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उत्तरकाशी में सुरंग में 2 दिन से फंसे 40 मजदूर, कैसे पहुंचाई जा रही है ऑक्सीजन और खाना-पानी?

लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अब ऑगर ड्रिलिंग मशीन लाई गई है. इस मशीन से मलबे में 900 मिमी का स्टील पाइप लगाया जाएगा.

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बचाव के लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन लाई गई है. (तस्वीर साभार: इंडिया टुडे)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के ढहने (Uttarkashi Tunnel Incident) से करीब 40 मजदूर सुंरह के भीतर फंसे हुए हैं. ये मजदूर पिछले 48 घंटों से ज्यादा से सुंरग में फंसे हैं. हालांकि, घटनास्थल से मिली जानकारी के मुताबिक सभी लोग सुरक्षित हैं. सभी को बाहर निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य जारी है. निर्माणाधीन सुरंग में फंसे लोगों से अधिकारियों की बातचीत हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरंग के अंदर फंसे लोगों के पास ऑक्सीजन सिलेंडर है. इसके अलावा उन तक और अधिक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए पानी के पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा है. सुरंग के एक हिस्से के धंसने के कारण ऑक्सीजन पहुंचाने वाली एक बड़ी पाइप टूट गई थी.

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राज्य आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है कि सुरंग में फंसे सभी लोग सुरक्षित हैं. पाइपलाइन के रास्ते लोगों तक खाने का सामान और पानी भी पहुंचाया जा रहा है. सुंरग में फंसे लोगों तक चने और ड्राई फूड के पैकेट पहुंचाए गए हैं. सुरंग के अंदर उनके पास टार्च उपलब्ध है. 

इंडिया टुडे से जुड़े अंकित शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, बचाव के लिए अब ऑगर ड्रिलिंग मशीन लाई गई है. इस मशीन की मदद से मलबे में 900 मिमी का स्टील पाइप लगाया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, बहुत ज्यादा ठंड और लगातार भूस्खलन के कारण बचाव कार्य की रफ्तार में कुछ कमी आई है.

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इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन किया और घटना की जानकारी ली. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राहत और बचाव कार्यों के बारे में बताया. उन्होंने 13 नवंबर को सोशल मीडिया X (ट्विटर) पर इस बारे में एक पोस्ट भी लिखा.

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कई राज्यों के मजदूर फंसे हैं

सुरंग के अंदर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर फंसे हुए हैं. 12 नवंबर को सुबह 6 से 7 बजे के बीच सिल्क्यारा को डंडालगांव से जोड़ने वाली इस निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. शुरुआती जांच में पता चला कि हादसा भूस्खलन के चलते हुआ.भूस्खलन सुरंग के प्रवेश द्वार से 200 मीटर की दूरी पर हुआ और मजदूर प्रवेश द्वार से 2,800 मीटर सुरंग के अंदर थे.

13 नवंबर को मुख्यमंत्री घटनास्थल पर पहुंचे थे. (तस्वीर साभार: एएनआई)

जो सुरंग ढही है, वो ऑल-वेदर-रोड प्रोजेक्ट के तहत बन रही है. राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) की देख-रेख में नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड ये 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बना रही है. बचाव टीमों के साथ कंपनी भी मलबा हटाने में जुटी है. NHIDCL के निदेशक अंशू मनीष खलको ने आज तक को बताया है कि स्थिति पहले से बेहतर है. उन्होंने बताया कि मजदूर सुरक्षित हैं, उन तक भोजन और पानी पहुंचाया जा रहा है. पहले इस टनल का काम सितंबर 2023 में पूरा होना था लेकिन प्रोजेक्ट में देरी हो गई है. अब इसे मार्च 2024 तक पूरा करने का टारगेट रखा गया है. सुरंग के बनने से उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम तक का सफर 26 किलोमीटर कम हो जाएगा.

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