वो सॉफ्ट ब्रिसल्स वाला ब्रश है. अगर ब्रश को छूने पर कठोर लगे, तो वो हार्ड ब्रिसल्स वाला ब्रश है. इस तरह से आप अपना ब्रश चुन सकते हैं.

ब्रश कितनी बार करें और इसे करने का सही तरीका क्या है?

जितनी बार आप खाना खाएं, खासकर कुछ ऐसा जो मुंह या दांतों में चिपकने वाला हो, तो खाने के 10 मिनट के अंदर ब्रश करना चाहिए. ब्रश करते समय, ब्रश को हॉरिज़ॉन्टली (आड़ा यानी लेटी हुई दशा में) पकड़ें. पीछे के दांत से ब्रश करना शुरू करें और धीरे-धीरे आगे की तरफ आएं. ब्रश का एंगल 45 डिग्री होना चाहिए, जो मसूड़ों की तरफ हो और धीरे-धीरे आगे की तरफ आकर दांतों को साफ करें. इस दौरान, मसूड़ों की मसाज भी होगी, जिससे उनमें खून का बहाव बढ़ेगा और समस्याएं कम होंगी.

दांतों की सफाई सिर्फ ब्रश करने तक सीमित नहीं है, जीभ की सफाई भी ज़रूरी है. करीब 95% बैक्टीरिया हमारी जीभ में रहते हैं. इसलिए, जीभ की सफाई भी मुंह की सफाई का अहम हिस्सा है. अगर आपने अभी तक जीभ की सफाई नहीं की है, तो अब से शुरू कर दें. जीभ की सफाई और ब्रश करने के बाद ही मुंह की सफाई पूरी होती है. आपको अपना ब्रश 3 महीने में बदलना चाहिए, ताकि इन समस्याओं से बचा जा सके.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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