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यूपी सरकार ने पद्म श्री पाने वाले वैज्ञानिक से संगम के पानी की जांच करवाई, रिपोर्ट भी आ गई

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने CPCB के आंकड़ों के संदर्भ में 20 फरवरी को एक सरकारी विज्ञप्ति जारी की है. रिपोर्ट को तैयार करने में पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने मदद की है.

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संगम के पानी को लेकर चल रहे घमासान पर यूपी सरकार ने एक नई रिपोर्ट जारी की. (तस्वीर:ANI)

संगम के पानी की शुद्धता को लेकर चल रहे घमासान के बीच यूपी सरकार ने एक नई रिपोर्ट जारी की है. सरकार ने एक वैज्ञानिक के हवाले से बताया है कि कुंभ का पानी नहाने के अलावा आचमन के लिए भी 'फिट' है. इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने महाकुंभ में गंगा के पानी को लेकर कई सवाल खड़े किए थे.

गंगा का पानी 'फिट'

योगी आदित्यनाथ सरकार ने CPCB के आंकड़ों के संदर्भ में 20 फरवरी को एक सरकारी विज्ञप्ति जारी की है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे तैयार करने में पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने मदद की है. उन्होंने वैज्ञानिक तथ्यों के साथ गंगा की पवित्रता के बारे में खड़े किए गए संदेह को खारिज किया है.

इसके लिए डॉ. सोनकर ने महाकुंभ क्षेत्र के संगम नोज और अरैल समेत पांच प्रमुख स्नान घाटों से पानी के नमूने इकट्ठे किए. रिपोर्ट के मुताबिक,

“इन नमूनों की लैब में बारीकी से जांच की गई. पता चला कि संगम में करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान करने के बावजूद पानी में न तो बैक्टीरीया की वृद्धि हुई और न ही पीएच स्तर में कोई गिरावट दर्ज की गई.”

'पानी दूषित होता तो अस्पताल मरीजों से भर जाते'

रिपोर्ट में गंगा के पानी के दूषित नहीं होने के दावे के लिए तर्क भी दिए गए हैं. इसके मुताबिक रिसर्च में मालूम पड़ा कि गंगा के पानी में 1,100 तरह के नैचुरल वायरस ‘बैक्टीरियोफेज’ हैं. यह वायरल हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करते हैं. डॉ. सोनकर ने साफ किया कि नदी का पीएच स्तर 8.4 और 8.6 के बीच है. यह आंकड़ा सामान्य से बेहतर है और पानी में कोई दुर्गंध या जीवाणु के बढ़ने के संकेत नहीं मिलते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 14 घंटों तक पानी के नमूनों को उचित वातावरण में रखकर जांचा. इस दौरान कोई हानिकारक बैक्टीरिया विकसित नहीं हुआ. डॉ. अजय कुमार सोनकर ने सवाल उठाया कि यदि नदी का पानी वास्तव में दूषित होता, तो अब तक वैश्विक स्तर पर आक्रोश फैल गया होता और हॉस्पिटल मरीजों से भर गए होते.

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CPCB की रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ था विवाद

संगम के पानी की गुणवत्ता पर विवाद CPCB की एक रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ. बोर्ड ने 3 फरवरी को अपनी रिपोर्ट NGT को सौंपी थी. इसके मुताबिक 6 मानकों पर संगम के पानी को जांचा गया है. यह सैंपल 12, 13, 14, 15 और 19 जनवरी को लिए गए थे. फीकल कोलीफॉर्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट से कम होना चाहिए. लेकिन रिपोर्ट में कई जगहों पर यह मात्रा काफी ज्यादा है. जैसे पहले शाही स्नान वाले दिन दीहा घाट के पास गंगा नदी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 33,000 यूनिट दर्ज किया गया था.

हालांकि, CPCB की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के अगले दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसके कई तथ्यों को खारिज कर दिया था. उन्होंंने महाकुंभ के पानी को दूषित बताने वालों को जमकर निशाने पर लिया था.  

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