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आजीवन कारावास सजा है, यूपी के 'धर्म परिवर्तन विरोधी कानून' में बहुत कुछ बदल गया है

सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन करवाने के मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति को 7 से 14 साल की सजा हो सकती है. और उस व्यक्ति पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

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सरकार की दलील है कि मौजूदा कानून कई मामलों में धर्मांतरण रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था. (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के धर्म परिवर्तन रोकथाम कानून को और सख्त कर दिया है. जबरन धर्म परिवर्तन कराने के मामलों में दोषी पाए गए व्यक्ति को अब आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. जमानत की शर्तें भी कड़ी हो गई हैं. 30 जुलाई को कानून में संशोधन के लिए लाए गए बिल को उत्तर प्रदेश विधानसभा ने पारित कर दिया. संशोधन के बाद अब जो कानून लागू होगा उसका नाम है - उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024. इस संशोधन के जरिये राज्य सरकार ने कानून में कई और बदलाव किए हैं.

2021 में पहली बार आया था कानून

राज्य सरकार ने कथित 'लव जिहाद' को रोकने के लिए साल 2020 में पहली बार धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी शुरू की थी. नवंबर 2020 में इसके लिए राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी किया था. बाद में विधानसभा से पारित होने के बाद इसे कानूनी रूप से मान्यता मिली थी. कानून का नाम था - उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021. इसके तहत झूठ बोलकर, बलपूर्वक या धोखे से कराए गए धर्म परिवर्तन को अपराध की श्रेणी में रखा गया था. अलग-अलग मामलों में एक से 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया था. अब इसी कानून में कई बदलाव हुए हैं.

कानून में क्या-क्या बदलाव हुए?

1. अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से किसी को उसके जीवन या संपत्ति के लिए धमकी देता है, हमला करता है या शादी करता है या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है. या  किसी नाबालिग महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है तो इसके लिए कम से कम 20 साल की सजा या आजीवन कारावास होगी. और उस पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. पहले कानून में इस अपराध के लिए अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान था. {धारा- 5 (3)}

2. बदलावों के तहत, अब धर्म परिवर्तन के मामलों में कोई भी व्यक्ति शिकायत दर्ज करवा सकता है. पहले कानून में पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन या कोई परिवार से जुड़ा व्यक्ति केस दर्ज करवा सकता था. लेकिन अब कोई व्यक्ति पुलिस को इसकी सूचना दे सकता है. (धारा-4)

3. सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन करवाने के मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति को 7 से 14 साल की सजा हो सकती है. और उस व्यक्ति पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. पहले कानून में तीन से 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान था. {धारा- 5(1)}

4. नाबालिग, विकलांग, मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति, महिला, दलित या आदिवासियों से जुड़े धर्म परिवर्तन के मामलों में 5 से 14 साल तक सजा हो सकेगी. वहीं एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. पहले इन मामलों में 25,000 रुपये जुर्माने के साथ 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान था. {धारा- 5(1)}

5. अवैध धर्म परिवर्तन के मामलों में अगर कोई व्यक्ति विदेशी या गैर-कानूनी संस्थाओं से फंड लेगा, तो उसे 7 से 14 साल की सजा हो सकती है. और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. {धारा- 5(2)}

6. बदलाव के बाद, अब इस कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे. और ऐसे मामलों की सुनवाई सेशन्स कोर्ट से नीचे नहीं होगी. वहीं, इस कानून के तहत हिरासत में बंद आरोपी व्यक्ति को जमानत पर तब तक नहीं छोड़ा जाएगा, जब तक सरकारी वकील को कोर्ट में जमानत के विरोध का मौका ना दिया जाए. (धारा-7)

कानून में बदलाव क्यों हुए?

सरकार की दलील है कि मौजूदा कानून नाबालिग, विकलांग, मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति, महिला, दलित या आदिवासियों के मामले में धर्मांतरण रोकने और नियंत्रित करने में पर्याप्त नहीं था. 

बिल में लिखा है कि धर्म परिवर्तन के अपराध की संवेदनशीलता और गंभीरता, महिलाओं की गरिमा, विदेशी और राष्ट्र विरोधी तत्वों और संगठनों के संगठित और योजनाबद्ध कामों को देखते हुए, अनुभव किया गया है कि कानून में सजा बढ़ाई जानी चाहिए. साथ ही जमानत की शर्तों को बढ़ाया जाना चाहिए.

सांप्रदायिक राजनीति खत्म होगी- अखिलेश

कानून में बदलावों पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख और लोकसभा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि सांप्रदायिकता का दीया बुझने जा रहा है. उन्होंने मीडिया से कहा, 

"आप बीजेपी से क्या उम्मीद करते हैं. बीजेपी नौकरी थोड़ी देगी. बीजेपी इसलिए हारी है क्योंकि महंगाई बढ़ाई, नौकरी नहीं दी और किसानों को बर्बाद कर दिया. और अब भी वे इसी रास्ते पर हैं, जिसकी वजह से ये हारे हैं. सांप्रदायिक राजनीति देश से खत्म होने जा रही है. नौकरी-रोजगार की राजनीति होगी."

बहरहाल, राज्यपाल से मंजूरी और सरकार के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद इस कानून में हुए बदलाव लागू हो जाएंगे.

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इन बदलावों को छोड़कर, कानून में बाकी पुराने प्रावधान पहले की तरह लागू रहेंगे. जैसे, अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करवाना चाहता है, तो उसे जिला मजिस्ट्रेट के सामने दो महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी. इसका उल्लंघन करने पर 6 महीने से 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इस कानून के तहत अगर ये साबित होता है कि धर्म परिवर्तन सिर्फ शादी के लिए किया गया है तो शादी को भी अमान्य घोषित किया जा सकता है.

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